
Aditya Vahini - Anand Vahini
February 19, 2025 at 01:52 PM
*ध्यान रहे; वैचारिक भूल शूल बन जाती है। अध्यात्मभावित धर्मका विषय केवल परलोक और परमात्माको मान लेनेके कारण तथा शिक्षा, रक्षा, कृषि-गोरक्ष्य-शिल्प-उद्योग-वाणिज्यादि-सहित सेवाका विषय लौकिक उत्कर्षको मानलेनेके कारण देहात्मभावभावित समाजवाद तथा साम्यवादका उद्भव सिद्ध है।*
*भारत तथा नेपालके सहित अन्य देशोंकी दिशाहीनताका मुख्य कारण यही है। जबकि; वस्तुस्थिति यह है कि “लौकिक- पारलौकिक उत्कर्ष और परमात्मप्राप्तिका मार्ग भी प्रशस्त"- अध्यात्मभावित धर्मके इस विषयकी सीमाके बाहर कोई भी प्रकल्प सर्वथा असम्भव है।*
शङ्कराचार्य स्वामी निश्चलानन्दसरस्वती, पुरी।

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