Aditya Vahini - Anand Vahini
                                
                            
                            
                    
                                
                                
                                February 18, 2025 at 10:13 AM
                               
                            
                        
                            *जो घट को पट कह दें, तो झट पट घट पट होने को बाध्य हो जाए, पट को पाषाण कह दें, तो झट पट पट पाषाण होने को बाध्य हो जाए। जिनकी वाणी विषयों का अनुगमन नहीं करती है अपितु विषय जिनकी वाणी का अनुगमन करते हैं।*
ऐसे सिद्ध महापुरूष, तत्वज्ञ मनीषी सनातन धर्म के सर्वोच्च, सर्वमान्य एवं सार्वभौम धर्मगुरु श्रीमज्जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वती जी महाभाग के श्री चरणों में अनंत कोटि प्रणाम निवेदित है।
                        
                    
                    
                    
                        
                        
                                    
                                        
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