पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ जी
January 31, 2025 at 10:18 AM
हिंदुओं के लिये संदेश,
दुश्मन को न पहचानने वाली, नेतृत्वहीन विराट सेना भी अंततः युद्ध हार जाती है !
हिंदु कौम एक ऐसी ही सेना है जिसका कोई लक्ष्य नहीं , कोई मंजिल नहीं, शत्रु की पहचान नहीं, अपना कोई सेनापति नहीं !
हिंदुओं से ज्यादा राजनैतिक लक्ष्यहीन और दिशाहीन कौम कोई नहीं, क्योंकि हिंदुओं के नेता तो बहुत हैं पर उनके मन में हिंदुओं के साम्राज्य जैसा कोई लक्ष्य नहीं, कोई महत्वाकांक्षा नहीं इसलिए हिंदु नेताओं को सेकुलरिज्म की चादर ओढ़कर हिंदुओं के रक्त की प्यासी कौम से भाईचारा निभाने में भी कोई लज्जा नहीं आती ।
सत्ता का जो तंत्र अंग्रेज स्थापित कर गए मात्र वे उसे ढोना चाहते हैं , उसपर बैठकर उसे भोगना चाहते हैं यही हिंदु नेताओं की महत्वाकांक्षा है ।
जबकि कम्युनिस्टों, मुसलमानों और ईसाईयों का स्पष्ट राजनैतिक लक्ष्य है ।
कम्युनिस्ट, भारत में साम्यवादी शासन चाहते हैं, मुसलमान शरीयत कानून वाला इस्लामिक भारत चाहते हैं और ईसाई बाइबिल वाला रोमानिया भारत पर हिंदुओं के मन में ऐसा कोई लक्ष्य नहीं है।
उनके पास चीन, अरब और रोम का मॉडल है पर हिंदुओं के पास ऐसा कोई मॉडल नहीं ।
हिंदुओं से राजनैतिक लक्ष्य की बात करो महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी से मुक्ति से आगे उनकी कोई सोच नहीं होती ।
जबकि महगांई ,बेरिजगारी और गरीबी जैसी बीमारियां इसी राजनैतिक लक्ष्यहीनता के कारण हैं जिस दिन हिंदु मन स्वराज, हिंदु साम्राज्य और अखण्ड भारत बनाने की महत्वाकांक्षा से भर जाएगा उस दिन भारत महगांई, बेरिजगारी और गरीबी जैसी बीमारियों से स्वतः मुक्त होने लगेगा ।
हिंदुओं की राजनीतिक दिशा हीनता का इतिहास सदियों पुराना हो चला है जिन्नाह डायरेक्ट एक्शन डे की घोषणा करता है परंतु हिन्दू उसके प्रति भी मूकदर्शक रहता है जबकि वो जानता है कि दूसरा पक्ष कभी भी कार्यवाही करके हमारा कत्लेआम कर सकता है।
वर्मा, अफगानिस्तान, बलूचिस्तान श्रीलंका आदि को भारत से तोड़कर अलग किया जाता रहा परंतु हिंदू फिर भी मूकदर्शक रहा । 1947 में भारत का 31 परसेंट हिस्सा काटकर मुसलमानों को दे दिया जाता है परंतु हिंदू फिर भी मूकदर्शक रहता है
और पाकिस्तान देने के बाद भी मुसलमानों को भारत में बसा लेता है।
1947 में रोके गए मुसलमान आज फिर भारत विभाजन की मांग कर रहे हैं पर हिंदु मौन है।
शेष भारत में हजारों एकड़ भूमि वक्फ बोर्डों के नाम कर दी जाती है परंतु हिंदू फिर भी मूकदर्शक रहता है
हिंदुओं के अयोध्या काशी मथुरा जैसे तीर्थ स्थलों के उत्थान का कार्य नहीं कर पाता फिर भी हिन्दू मूकदर्शक रहता है
पूरा भारत हिंदुओ के हाथों से जा रहा है
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