पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ जी
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सबसे बड़ा जूठ* मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना. *सबसे बड़ा सच* *मजहब के कारण* देश का बटवारा हुआ, लाखों लोगो का कतल हुआ. *मजहब के कारण* कश्मीर से हिंदुओ को मारकाट कर, रेप करके अपने हि देश में तंबू में पिछले 30 साल से बेघर किया. *मजहब के कारण* हिंदुस्तान में अनेक मंदिरों को तोड़ा गया, जिस में प्रमुख मंदिर है, राम मंदिर, काशी और मथुरा. *मजहब के कारण* महमद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर को तोड़ा,लूटा. *मजहब के कारण* मोहमद गोरी ने पाटण पर हमले कर के अनगिनत मंदिर तोड़े. *मजहब के कारण* कुतुब-उद-दीन ऐबक ने अनेक मंदिरों को तोड़कर, मंदिरों के अवशेष से पहली मस्जिद क़ुव्वत अल बनाया. *मजहब के कारण* गुरु गोविंद सिंह और उनके चार बेटे को जान से मारा गया जिंदा दीवारों में चना गया. *मजहब के कारण* छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी को नोच नोच कर, हाथ, पैर काट काट कर, तड़फा तडफा कर मारा गया. *मजहब के कारण* हजारों लड़कियां को लव जिहाद में फसाकर मौत के घाट उतारा गया, और न जाने कितने कांड किया गया, और यह कार्य अभी भी चालू है. *मजहब के कारण* खिलजी वंश ने गैर मुस्लिमों का नरसंहार किया नारियों को बेइज्जत किया. *मजहब के कारण* तुग़लक़ राजवंश ने श्रीरंगपट्टनम १२००० निहत्थे साधुओं को मार दिया और मन्दिर को ध्वस्त कर दिया. *मजहब के कारण* तैमूर लंग ने अपनी जीवनी 'तुजुके तैमुरी' में तैमूरलंग कुरान की इस आयत से ही प्रारंभ करता है 'ऐ पैगम्बर काफिरों और विश्वास न लाने वालों से युद्ध करो और उन पर सखती बर्तों।' वह आगे भारत पर अपने आक्रमण का कारण बताते हुए लिखता है. *मजहब के कारण* हिन्दुस्तान पर आक्रमण करने का मेरा ध्येय काफिर हिन्दुओं के विरुद्ध धार्मिक युद्ध करना, आगे वर्णित है (जिससे) इस्लाम की सेना को भी हिन्दुओं की दौलत और मूल्यवान वस्तुएँ मिल जायें. *मजहब के कारण* सिकन्दर बुतशिकन संपादित करें सिकन्दर शाह मीरी ने कश्मीर में इस्लामिक कट्टरता की ऐसी मिसाल कायम की कि उसका नाम ही 'बुतशिकन' (मूर्तियों को तोडने वाला) पड गया। उसने अनेक हिन्दू, बौद्ध धार्मिक स्थलों को तोडा और उनको इस्लाम स्वीकारने या कश्मीर छोडने पर बाधित किया। उसने गैर-इस्लामिक लोगों के रिवाज़ जैसे पूजा-अर्चना, नृत्य, गायन, संगीत, शराब पीने और धार्मिक उत्सवों पे पाबंदी लगा दी। बहुत से हिन्दूओं ने इस उत्पीडन से बचने के लिये या तो इस्लाम स्वीकार कर लिया या फिर कश्मीर से पलायन कर दिया। बहुत से मारे भी गये। *मजहब के कारण* लोधी वंश: लोधी वंश के सिकदंर लोधी व बहलोल खान के शासन में हिन्दुओं को