⛳सनातन धर्मरक्षक समिति⛳
February 22, 2025 at 08:36 AM
*┈┉सनातन धर्म की जय,हिंदू ही सनातनी है┉┈*
*लेख क्र.-सधस/२०८१/फाल्गुन/कृ./९.-१७०९७*
*┈┉══════❀((""ॐ""))❀══════┉┈*
*┈┉सनातन धर्म की जय,हिंदू ही सनातनी है┉┈*
*लेख क्र.-सधस/२०८१/फाल्गुन/कृ./९.-१७०९७*
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🟠 *स्वदेशी चिकित्सा* 🟠
*आरोग्यं परमं भाग्यं स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनम्*
♦️ज्वर नाशक कुटकी स्वरस-
*पाचयेत्त्कटुकां पिष्ट्वा कर्परेऽभिनवे शुचौ । निष्पीडितो घृतयुतस्तद्रसो ज्वरदाहजित् ।।*
👉अर्थ : कुटकी को जल के साथ पीसकर पवित्र तथा नवीन मिट्टी के पात्र में पकावें और कपड़ा में रख तथा निचोड़ कर रस निकाल लें और घृत के साथ पान कराये। यह ज्वर तथा दाह को शान्त करता है।
♦️वात-कफ ज्वर में घचादि क्वाथ-
*कफवाते वचा तिक्तापाठाऽऽरग्वधवत्सकाः ।पिप्लीचूर्णयुक्तो वा क्वाथश्छिन्नोद्भवोद्भवः ।।*
👉अर्थ : वात-कफ जन्म ज्वर में वच, कुटकी, पाटा, अमल तास तथ कुरैया का छाल समभाग इन सबों के क्याथ में पीपर का चूर्ण मिलाकर या गुडूची के क्वाथ में पीपल चूर्ण मिलाकर पान कराये।
♦️वातकफ ज्वर में व्याघ्यादि क्वाथ-
*व्याघ्रीशुण्ठयमृताक्वाथः पिप्पलीचूर्णसंयुतः ।वातश्लेष्मज्वरश्वास-कासपीनसशूलजित् ।।*
👉अर्थ : वात-कफ जन्य ज्वर में कण्ठकारी, सोंठ तथा गुडूची समभाग इन सबों के क्वाथ में पीपल का चूर्ण मिलाकर पान कराये। यह वात-कफ जन्य ज्वर, श्वास रोग, कास-रोग पीनस तथा शूल को दूर करता है।
♦️वात कफ ज्वर में *पथ्यादि क्वाथपथ्याकुस्तुम्बरीमुसता-शुण्ठीकट्तृणपर्पटम् । सकट्फल-वचाभाडीदेवाहूं मधुहिड्रमत् ।। कफवातज्वरेष्वेव कुक्षिहत्पार्श्ववेदनाः । कण्ठामयास्यश्वयथु-कासश्वासान्नियच्छति ।।*
👉अर्थ : हर्रे, धनियाँ, नागर मोथा, सोंठ, कतृण (गन्ध तृण), पित्त पापड़ा, जायफल, मीठावच, वमनैठी तथा देवदारू, समभाग इन सबों के क्वाथ में घृतभृष्ठ हींग तथा मधु मिलाकर, वातकफ ज्वर में पान कराये। यह वात-कफ ज्वर में ही उदरशूल, हृदयशूल तथा पार्श्व वेदना और कण्ठ रोग, मुखरोग, शोथ, कास एवं श्वास रोग को दूर करता है।🙏✅
*आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः।*
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कर्मण्यकर्म यः पश्येदकर्मणि च कर्म यः ।
स बुद्धिमान्मनुष्येषु स युक्तः कृत्स्नकर्मकृत् ॥
*शनिदेव भगवान जी की जय*
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