Jaigurudevukm
February 28, 2025 at 10:47 AM
https://youtu.be/K9TCjjQJuXg?si=Jm5Ns3RmgNNqzRkR
जयगुरुदेव
समय का संदेश
26.02.2025
बाबा जयगुरुदेव आश्रम, उज्जैन।
1. हमेशा होशियार रहो कि हम कहीं फंस, अटक, लुट न जाएं।
8:40 - 9:13
दिखावे का कोई काम मत करो। आप जो भी करो, अपनी समझ से अच्छा करो और फिर उसकी इच्छा मत करो, "नेकी करो, दरिया में डालो"। हमेशा सजग रहो। हमेशा होशियार रहो कि कहीं फंस न जाएं, कहीं अटक न जाएं, कहीं लुट न जाएं, इस चीज का आप जितने भी नामदानी हो सब लोग ध्यान रखो।
2. किसी से विरोध मत करो लेकिन किसी के बहकावे में मत आओ।
9:14 - 10:25
जो भी आपके समाज का नियम है, मर्यादा है, उसका पालन करो। हम ये नहीं कहते हैं कि आपके जो त्यौहार हैं, इन त्यौहारों को न मनाओ। अगर कोई 'राम-राम' ही कह देता है तो जिद्द न पकड़ो कि हम 'जयगुरुदेव' ही बोलेंगे। चलो भाई
'राम-राम जयगुरुदेव' ही बोल दो। कहने का मतलब यह है कि विरोध किसी का मत करो, लेकिन किसी के कहने में मत आओ। किसी के बहकावे में मत आओ। ये मत सोचो कि 'जयगुरुदेव' नाम हमारा भला नहीं करेगा, हमारा फायदा नहीं करेगा और अगर कहीं आपको बोलने से फायदा नहीं हुआ, सुकून नहीं मिला, शांति नहीं मिली तो आपको इस चीज को समझना चाहिए कि हमारे कर्म कहीं से आ गए और वो गंदे कर्म हमारे भाव नहीं बनने दे रहे हैं। इसलिए अपने कर्मों को देखो कि हमारे कर्म खराब तो नहीं हो रहे हैं। संगत की रीत-नीत के खिलाफ तो हम नहीं जा रहे हैं। इसलिए प्रेमियों! हमेशा इस चीज का ध्यान रखो।
3. शंकर जी का प्रसाद समझकर गांजा, भांग, धतूरा खाना अज्ञानता है।
14.00 - 15.53
समुद्र मंथन में विष (हलाहल) भी निकला था। उसको शंकर जी ने पिया था और ऊपर (गले में) ही रखा था लेकिन वह ऊपर असर करने लग गया था। तब देवताओं (धन्वंतरि वैद्य इत्यादि ) ने धतूरा और भांग को ऊपर से सिर पर रखा। दोनों ज़हरीले होते हैं और दोनों में नशा होता है। कोई ज़हरीली चीज़ आदमी खा लेता है तो हल्का नशा होता है और तेज जहर खा लेता है तो बेहोश/खत्म हो जाता है। तो उस समय की बात है। अब लोगों ने वही प्रणाली बना लिया, फिर उसी को लोग प्रसाद रूप में खाने लग गए। फिर भांग गांजा धतूरा को लोगों ने शंकर जी का प्रसाद मान कर, बूटी समझ कर पीने-खाने लग गए। इसको अज्ञानता कहा जाएगा, उनको ज्ञान नहीं हुआ, उनको कोई ज्ञान कराने वाला नहीं मिला। अब देखो एक आदमी भांग खाने लग गया, तो सब भांग खाने लग जाते हैं। कहते हैं हम शंकर जी के भक्त हैं, गांजा पियेंगे तभी भक्त कहलायेंगे, धतूरा खाएँगे तभी भक्त कहलायेंगे। तो यह अज्ञानता है। प्रेमियों! आप अज्ञानता में मत फंसना। आपको हर चीज की जानकारी समय-समय पर इसलिए करा दी जा रही है कि आपको सब जानकारी हो जाए।
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