⛳सनातन धर्मरक्षक समिति⛳
February 21, 2025 at 08:32 AM
*┈┉सनातन धर्म की जय,हिंदू ही सनातनी है┉┈*
*लेख क्र.-सधस/२०८१/फाल्गुन/कृ./८.-१७०८७*
*┈┉══════❀((""ॐ""))❀══════┉┈*
🟠 *स्वदेशी चिकित्सा* 🟠
*आरोग्यं परमं भाग्यं स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनम्*
♦️ वातादि ज्वरनाथ क्वाथ-
*दुरालभाऽमृता मुस्ता नागरं वातजे ज्वरे ।। अथवा पिप्लीमूलं गुहडूची विश्वभेषजम् । कनीयः पच्चमूलं च पित्ते शक्रयवा धनम् ।। कटुका चेति सक्षौद्रं मुस्ता पर्यटकं यथा। सधन्वयासभूनिम्बं वत्सकाद्यो गणः कफे ।। अथवा वृष-गाङ्गेयीशृङ्गबेर-दुरालभाः । रूग्विबन्धानिलश्लेष्म-युक्ते दीपनपाचनम् ।। अभया-पिप्लीमूल-शम्पाक-कटुका-घनम् ।*
👉अर्थ : वात ज्वर में यवासा, गुडुची तथा नागरमोथा सम भाग का क्वाथ अथवा पिपरामूल, गुडुची तथा सोंठ समभाग इन सबों का क्वाथ देना चाहिए। अथवा लघु पंचमूल (सरिवन, पिठवन, बड़ी कटेरी, छोटी कटेरी, गोखरू) इन्द्रयव का क्वाथ दे। पित्त जवर में नागरमोथा तथा कुटकी समभाग इन सबों का क्वाथ शहद मिलाकर पान कराये। अथवा नागरमोथा, पित्त पापड़ा, यवासा, चिरायता समभाग इन सबों का क्वाथ पान कराये। कफ ज्वर में वत्सकादि गण (इन्द्र जव, मूर्वा, वमनेटी, कुटकी, मरिच, अतवीस, मुण्डी, इलायची, बड़ी पाठा, जीरा, जायफल, अजवायन, सरसो, वच, स्याह-जीरा, हींग, बायविडंग, पशुगन्ध, अजमोद) तथा पच्कील पीपर, पिपरामूल, चब्य, चत्रक सोंठ इन सबों का क्वाथ पिलाना चाहिए। अथवा अडूसा की पत्ती, नागरमोथा, सोठ तथा यवासा समभाग इन सब का क्वाथ पान कराये। वातकफ ज्वर में हर्रे, पिपरामूल, अमलतास, कफअकी तथा नागरमोथा समभाग इन सबों का क्वाथ पीड़ा विबन्ध युक्त वात तथा कफ ज्वर में दीपन-पाचन होता है।
♦️ वात-पित्त ज्वर में द्राक्षादि फाण्ठ या हिम-
*द्राक्षामधूकमधुकं रोघ्रकाश्मर्यसारिवाः ।।मुस्तामलकहीबेर-पद्केसरपद्मकम् ।मृणालचन्दनोशीर-नलोत्पलपरूषकम् ।।फाण्टो हिनो वा द्राक्षादिर्जातीकुसुमवसितः । युक्तो मधुसितालाजैर्जयत् निलपित्तजम् ।। ज्वरं मदात्ययं छर्दि मूर्च्छा दाहं श्रमं भ्रमम्। ऊर्ध्वगं रक्तपित्तं च पिपासां कामलामपि ।।*
👉अर्थ : वात-पित्त ज्वर में मुनक्का, महुआ, मुलेठी, लोघ, गम्भारी, सारिवा, नागरमोथा, आँवला, हाडबेर, कमल का फूल, नागकेशर, पद्माख, कमलनाल, लालचन्दन, खस, नीलकमल तथ फालसा समभाग इन सबों का चूर्ण 25 ग्राम का फाण्ठ या हिम में द्राक्षादिगण के द्रव्य तथा चमेली के फूल से सुगन्धित कर मधु, मिश्री तथा धान का लावा मिलाकर पान कराये। यह वात-पित ज्वर को जीत लेता है और यह योग ज्वर, मदात्यय, वमन, मूर्च्छा, दाह, थकावट, चक्कर आना ऊर्ध्वग रक्तपित, प्यास तथा कामला रोग को भी दूर करता है।🙏✅
*आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः।*
-----------------------------------------------
*समिति के सभी संदेश नियमित पढ़ने हेतु निम्न व्हाट्सएप चैनल को फॉलो किजिए ॥🙏🚩⛳*
https://whatsapp.com/channel/0029VaHUKkCHLHQSkqRYRH2a
▬▬▬▬▬▬๑⁂❋⁂๑▬▬▬▬▬▬
*जनजागृति हेतु लेख प्रसारण अवश्य करें*
कर्मणो ह्यपि बोद्धव्यं बोद्धव्यं च विकर्मणः ।
अकर्मणश्च बोद्धव्यं गहना कर्मणो गतिः ॥
*माता महालक्ष्मी जी की जय*
*⛳⚜सनातन धर्मरक्षक समिति⚜⛳*