Jeevan Ki Anmol Nidhi
Jeevan Ki Anmol Nidhi
February 5, 2025 at 03:30 AM
चौबे जी नाम के एक सच्चे एवं स्पष्ट वादी सज्जन पुलिस में कार्यरत थे । वे हमारी दुकान से कपड़ा 🧥🥼🦺उधार ले जाया करते थे तथा समय पर रुपए वापस कर देते थे ।अंतिम बार जब कपड़ा उधार खरीदा तब उन्हें यह नहीं मालूम था कि उनका अंतिम समय आ गया है। वे कपड़ा खरीद कर अपने गांव🏘️ चले गए, वहां जाकर बीमार पड़ गए और उन्हें भरोसा हो गया कि अब बचना मुश्किल है ।उनके इकलौते पुत्र को मालूम पड़ा तो वह सेवा- शुश्रूषा के लिए ग्वालियर से अपने गांव चला आया। चौबे जी ने अपने बेटे से कहा- रामदेव.... ! भूल मत जाना,.... मैं  ग्वालियर   से   भूरा सेठ   की   दुकान   से  कपड़ा उधार लाया था। मेरे मरणोपरांत तुम उनके रुपए 💰जरूर दे आना। भगवान की मर्जी कुछ दिन बाद उनकी जीवन-लीला समाप्त हो गई। रामदेव को ग्वालियर में सर्विस पर ड्यूटी ज्वाइन करनी थी अतः वे वापस आ गए। इधर देहावसान के कुछ दिन बाद हमें मालूम पड़ा कि चौबे जी का स्वर्गवास हो गया । हमारे मन में विचार आया कि चौबे जी तो बड़े सच्चे, ईमानदार ⚖️तथा स्पष्टभाषी एवं हमारे अत्यंत प्रेमी❤️ थे,उनके खाते में हमारे रुपए लेना निकल रहे हैं ,भगवान की बही 📒में भी जरूर बाकी निकल रही होगी। चौबे जी को कहीं उसकी सजा न मिल जाए इसलिए हमने अपनी अपनी जेब से रुपए निकालकर दुकान के गल्ले में रख दिए और खाते में जमा कर दिए। Join on Whatsapp https://whatsapp.com/channel/0029Va5GBzR3LdQRNbVAAl3j https://chat.whatsapp.com/Gd2tRkmNLXtDOnYe5Up6AH पांच-सात दिन बाद उनके सुपुत्र आए और बोले पिताजी की तरफ कितने रुपए देना बाकी है? हमने कहा कुछ नहीं लेना है वे बोले पिताजी ने मृत्यु से पहले मुझे कहा है कि तुम रुपए जरूर देकर आना। हम दोनों में रुपए लेने तथा न देने के विषय में बहस होती रही। आखिर वे बोले कि आप अपना खाता निकालें। हमने खाता निकाल कर उन्हें दिखा दिया ।उन्होंने जमा की तारीख पकड़ ली और हंस कर कहा कि हमारे पिताजी तो इस तारीख के 10 दिन पूर्व स्वर्ग लोग पधार चुके थे, रुपए कौन जमा कर गया ,क्या वे स्वर्ग से आकर जमा कर गए? हम ने उत्तर दिया कि हमारे यहां खाते में जमा है इसलिए हम रुपए नहीं लेंगे। वे फिर हंसकर बोले कि आप झूठे और आपका खाता झूठा ।हमने सोचा कि ये तो सच्चे और स्पष्ट भाषी पिता के पुत्र हैं। आखिर हमने मान लिया और सच्ची बात बता दी और निवेदन किया कि भाई चौबे जी  आपके पिता और हमारे मित्र थे। हम उन्हें बहुत आदर की दृष्टि से देखते थे इसलिए कृपा करो। वे नहीं माने और हठ पूर्वक हमें पूरे रुपए दे गए।     आज के महान घोर कलयुग में ऐसी भी नजीर देखने को मिल जाती है ।धन्य है स्वर्गवासी पिता को एवं पितृ भक्त आज्ञाकारी पुत्र को।🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *कहानी से सीख-- अच्छी या बुरी नीति से जो भी हम कमाते हैं उसका असर हमारी संतान पर पड़ता है और वह वैसे ही रास्ते पर चल पड़ती है इसलिए हमें हमेशा सच्चाई और ईमानदारी का रास्ता चुनना चाहिए जिसका असर हमारी आने वाली पीढ़ियों पर पड़े और हम दुनिया के लिए मिसाल बन जाएं।* 🙏🙏 *जो प्राप्त है-पर्याप्त है* *जिसका मन मस्त है* *उसके पास समस्त है!!* ° मानव ही सबसे बड़ी जाति ° ° मानवता ही सबसे बड़ा धर्म ° Join the telegram group https://t.me/+0qiDzhylk9g5MGE9 Join on Facebook https://www.facebook.com/JeevanKiAnmolNidhi Subscribe on YouTube https://www.youtube.com/@devchandel.goojdex Follow on Instagram https://www.instagram.com/devchandel.goojdex आप भी अपने जानकर , दोस्त और परिवार के सदस्यों को add कर सकते है जिससे सभी को कहानी से प्रेरणा मिल सके  और ज्यादा से ज्यादा लाभ हो धन्यवाद। संकलन कर्ता- Dev Chandel CEO & Founder GoojDex *हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्* https://onlinestoremarkets.blogspot.com https://goojdex.blogspot.com https://devchandel.blogspot.com

Comments