
Karmyogi
February 23, 2025 at 09:36 AM
*उर्दू*
किसी भी भाषा का विकास, मूल शब्दों के साथ बहिरागत शब्दों से भी होता है और इस प्रक्रिया में कोई बुराई नहीं। स्वयं हिंदी भाषा में फारसी के कई शब्द हैं, जो स्वयं एक आर्य भाषा है।
लेकिन उर्दू भाषा नहीं बल्कि मुस्लिमों व दास मनोवृत्ति के लोगों द्वारा हजार वर्ष की दासता की स्मृति बनाये रखने का भाषाई प्रयत्न है।
वस्तुतः उर्दू और कुछ नहीं बलात्कार की भाषा है ,जो तुर्की आक्रांताओं के खेमों जिन्हें 'ओर्दु' कहा जाता था, में तुर्क सैनिकों द्वारा हतभागी बलत्कृत हिन्दू स्त्रियों व गुलामों से बातचीत करने के लिए विकसित हुई थी।
यह उन दास मनोवृत्ति के हिंदुओं द्वारा ही पसंद की जाती है जिनके वंश में किसी न किसी विदेशी के खून की मिलावट है और जिन्हें वामपंथी भाषा में लिबरल या धर्मनिरपेक्ष या प्रगतिशील कहा जाता है।
उर्दू को अध्ययन के लिए सीखने में बुराई नहीं है लेकिन उसे सांस्कृतिक धरोहर या तहजीबी नाजुक जुबान बताना उन हजारों हिंदू स्त्रियों पर हुए बलात्कारों का महिमामंडन है।

👍
🙏
🚩
💯
🕉️
😡
17