Jaigurudevukm
February 19, 2025 at 03:47 AM
जयगुरुदेव समय का संदेश 01.01.2025 बाबा जयगुरुदेव आश्रम, उज्जैन। https://youtu.be/pHD5uVLtIUY?si=EQMsolwy_D4H5hT8 *1. सन्त मत सबसे ऊंचा मत होता है।* सन्त मत सबसे आला मत होता है, सबसे ऊंचा मत होता है। जब आप ऊंचे मत से जुड़े हो तो जो इसके सिद्धान्त और उसूल हैं, उसके हिसाब से काम करो। सन्त मत में सबसे पहले क्या है? सबसे पहले सतसंग है। सतसंग सुनते रहोगे तो बहुत सी चीजों की जानकारी होती रहेगी। सतगुरु का सतसंग होता है, सतगुरु के प्रेमियों और भक्तो का सतसंग होता है, साधकों का सतसंग होता है। अलग-अलग सतसंग होते हैं। प्रेमियों, आप समझो कि जिसको जहाँ भी सतसंग मिल जाए, जहाँ भटकाव न हो, जहाँ स्वार्थ न हो, उस सतसंग को सुनते रहना चाहिए। 29.22 - 30.07 *2. कहां नहीं जाना चाहिए?* जहां लोभ की, लालच की, काम जगाने की या क्रोध पैदा करने की बू आ रही हो, वहां नहीं जाना चाहिए। उस को तो तज (छोड़) ही देना चाहिए। जो गुरु का प्यारा हो, जो गुरु की महिमा को गावे, गुरु से जोड़े, उसके पास जाना चाहिए। कहते हैं "जाके प्रिय न राम-बदैही। तजिये ताहि कोटि बैरी सम, जद्यपि परम सनेही॥" तो जो गुरु से दूर करे, उसको तो छोड़ ही देना चाहिए। लेकिन जहां कोई गुरु से प्रेम करावे, गुरु की चर्चा करे, गुरु के मिशन से जोड़े, प्रभु से जोड़ने का उपाय बताए, ध्यान भजन सुमिरन पर ज्यादा जोर दे; खुद भी करे और कराए। उसके सतसंग को सुनते रहना चाहिए। 30.10 - 31.06 *3. शरीर की सेवा में अहो भाग्य समझना चाहिए।* सेवा से बहुत कर्म कटते हैं। सेवा बराबर करते रहना चाहिए। शरीर की सेवा मिल जाए तो अहो भाग्य समझना चाहिए कि हमें दूसरों के लिए भी कुछ करने का मौका मिल रहा है। हम तो शाकाहारी हैं ही, अपने बच्चों को भी शाकाहारी, नशा मुक्त बना दिया, अब हमें दूसरों को बनाने का मौका मिल रहा है। जिम्मेदार लोग हमें मौका दे रहे हैं और हमें जिम्मेदारी इसी बात की मिली हुई है कि गुरु के मिशन को आगे बढ़ाओ, गुरु की बात बताओ, गुरु को, प्रभु को जो भूल रहे हैं, मौत को जो भूल रहे हैं, उनको याद दिलाओ। तो ये जो मौका मिल रहा है, इससे हमें चूकना नहीं चाहिए और इसे अहो भाग्य समझना चाहिए। 31.08 - 31.58
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