🙏🌳जाभाणी आदर्श संस्था 🌳
February 11, 2025 at 12:59 PM
*जाम्भो जी के निराकार और साकार रूप में विष्णु होने के प्रमाण*:~ उनतीस नियम बिश्नोई समाज की रीढ़ की हड्डी हैं और ये उनतीस नियम ख़ुद गुरु जम्भेश्वर भगवान ने ही बनाए थे और किसी ने नहीं बनाए। इन उनतीस नियमों में गुरु जम्भेश्वर भगवान ने एक नियम ये बनाया था कि:~*भजन विष्णु बतायो जोय* अर्थात् विष्णु भगवान के ही भजन करना विष्णु भगवान का ही जाप करना। *संध्या मंत्र* में भी गुरु जम्भेश्वर भगवान ने ये कहा है कि:~ *विष्णु ही मन विष्णु भणीयो विष्णु ही मन विष्णु रहियो।* 👉1.सबद संख्या एक में जाम्भो जी ने अपने विष्णु होने की बात कही कि:~ *कृष्ण चरित बिन काचे करवे रहयो न रहसी पाणी* अर्थात जब जाम्भो जी ने कच्चे घड़े को कच्चे धागे से बांध कर कुंए में से जल निकाला तब ये कहा कि ये काम कृष्ण भगवान के बिना व कृष्ण की अलौकिक शक्ति के बिना दूसरा कोई भी नहीं कर सकता। अतः हे पुरोहित व हे लोगो आप सब इस बात को समझो कि मैं ही कृष्ण भगवान अर्थात विष्णु भगवान हूं और मैं ही आप का सदगुरु हूं क्योंकि मैंने कच्चे धागे से कच्चे घड़े को बांध कर आपके सामने ही कुंए से अभी अभी जल निकाल कर दिखाया है। 👉2.सबद संख्या दो में जाम्भो जी ने कहा कि:~ *मोरे माई न बापूं आपण आपूं* आपण आपूं माने जो स्वयं से ही निर्मित हो और जिसका निर्माण किसी भी दूसरे ने नहीं किया बल्कि ख़ुद ने ही किया हो वही स्वयंभू है। अतः जो कोई स्वयं का निर्माण करे वो निर्माता व निर्मित दोनों ही एक ही हुए । 👉 3.आगे कहा कि:~ *मोरी *आद न जाणत* अर्थात मेरे आदिरूप का का अर्थात शुरुआत या आरंभ का किसी को भी पता नहीं है। 👉4.आगे कहा कि:~ *आद अनाद तो हम रचीलो हमें सिरजिलो सै कौण* अर्थात आदि अनादि *अर्थात शुरुआत व शुरुआत से पहले को भी मैंने ही रचा है और इसलिए मुझे रचने वाला कौन है अर्थात कोई भी नहीं है।* 👉5.आगे कहा कि :~ *महे तदपण होता अब पण आछै, बल बल होयसां कह कद कद का करूं विचारुं* *(सबद 4)* अर्थात *मैं तो तब भी था जब कुछ भी नहीं था*, अब भी हूं, और आगे भी बार बार होऊंगा। अब आप ही बताएं की मैं आपको मेरी कितनी उम्र बताऊं व कब कब की (भूतकाल, वर्तमान काल या भविष्य काल) की बात बताऊं। मैं तो तीनों कालों में ही रहता हूं और काल से परे भी हूं। 👉 *विष्णु के जाप का उल्लेख* कृपया सबद संख्या तेरह पढें जिसमें विस्तार से बताया गया है कि जिसने भी विष्णु का जाप नहीं किया वे क्या क्या बनेंगे। *जां जन मंत्र विष्णु न जंम्प्यो ते न उतरीबा पारुं* 👉सबद संख्या पंद्रह में जाम्भो जी ने कहा कि:~ *विष्णु विष्णु भण अजर जरीजै यह जीवन का मूलूं* अर्थात् हे प्राणी तू केवल विष्णु का ही नाम ले या जप कर जिससे तेरे काम क्रोध लोभ मोह व अहंकार वश में हो जाएंगे। *विष्णु का नाम व जाप या पूजा ही जीवन का मूल मंत्र है और आधार है।* 👉जाम्भो जी ने सबद संख्या उन्नीस में कहा कि:~ *रुप अरूप रमूं पिंडे ब्रह्मांडे घट घट अघट रहायो* अर्थात मैं निराकार साकार दोनों में ही हूं। प्रत्येक शरीर में व सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में भी मैं ही हूं। जो दिखाई देता है उसमें भी मैं ही हूं व जो अदृश्य है उसमें भी मैं ही हूं। मैं तो घट घट में व कण कण में भी हूं सर्वत्र व्याप्त हूं। मैं तो तिल में तेल व फूल में सुगंध की तरह हूं जी दिखाई नहीं भी देता है तो भी महसूस किया जा सकता है बस *अवश्यकता इस बात की है कि आपके पास तिल में से तेल देखने की बुद्धि और विवेक या विधि होनी चाहिए और फूल में सुगंध लेने के लिए सूंघने की शक्ति होनी चाहिए।