
Mufti Wasim Akram Razavi
February 27, 2025 at 05:27 AM
*सास-बहू और भाभियों में कौन ज़ालिम?*
अक्सर सुना जाता है कि सास और बहू की नहीं बनती, ननद और भाभी में नहीं पटती, या दो भाभियों के बीच हमेशा तनाव रहता है। लेकिन हकीकत यह है कि न कोई पूरी तरह ज़ालिम होता है और न ही कोई पूरी तरह मज़लूम। बल्कि ज़्यादातर औरतें खुद अपनी ज़िंदगी को मुश्किल बना लेती हैं।
समस्या कहाँ होती है?
असल में, समस्या तब पैदा होती है जब हर इंसान की सोच और प्राथमिकताएँ (ज़रूरी चीज़ें) अलग-अलग होती हैं। जैसे:
ननद चाहती है कि घर का आँगन साफ-सुथरा रहे, लेकिन उसे रसोई की सफाई उतनी ज़रूरी नहीं लगती।
भाभी के लिए रसोई की सफाई सबसे अहम होती है, लेकिन आँगन पर ज़्यादा ध्यान नहीं देती।
अब जब ननद को गंदा आँगन दिखेगा, तो उसे परेशानी होगी। वहीं, जब भाभी को बिखरी हुई रसोई नज़र आएगी, तो वह परेशान होगी। जबकि दोनों अपने-अपने हिसाब से सही कर रही होती हैं।
सास और बहू की कहानी भी यही है।
सास चाहती है कि घर के पुराने नियम और परंपराएँ बनी रहें।
बहू चाहती है कि वह अपनी नई सोच और तरीके से ज़िंदगी गुज़ारे।
अगर दोनों एक-दूसरे की सोच को समझने की कोशिश करें, तो बहुत से झगड़े खुद-ब-खुद खत्म हो सकते हैं।
समाधान क्या है?
हम जिन चीज़ों को ज़रूरी समझते हैं, अगर कोई दूसरा भी उन्हीं बातों को अहमियत दे, तो वह हमें अच्छा लगता है। लेकिन अगर किसी की प्राथमिकताएँ हमसे अलग होती हैं, तो हमें उससे शिकायत होने लगती है। जबकि ज़रूरी नहीं कि वह व्यक्ति लापरवाह हो। हो सकता है कि वह किसी और अहम चीज़ पर ध्यान दे रहा हो।
अगर हम जल्दी नाराज़ होने के बजाय दूसरों की प्राथमिकताओं को समझने की कोशिश करें, तो घर का माहौल बहुत खुशनुमा हो सकता है।
*✍️ मोहम्मद वसीम अकरम रज़वी*
टिटलगढ़, बलांगीर, ओडिशा, भारत
🗓 तारीख़: 27 फरवरी 2025 |
28 शाबान अल-मुअज़्ज़म 1446
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