जला के मारने जैसी घटना हुयी, १४९९ ईː में एक बंगाली ब्राह्मण के उदार विचारों से प्रभावित हो कर बहुत से हिन्दू व मुसलमान उसके अनुयायी बन गये, उसका मत था कि हिन्दू व इस्लाम, दोनों धर्म सच्चे हैं केवल ईश्वर तक पहोंचने का इनका मार्ग अलग-अलग है। "मजहब के कारण* बाबर, हुमायुं, सुरी साम्राज्य (1526-1556) हिंदुओ पर अत्याचार किया गया. *मजहब के कारण* जज़िया एक प्रकार का धार्मिक कर है। इसे मुस्लिम राज्य में रहने वाली गैर मुस्लिम जनता से वसूल किया जाता है। इस्लामी राज्य में केवल मुसलमानों को ही रहने की अनुमति थी और यदि कोई गैर-मुसलमान उस राज्य में रहना चाहे तो उसे जज़िया देना होगा। इसे देने के बाद गैर मुस्लिम लोग इस्लामिक राज्य में अपने धर्म का पालन कर सकते थे। *मजहब के कारण* टीपू ने अपने राज्य में लगभग 5 लाख हिन्दुओं को जबरन मुसलमान बनाया। हजारों की संख्या में कत्ल कराए। टीपू के शब्दों में, 'यदि सारी दुनिया भी मुझे मिल जाए, तब भी मैं हिन्दू मंदिरों को नष्ट करने से नहीं रुकूंगा। ... पत्र के अनुसार टीपू लिखता है, 'पैगंबर मोहम्मद और अल्लाह के करम से कालीकट के सभी हिन्दुओं को मुसलमान बना दिया है। *मजहब के कारण* बंगाल में हिंदुओ पर हो रहे है अत्याचार. *मजहब के कारण* कोंग्रेस ने और अन्य राजकीय पार्टी ने पार्टी ने हिंदुस्तान में तुष्टिकरण नीतियां अपनाई है. *मजहब के कारण* इमामों को हर महीना तनखा अन्यों के टैक्स के पैसे से दी जाती है. *मजहब के कारण* एक सविधान होते हुए भी मुस्लिम पर्सनल लॉ बनाया गया है. *मजहब के कारण* कई सालों तक हज की सब्सिडी दी जाती रही. *मजहब के कारण* किसी एक धर्म को ध्वनि प्रदूषण को नजर अंदाज किया जाता है, कोर्ट का ऑर्डर होनेके बावजूद. *मजहब के कारण* किसी एक धर्म के व्यक्ति पर अनेक नॉन बेलेबल एफ आई आर होने के बावजूद उसे गिरफ्तार नही किया जाता. *मजहब के कारण* किसी भी मंदिर के पुजारी को कभी तनखा नहीं दी जाती. *मजहब के कारण* येरूशलम का भव्य मंदिर तोड़ा*मजहब के कारण*दुनिया में काफिरों को मारा जा रहा है.*मजहब के कारण*एक कश्मीरी आतंकवादी और सुप्रीम कोर्ट के जज दोनों फैसला लेने से पहले अपना धर्म पूछते हैं, जांच करते है और फिर अपना निर्णय लेता है.*मजहब के कारण* कश्मीरी हिंदुओ का मारकाट,पलायन किया किंतु उसको कोई सहाय नहीं और हल्दानि के रेलवे की जमीन पर अवैध लोगों को हटाने का कोर्ट का निर्णय पर रोक लगाई. मजहब के कारण एसे अत्याचार, मरकट की अनगिनत यादि पूरी दुनिया में हुई है. हमें आशा है की अब इन सभी(अधूरी यादि, क्योंकि पूरी करना मुमकिन नही है) को मध्य नजर रखते हुए आपकी गलत फहेमी दूर हुई होगी की मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना. अच्छा और सच्चा लगे तो अन्यों को अवश्य भेजे. 🖋️━━━━✧👁️✧━━━ 🔗 Join :- 👇टेलीग्राम चैनल https://t.me/pushpenra1