* यदि आपके पास *तिल में से तेल निकाल कर देखने की विधि नहीं है तो तेल देख नहीं सकते* और *यदि कोरोना के कारण आपकी सूंघने की शक्ति नहीं रही तो इसका मतलब ये नही है कि फूल में सुगंध नहीं है। या किसी अन्य योनि में जन्म लेने के कारण या अपने अहंकार के कारण, जैसे कि दुर्योधन और रावण को था, यदि आप के सामने भी खुद ईश्वर आ भी जाए तो भी आप पहचान नहीं सकते तो इसका मतलब ये नहीं हुआ कि भगवान जांभो जी विष्णु के अवतार नहीं थे। यदि आपके पास भगवान *विष्णु को पहचानने या महसूस करने का *विवेक नहीं है,* *सबदवाणी को समझने का विवेक नहीं है या आस्था नहीं है* तो इसका *मतलब ये नहीं कि* *जाम्भो जी भगवान विष्णु नहीं थे।* आपको तो पता ही है कि *दुर्योधन भी अपने अहंकार के कारण भगवान कृष्ण को ईश्वर नहीं मानता था। और रावण भी राम को* *भगवान नहीं मानता था।* *हालांकि भगवान उन दोनों के सामने ही थे*। 👉6. सबद संख्या पांच में जाम्भो जी कहते हैं कि:~ *नव अवतार नमो नारायण तेपण रुप हमारा थियूं* अर्थात पहले जो नौ अवतार अर्थात् मच्छ, कच्छ, वराह, नरसिंह , वामन, परशुराम, राम, कृष्ण और बुद्ध ये नौ अवतार हुए हैं ये सारे मेरे ही रूप थे । *तेपण रूप हमारा थीयूं* का क्या अर्थ है। *तेपण माने वे* *रूप माने रूप* *हमारा माने मेरे* *थीयूं माने थे।* अर्थात् जो नौ अवतार हुए हैं वे मेरे ही थे। 👉7.सबद संख्या 94 में इन नौ अवतारों का नामोल्लेख भी है जिसमें ये कहा गया है कि:~सतयुग माहीं सिरजी सारी *तद म्हे रुप कियो मेनावतीयो* सत्यव्रत को ज्ञान उचारी अर्थात सतयुग में मैने इस सृष्टि का निर्माण किया तब एक बार मैंने मच्छ के रुप में सत्यव्रत को ज्ञान देकर प्रल्यावस्था के प्रति सचेत करते हुए सृष्टि के समस्त बीजों की रक्षा करने का उपाय बताया और उस अवतार में मैने उनकी नाव को खींच कर उनकी व सृष्टि के समस्त बीजों की रक्षा की थी। फिर कहा कि:~ 👉 *तद म्हे रुप रच्यो कामठियो* अर्थात मैने कछुए का रूप धारण करके समुद्रमंथन के समय सुमेरू पर्वत के नीचे अपनी पीठ लगाई क्योंकि सुमेरु पर्वत की मधानी धंसने लगी थी। फिर कहा कि:~ 👉 *जब मैं रुप धरयो वाराही पृथ्वी दाढ़ चढ़ाई सारी* अर्थात मैने वराह अवतार लेकर अपनी दाढ़ों पर पृथ्वी को उठा कर उसे जल में डूबने से बचाया। आगे कहा कि:~ 👉 *नरसिंह रुप धर हृणयक्षिपु मारयो प्रहलादो रहियो शरण हमारी* आगे कहा है कि:~ 👉.*बावन होय बलिराज चेतायो* अर्थात वामन के अवतार में मैने राजा बलि का घमंड चूर चूर किया। आगे कहा है कि:~ 👉 *परशुराम होय क्षत्रियपन साध्यो* और आगे कहा है कि:~ 👉 *श्री राम सिर मुकुट बंधायो सीता के अहंकारी* और 👉 *कन्हड़ होय कर बंसी बजाई गऊ चराई* व 👉 *बुद्ध रूप गयासुर मारयो* अर्थात बुद्ध अवतार में मैंने अंगुलिमाल नामक डाकू को सुधारा व उससे व अन्य पाखंडी , नास्तिक लोगों से उनका पाखंड व दुराचार छुड़वा कर सही रास्ते पर लाया और उनका पाखण्ड का खेल बेकार किया। आगे कहा है कि:~ 👉 *शेष जम्भराय आप अपरंपर अव्वल दिन से कहिए* अर्थात अब मैं शेष बचे हुए कार्य अर्थात भक्त प्रह्लाद के शेष बचे हुए बारह करोड़ अनुयायियों को पार करने के लिए मैं स्वयं विष्णु भगवान जम्भेश्वर भगवान के रुप में आया हुं और यदि तुम लोग नर्क में न जाना चाह कर स्वर्ग में जाना चाहते हैं तो मेरा कहना मानो, मेरे उपदेश मानो *(*दोजख छोड़ भिस्त जे चाहो तो कहिया करो हमारा* )* 👉 सबद संख्या सड़सठ में जाम्भो जी ने कहा कि :~ *म्हे ऊंढे नीरे अवतार लियो* और कहा कि :~ 👉 8.*राय विष्णु से बाद न कीजे* और कहा कि:~ 👉 9.*राम रुप कर राक्षस हड़िया* और कहा कि:~ *विष्णु विष्णु तू भण रे प्राणी विष्णु भणता अनन्त गुनूं* एक अन्य सबद में कहा है कि:~ 👉 10.*जुग अनन्त अनन्त बरत्या म्हे सुनी मंडल का राजो* अर्थात अनंत युग बीत गए और तब से ही केवल मैं ही इस शून्यमंडल का एकमात्र राजा हुं अर्थात ईश्वर हूं। 👉 11.सबद संख्या चोरानवे में जाम्भो जी कहते हैं कि:~ 👉 *म्हे उपन्ना आदि मुरारी* और की *ब्रह्मा इन्द्र सकल जग थरप्या* अर्थात मैं तो आदि काल से ही उत्पन्न हूं और ब्रह्मा इन्द्र इत्यादि सब को ही मैने ही बनाया। *सबदवाणी के उपरोक्त 👆कथन ये साबित करने में प्रयाप्त हैं कि जाम्भो जी भगवान विष्णु ही थे धन्यवाद🙏।*
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