
Aditya Vahini - Anand Vahini
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About Aditya Vahini - Anand Vahini
आदित्यवाहिनी सनातन वैदिक आर्य हिन्दू धर्म के सार्वभौम आचार्य एवं शासकों के शासक जगद्गुरु शङ्कराचार्य द्वारा हिन्दू युवाओं के लिए स्थापित संगठनात्मक संस्था है। जिसका उद्देश्य अन्यों के हितों का ध्यान रखते हुए, हिन्दुओं के आदर्श एवं आस्तित्व की रक्षा करना एवं धर्मनियन्त्रित ,पक्षपातविहीन, शोषणविर्निमुक्त , सर्वहितप्रद, सनातन शासनतन्त्र की स्थापना करना।
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*ध्यान रहे; वैचारिक भूल शूल बन जाती है। अध्यात्मभावित धर्मका विषय केवल परलोक और परमात्माको मान लेनेके कारण तथा शिक्षा, रक्षा, कृषि-गोरक्ष्य-शिल्प-उद्योग-वाणिज्यादि-सहित सेवाका विषय लौकिक उत्कर्षको मानलेनेके कारण देहात्मभावभावित समाजवाद तथा साम्यवादका उद्भव सिद्ध है।* *भारत तथा नेपालके सहित अन्य देशोंकी दिशाहीनताका मुख्य कारण यही है। जबकि; वस्तुस्थिति यह है कि “लौकिक- पारलौकिक उत्कर्ष और परमात्मप्राप्तिका मार्ग भी प्रशस्त"- अध्यात्मभावित धर्मके इस विषयकी सीमाके बाहर कोई भी प्रकल्प सर्वथा असम्भव है।* शङ्कराचार्य स्वामी निश्चलानन्दसरस्वती, पुरी।


*शिक्षा, रक्षा, अर्थ, सेवादि के प्रकल्पों को वैदिकमहर्षियों द्वारा चिर परीक्षित और प्रयुक्त विधासे क्रियान्वित करने पर भव्यभारत की संरचना सम्भव है। स्वतन्त्रता के प्रयोजन की सिद्धि भी इसी प्रकार सम्भव है।* -: श्रीमज्जगद्गुरु शङ्कराचार्य, पुरी


*विकास के पक्षधर व्यक्ति ध्यान से सुनें !*

Emergence of people & a society bereft of 4 essential attributes of Dharma, Artha, Kama, Moksha is a dangerous fallout of the age of technology जीवन को सार्थक करने वाले धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष नामक चारों पुरुषार्थ से रहित व्यक्ति तथा समाज कि संरचना यान्त्रिक युग का घातक परिणाम है


*जो घट को पट कह दें, तो झट पट घट पट होने को बाध्य हो जाए, पट को पाषाण कह दें, तो झट पट पट पाषाण होने को बाध्य हो जाए। जिनकी वाणी विषयों का अनुगमन नहीं करती है अपितु विषय जिनकी वाणी का अनुगमन करते हैं।* ऐसे सिद्ध महापुरूष, तत्वज्ञ मनीषी सनातन धर्म के सर्वोच्च, सर्वमान्य एवं सार्वभौम धर्मगुरु श्रीमज्जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वती जी महाभाग के श्री चरणों में अनंत कोटि प्रणाम निवेदित है।
