🙏🌳जाभाणी आदर्श संस्था 🌳
February 28, 2025 at 05:14 PM
*भीग्या है पण भेदया नाहीं पाणी मांही पखाणो* अर्थात् जो व्यक्ति अपनी मनमर्जी और मनमुखी विचारधारा का होता है, ज़िदी होता है, अहंकारी होता है , स्वेच्छाचारी होता है और सतगुरु के उपदेशों और सबदवाणी का अपना ही मनमुखी भावार्थ करके दूसरों को भी भ्रमित करने का प्रयास करता है, विष्णु भगवान को और विष्णु भगवान के अवतार गुरु जम्भेश्वर भगवान को जाया हुआ जीव कहता है, नृसिंह अवतार के रूप जिसमें उनका रूप ऊपर से आधा सिंह और नीचे से आधा नर रूप होता है उसको नहीं मानता है, विसन और विष्णु को दो अलग अलग सत्ता या अलग अलग भगवान मानता है, निराकार और साकार को भी अलग अलग भगवान मानता है, जांभाणी साहित्य में संत विल्हो जी द्वारा लिखे गए उन साहित्यों को, जिनमें गुरु जम्भेश्वर भगवान द्वारा किए गए चमत्कारों का उल्लेख है, उन साहित्य को गपोड़े मानता है, विष्णु भगवान को आण देवता और काल्पनिक कहता है, विष्णु भगवान को मानने वालों को पाखंडी षड्यंत्रकारी नॉनसेंस और कौरवों की मंडली कहता है वो व्यक्ति उसी पत्थर के समान है जो पानी में रह कर भी कभी भी अन्दर से भीग नहीं पाता और केवल ऊपर ऊपर से ही कुछ देर के लिए ही भीगा हुआ दिखाई देता है लेकिन रहता सूखाहै
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