
Mufti Wasim Akram Razavi
February 24, 2025 at 06:23 PM
*अल्लाह पाक से जुड़े बेकार सवाल – एक आसान समझ*
कुछ गैर-मुस्लिम लोग मुसलमानों को उलझाने के लिए अल्लाह पाक से जुड़े सवाल करते हैं, जैसे:
*अल्लाह कैसा है?*
*अल्लाह कहां है?*
*अल्लाह कब से है?*
असल में, अल्लाह पाक की ज़ात से जुड़े ये सवाल ही गलत हैं। कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिनके बारे में सवाल करना बेकार होता है। *सवाल सही है या गलत, यह इस पर निर्भर करता है कि सवाल किस चीज़ के बारे में किया जा रहा है।*
एक आसान मिसाल:
अगर कोई छोटा बच्चा, जो अभी बोलना सीख रहा है, आपसे ये सवाल करे:
*गुलाब की खुशबू का रंग कैसा होता है?*
*खुशबू का आकार कैसा होता है?*
*खुशबू गोल होती है या चौकोर?*
*खुशबू मीठी होती है या तीखी?*
तो आप क्या जवाब देंगे? यही कि सवाल ही गलत है! बच्चा अपनी समझ की कमी की वजह से ऐसे सवाल कर रहा है। जैसे-जैसे उसकी समझ बढ़ेगी, वह खुद समझ जाएगा कि खुशबू से जुड़े ऐसे सवाल बेकार हैं।
इसी तरह, अल्लाह पाक की ज़ात से जुड़े कुछ सवाल इंसानी अक़्ल से बाहर हैं। ऐसे सवालों पर बहस करना फिजू़ल है। हमारा काम यह है कि हम अल्लाह और उसकी सिफात पर ईमान लाएं, जैसा कि कु़रआन व हदीस में बताया गया है, और गैर-ज़रूरी सवालों से बचें।
सही अक़ीदा कहां से मिलता है?
अल्लाह पाक के बारे में सही जानकारी हमें नबियों और रसूलों से मिली है। अगर अल्लाह पाक ने अपने नबी न भेजे होते, तो इंसान कभी भी यह नहीं जान पाता कि:
*अल्लाह के सिफात क्या हैं?*
*उसकी इबादत करने का सही तरीका क्या है?*
*कौन-सी बातें अल्लाह पाक के शान के लायक नहीं हैं?*
ये सब बातें हमें वही रसूलों के ज़रिए मालूम हुई हैं। यही वजह है कि अल्लाह पाक ने अपने नबियों को भेजा, ताकि वे हमें सही रास्ता दिखाएं।
इसलिए हमें गैर-ज़रूरी सवालों में उलझने के बजाय, कुरआन व हदीस की बातें मानकर अपनी जिंदगी को सही रास्ते पर चलाना चाहिए।
*✍️ मुहम्मद वसीम अकरम रज़वी*
टिटलागढ़, बलांगीर ओड़िशा
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