अगर घर में बैठे आपको अजान की आवाज सुनाई देती है तो यह मानकर चलिए आप हमास, हिजबुल्ला,लश्करे तैयबा आईएसआई की रेंज में हैं अल्लाह के फजल से समद भाई

हमने "अहिंसा और मानवतावादी" ढकोसलों के कारण “अखंड भारत” की लगभग 43 लाख वर्ग किलोमीटर भूमि और आधी आबादी को खो दिया.. 1947 में बंटवारे में लाखों हिन्दू मारे गए थे, करोड़ों लोग बेघर हो गए थे, लाखों माताओं और बहिन बेटियों की इज्जत लुटी गयी और हिन्दुओं से छीन ली गयी.. देश के लोग - इन सारी घटनाओं से “अनभिज्ञ” इस लिए रह गये कि – ये सारी घटनाए - आज के पाकिस्तान की धरती पर की गयी थी, वहां से विस्थापित हिन्दू – भारत में घुसते ही तो बिलकुल सुरक्षित हो जाते थे। ज्यादातर ऐसी घटनाएं आज के पाकिस्तान के गाँव देहात के इलाकों में ज्यादा हुई थी। 1947 के बंटवारे में – 23% मुसलमानों को 31% प्रतिशत भूमि दे दी गई शेष भारत भी अब सुरक्षित न रहा है,अब तो हर रोज “अरबी गुलामों” से संघर्ष होता है। देश के सीधे साधे लोगों को आज भी ये मालुम नही कि – उस समय क्या कुछ हुआ था और कोंग्रेस ने उस समय क्या क्या किया था.. --------- अपनी आबादी के अनुपात से - अधिक भूमि लेने के बाद भी - कुल 9 करोड़ में से 3 करोड़ मुसलमान भारत से पाकिस्तान गए ही नहीं.. हम आज पुनः 1947 के दोराहे पर आकर खड़े हो गए हैं हमसे टूटा हुआ हिस्सा “इस्लामिक देश” बन गया और भारत “धर्मशाला” बन गया, 80-85 प्रतिशत हिन्दुओं के राष्ट्र में “मस्जिद और मदरसा” महत्वपूर्ण हो गए जबकि “मंदिर और मठ” का नाम लेना भी “साम्प्रदायिक” हो गया 75 साल के भीतर ही - मुसलमान फिर से “एक देश” लेने की स्थिति में पहुंच गए। जहाँ मुसलमान अपने लिए "अलग राष्ट्र" की मांग कर रहे हैं, और कम्युनिस्ट आदि तत्व भी भारत के टुकड़े करने का दुस्साहस करने लगे.. देश और हिन्दू विरोधियों और घुसपैठियों को मिलाकर - आज ये 40% हो गए हैँ. 1946 में जब ये - मुसल्ले 8% थे तब हिंदुस्तान मे “डायरेक्ट एक्शन डे” मना लिया गया था.. साँप को उपदेश दो या उसकी चापलूसी करो, बदले में वह विष ही देगा। साँप को दूध पिलाओ या उसे अपना मित्र बना लो, वह तो विष ही देगा, वह केवल विष ही दे सकता है, उसके पास देने को - केवल विष ही है। इस लिए गलतफहमी मे मत जीयो, सिर्फ एक - “कट्टरता” - ही तुम्हारे “अस्तित्व” को बचा सकती है. और कोई “चमत्कार” भी इनके “बढ़ते आंकड़े” को कम नही कर सकता.. आँखे बंद कर लेने से - सवाल का जवाब - बदल नही सकता .. जिस तरह से मौत एक सच्चाई है - उसी तरह से - इनकी “जनसंख्या” भी तुम्हारे लिए मौत ही है... “खतरा” ज्यों का त्यों - आज भी तैयार खड़ा है। ------- लोभी-लालची हिन्दुओं तुम्हे पता क्या है -?- पुरानी बाते -तुम्हे नही पता तो अब, अब पता करो कि – तुम्हे भागकर जाना कहां है -?- -------- साभार मित्रगण – संकलन और संसोधन गिरधारी भार्गव 🖋️━━━━✧❂✧━━━ Join :- टेलीग्राम चैनल👇 https://t.me/pushpenra1
