पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ जी
February 22, 2025 at 10:37 AM
ध्यान से पढो़
आंखें खोलने की जरूरत है।
यह वह अज़ान हैं जिसके खत्म होते ही काफिरों के घर जलाने का हुकुम दिया गया.
यह वह अज़ान हैं जिसके फौरन बाद पागल भीड ने हमें कत्ल करने का फरमान अंजाम फरमाया.
यह वह अज़ान है जब यह तय किया गया कि हिंदू मर्द शाम को सकुशल घर न लौटे.
यह वह अज़ान है जब हमारी लाशों को बारिवायत टुकडा टुकडा काटा गया और हर टुकडे पर नाचा गया.
यह वह अज़ान है जिसके तुरंत बाद सोनी राज़दान को घर में घर के साथ जिंदा जलाया गया.
यह वह अज़ान जिसके खत्म होते ही कितनी स्त्रियों को रौंदा गया.काफिरी का दण्ड यों पूरा किया गया कि फिर उनको बारिवायत आरों पर चीरा गया .चीरे हुए टुकडों को पुलों के नीचे दफनाया गया.कितना सुनोगे बस जान लो मित्रों.
वे जो उपदेश देते हैं ऱूह में उतारने का.अरे भाई तभी तो रूह काम्पती है.मगर मित्र! ज़रा खुद को टटोलो.क्या जिस्म में रूह है भी कहीं आपके.मुझे नहीं लगता.ज़रा ठीक से टटोलो,जिसे रूह समझ बैठे हो वह उन शातिरों ने रूई का एक फाहा तो नही रखा ,जो रूह को उडा कर ले गए हैं,और आपको अभी तक पता भी नही चलने दिया या आपने मन से उसकी बिक्री की हो और...अस्तु.
सहिष्णुता का उपदेश देने वाले गुरू लोगो! तुम किताब पढी बात करते रहो आंख देखी,कानों सुनी और चाम पर झेले नरसंहार बंधु हर अज़ान के बाद किए गए.आर एस एसियों!(मैं नहीं जानती कि सच लिखा है या झूठ,फिर भी)मैं तुम्हारे लाइक के लिए नहीं लिखती.सच के लिए लिखती हूं.
आशा हैं सब की जिज्ञासाएं शांत हुई होंगी.
Kshama kaul जी का अद्वितीय लेख
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