हमारा इतिहास ✊🇮🇳⚖️
February 10, 2025 at 01:05 PM
*“ पंडित नेहरू ग़ाज़ा में और इज़रायली लड़ाकू विमानों द्वारा उनके जहाज़ के अपहरण का प्रयास “* ग़ाज़ा और आसपास इज़रायल और मिस्र के संघर्ष में हस्तक्षेप करते हुए 1956 में संयुक्त राष्ट्र की सेना ग़ाज़ा में तैनात की गयी थी, जिसमें भारतीय सैनिक भी शामिल थे. तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भारतीय सैनिकों और संयुक्त राष्ट्र शांति सेना का मुआयना करने 1960 में ग़ाज़ा गये थे. तब वहाँ तैनात यूनाइटेड नेशंस इमरजेंसी फ़ोर्स की कमान भारतीय अधिकारी लेफ़्टिनेंट जेनरल आरएस ज्ञानी के हाथ में थी. पंडित नेहरू 19 मई, 1960 को ग़ाज़ा गये थे और वहाँ उन्होंने भारतीय सैनिकों से बातचीत करने के साथ-साथ शरणार्थी शिविरों का मुआयना भी किया था. पूर्वी भूमध्यसागर क्षेत्र में पंडित नेहरू एक हफ़्ता रहे थे और इस्तांबुल, बेरूत, क़ाहिरा, दमिश्क आदि अनेक शहर गये थे. बेरूत के अमेरिकन यूनिवर्सिटी में उन्होंने बिना नोट्स के एक घंटा भाषण दिया था. यह आयोजन भी कुछ घंटे पहले ही तय हुआ था. पश्चिम एशिया में ग़ाज़ा हो या बेरूत या कोई और शहर, हर जगह उनका ख़ूब स्वागत हुआ था. बेरूत यूनिवर्सिटी में वहाँ आने वाले वैश्विक नेताओं की तस्वीरें लगी हुई हैं. केवल एक नेता पंडित नेहरू की दो तस्वीरें हैं, जिनमें से एक में वे खचाखच भरे असेंबली हॉल में भाषण दे रहे हैं. चित्र में छात्र खिड़कियों से लटके हुए हैं. ऐसी कोई तस्वीर किसी अन्य नेता की नहीं है. बहरहाल, जब वे ग़ाज़ा से संयुक्त राष्ट्र के हवाई जहाज़ से बेरूत लौट रहे थे, तो इज़रायली लड़ाकू जहाजों ने उनके जहाज़ के आसपास ख़तरनाक हाव-भाव दिखाया था. इज़रायल को यह पता था कि इसमें पंडित नेहरू हैं. ख़ैर, पंडित नेहरू ने इस वारदात का उल्लेख बेरूत में नहीं किया. अपने भाषण में उन्होंने बस यही कहा कि अपने भाषण में उन्होंने इतना ही कहा कि आज की एक घटना का उन्होंने उल्लेख नहीं किया है. भारत वापस आकर एक अगस्त, 1960 को संसद को उन्होंने इस घटना की जानकारी दी थी. उन्होंने बताया कि किस तरह इज़रायली जहाज़ों ने संयुक्त राष्ट्र के विमान का अपहरण करने का प्रयास किया, जबकि उन्हें पता था कि वे ग़ाज़ा के दौरे पर हैं. इस वारदात के बारे में पश्चिम एशिया में चर्चा नहीं करना पंडित नेहरू की दूरदर्शिता थी क्योंकि फिर उनके दौरे पर यह घटना हावी हो जाती है. उन्होंने संसद को इस बारे में बताकर यह संकेत दिया कि भारत को गंभीरता से सोच-विचार कर ही इज़रायल से संबंध स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए। *( हमारा इतिहास )* ✊🇮🇳⚖️
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