ध्यान से पढो़ आंखें खोलने की जरूरत है। यह वह अज़ान हैं जिसके खत्म होते ही काफिरों के घर जलाने का हुकुम दिया गया. यह वह अज़ान हैं जिसके फौरन बाद पागल भीड ने हमें कत्ल करने का फरमान अंजाम फरमाया. यह वह अज़ान है जब यह तय किया गया कि हिंदू मर्द शाम को सकुशल घर न लौटे. यह वह अज़ान है जब हमारी लाशों को बारिवायत टुकडा टुकडा काटा गया और हर टुकडे पर नाचा गया. यह वह अज़ान है जिसके तुरंत बाद सोनी राज़दान को घर में घर के साथ जिंदा जलाया गया. यह वह अज़ान जिसके खत्म होते ही कितनी स्त्रियों को रौंदा गया.काफिरी का दण्ड यों पूरा किया गया कि फिर उनको बारिवायत आरों पर चीरा गया .चीरे हुए टुकडों को पुलों के नीचे दफनाया गया.कितना सुनोगे बस जान लो मित्रों. वे जो उपदेश देते हैं ऱूह में उतारने का.अरे भाई तभी तो रूह काम्पती है.मगर मित्र! ज़रा खुद को टटोलो.क्या जिस्म में रूह है भी कहीं आपके.मुझे नहीं लगता.ज़रा ठीक से टटोलो,जिसे रूह समझ बैठे हो वह उन शातिरों ने रूई का एक फाहा तो नही रखा ,जो रूह को उडा कर ले गए हैं,और आपको अभी तक पता भी नही चलने दिया या आपने मन से उसकी बिक्री की हो और...अस्तु. सहिष्णुता का उपदेश देने वाले गुरू लोगो! तुम किताब पढी बात करते रहो आंख देखी,कानों सुनी और चाम पर झेले नरसंहार बंधु हर अज़ान के बाद किए गए.आर एस एसियों!(मैं नहीं जानती कि सच लिखा है या झूठ,फिर भी)मैं तुम्हारे लाइक के लिए नहीं लिखती.सच के लिए लिखती हूं. आशा हैं सब की जिज्ञासाएं शांत हुई होंगी. Kshama kaul जी का अद्वितीय लेख 🖋️━━━━✧👁️✧━━━ 🔗 Join :- 👇टेलीग्राम चैनल https://t.me/pushpenra1
👁️ #हरामखोर_पेरियार💀 पिछले साल लॉकडाउन के समय कुछ बेहद पुरानी किताबें पढ़ने का समय मिला उसी में एक पिछले सदी के महान दार्शनिक जे कृष्णमूर्ति की बुक थी बताते चलें जे कृष्णमूर्ति पिछले सदी के एक महान अज्ञेयवादी दार्शनिक थे, अज्ञेयवादी बहुत सारे विषय पर निश्चित निष्कर्ष नहीं निकालते क्योंकि उन्हें निश्चित रूप से सिद्ध करना कठिन होता होता है, ईश्वर भी उनके लिए एक ऐसा ही विषय है खैर मूल विषय पर आते हैं तो उनके बुक में एक चैप्टर था (नास्तिक और विक्षिप्त मनोरोगी में अंतर ) कृष्णमूर्ति ने अपनी किताब में बताया कि एक बार दक्षिण भारत के कुछ लोग जो एक राजनीतिक मूवमेंट से जुड़े हुए थे संभवतः वह पेरियारवादियों की ओर ही इशारा कर रहे थे उन्होंने कहा कि एक बार उसी पॉलीटिकल मूवमेंट से जुड़े एक व्यक्ति उनके पास आया और जे कृष्णमूर्ति से पूछा कि आप ईश्वर पर विश्वास करते हैं तो जे कृष्णमूर्ति ने कहा नहीं जे कृष्णमूर्ति का जवाब सुनते ही वह व्यक्ति उग्र होकर देवी देवताओं को गाली देने लगा अब जे कृष्णमूर्ति ने उस व्यक्ति से कहा कि वास्तव में आप नास्तिक नहीं एक विक्षिप्त मनोरोगी हैं क्योंकि अगर आप ईश्वर को मान ही नहीं रहे हैं, आप राम कृष्ण के अस्तित्व को मानते ही नहीं हैं तो आप राम और कृष्ण से नफरत कैसे कर सकते हैं मतलब कि क्या कोई व्यक्ति काल्पनिक चरित्रों से नफरत कर सकता है फिर इसके बाद जे कृष्णमूर्ति ने कहा कि एक तरफ तो आपको धर्म ग्रंथों पर विश्वास ही नहीं है लेकिन अपनी मन की भड़ास निकालने के लिए उन्ही धर्म ग्रंथों का संदर्भ विशेष में प्रयोग भी करते हैं फिर इतना समझने के बाद मुझे वास्तव में नास्तिक और मनोरोगी के बीच में अंतर समझ में आने लगा कि कौन व्यक्ति वास्तव में नास्तिक है और कौन बस हिंदू विरोधी कुंठा का शिकार है संपूर्ण बातों का यह सार था कि पेरियार जैसे लोग वास्तव में नास्तिक नहीं यह विक्षिप्त मनोरोगी हैं क्योंकि अगर राम, कृष्ण का अस्तित्व ही नहीं मानते तो राम और कृष्ण से इन्हें नफरत कैसे हो सकती है क्योंकि काल्पनिक चरित्र से किसी को नफरत तो हो ही नहीं सकती किताब में आगे जे कृष्णमूर्ति ने यह भी कहा कि आप लोग जब धर्म ग्रंथों पर विश्वास ही नहीं करते तो उन्हें धर्म ग्रंथों के कुछ प्रसंगों का प्रयोग अपने मन की भड़ास निकालने के लिए कैसे कर सकते हैं पेरियार ने जो रामायण के नाम पर एक किताब लिखी थी उसमें भी उसने वही किया था एक तरफ वह कहता था कि हिंदू धर्म ग्रंथ पाखंड है, मनगढ़ंत है लेकिन अपने मन की भड़ास निकालने के लिए उनके संदर्भ विशेष के प्रसंगों का प्रयोग जरूर किया कुल मिलाकर जे कृष्णमूर्ति की किताब पढ़ने के बाद मुझे समझ में आया कि वास्तव में हम जिन्हें कई बार नास्तिक समझते हैं वह वास्तव में मनोरोगी लोगों का समूह है जो अपनी कुंठा को शांत करने के लिए बस अपने को नास्तिक दिखाता है लेकिन वह एक मनोरोगी है जिनका स्थान केवल पागल खाना है कोई व्यक्ति कभी काल्पनिक चरित्रों से नफरत कर ही नहीं सकता अगर नफरत कर रहा है तो वह कोई नास्तिक नहीं बल्कि कुंठित और मनोरोगी है चित्र - पेरियार को गणेश प्रतिमा तोड़ते दिखाया गया है। 🎉 जय श्रीराम 🙏 🖋️━━━━✧👁️✧━━━ 🔗 Join :- 👇टेलीग्राम चैनल https://t.me/pushpenra1
अस्त्रम-शस्त्रम-युद्धम एक चींटी तक नहीं मारने म्यामांर के बौद्धों ने मियों को मारकर भगाया इसका मतलब ये लोग राक्षस हैं, यहूदियों के एकमात्र देश इजराइल पर भी कब्जा करना चाहते हैं, चीन तो अच्छी तरह सबक सिखा रहा है इन्हें। भारत के हिन्दू वीरों, वीरांगनाओं जागो ! जब बौद्ध तलवार उठा सकते हैं जबकि भगवान बुद्ध कोई हथियार नहीं रखते थे, तुम्हारे तो देवी-देवताओं के हाथों में अस्त्र-शस्त्र होते हैं तुम क्यों सहन कर रहे हो?
