
Jeevan Ki Anmol Nidhi
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फ़ोन की घंटी तो सुनी मगर आलस की वजह से रजाई में ही लेटी रही। उसके पति राहुल को आखिर उठना ही पड़ा। दूसरे कमरे में पड़े फ़ोन की घंटी बजती ही जा रही थी। इतनी सुबह कौन हो सकता है जो सोने भी नहीं देता, इसी चिड़चिड़ाहट में उसने फ़ोन उठाया। “हेल्लो, कौन” तभी दूसरी तरफ से आवाज सुन सारी नींद खुल गयी। “नमस्ते पापा।” “बेटा, बहुत दिनों से तुम्हे मिले नहीं सो हम दोनों ११ बजे की गाड़ी से आ रहे है। दोपहर का खाना साथ में खा कर हम ४ बजे की गाड़ी वापिस लौट जायेंगे। ठीक है।” “हाँ पापा, मैं स्टेशन पर आपको लेने आ जाऊंगा।” फ़ोन रख कर वापिस कमरे में आ कर उसने रचना को बताया कि मम्मी पापा ११ बजे की गाड़ी से आरहे है और दोपहर का खाना हमारे साथ ही खायेंगे। . रजाई में घुसी रचना का पारा एक दम सातवें आसमान पर चढ़ गया। “कोई इतवार को भी सोने नहीं देता, अब सबके के लिए खाना बनाओ। पूरी नौकरानी बना दिया है।” गुस्से से उठी और बाथरूम में घुस गयी। राहुल हक्का बक्का हो उसे देखता ही रह गया। जब वो बाहर आयी तो राहुल ने पूछा “क्या बनाओगी।” गुस्से से भरी रचना ने तुनक के जवाब दिया “अपने को तल के खिला दूँगी।” राहुल चुप रहा और मुस्कराता हुआ तैयार होने में लग गया, स्टेशन जो जाना था। थोड़ी देर बाद ग़ुस्सैल रचना को बोल कर वो मम्मी पापा को लेने स्टेशन जा रहा है वो घर से निकल गया। . रचना गुस्से में बड़बड़ाते हुए खाना बना रही थी। दाल सब्जी में नमक, मसाले ठीक है या नहीं की परवाह किए बिना बस करछी चलाये जा रही थी। कच्चा पक्का खाना बना बेमन से परांठे तलने लगी तो कोई कच्चा तो कोई जला हुआ। आखिर उसने सब कुछ ख़तम किया, नहाने चली गयी। . नहा के निकली और तैयार हो सोफे पर बैठ मैगज़ीन के पन्ने पलटने लगी।उसके मन में तो बस यह चल रहा था कि सारा संडे खराब कर दिया। बस अब तो आएँ , खाएँ और वापिस जाएँ । थोड़ी देर में घर की घंटी बजी तो बड़े बेमन से उठी और दरवाजा खोला। दरवाजा खुलते ही उसकी आँखें हैरानी से फटी की फटी रह गयी और मुँह से एक शब्द भी नहीं निकल सका। ⭐️ Join on Whatsapp https://whatsapp.com/channel/0029Va5GBzR3LdQRNbVAAl3j https://chat.whatsapp.com/Gd2tRkmNLXtDOnYe5Up6AH सामने राहुल के नहीं उसके अपने मम्मी पापा खड़े थे जिन्हें राहुल स्टेशन से लाया था। . मम्मी ने आगे बढ़ कर उसे झिंझोड़ा “अरे, क्या हुआ। इतनी हैरान परेशान क्यों लग रही है। क्या राहुल ने बताया नहीं कि हम आ रहे हैं।” जैसे मानो रचना के नींद टूटी हो “नहीं, मम्मी इन्होंने तो बताया था पर…. रर… रर। चलो आप अंदर तो आओ।” राहुल तो अपनी मुसकराहट रोक नहीं पा रहा था। . कुछ देर इधर उधर की बातें करने में बीत गया। थोड़ी देर बाद पापा ने कहाँ “रचना, गप्पे ही मारती रहोगी या कुछ खिलाओगी भी।” यह सुन रचना को मानो साँप सूँघ गया हो। क्या करती, बेचारी को अपने हाथों ही से बनाए अध पक्के और जले हुए खाने को परोसना पड़ा। मम्मी पापा खाना तो खा रहे थे मगर उनकी आँखों में एक प्रश्न था जिसका वो जवाब ढूँढ रहे थे। आखिर इतना स्वादिष्ट खाना बनाने वाली उनकी बेटी आज उन्हें कैसा खाना खिला रही है। . रचना बस मुँह नीचे किए बैठी खाना खा रही थी। मम्मी पापा से आँख मिलाने की उसकी हिम्मत नहीं हो पा रही थी। खाना ख़तम कर सब ड्राइंग रूम में आ बैठे। राहुल कुछ काम है अभी आता हुँ कह कर थोड़ी देर के लिए बाहर निकल गया। राहुल के जाते ही मम्मी, जो बहुत देर से चुप बैठी थी बोल पड़ी “क्या राहुल ने बताया नहीं था की हम आ रहे हैं।” . तो अचानक रचना के मुँह से निकल गया “उसने सिर्फ यह कहाँ था कि मम्मी पापा लंच पर आ रहे हैं, मैं समझी उसके मम्मी पापा आ रहे हैं।” फिर क्या था रचना की मम्मी को समझते देर नहीं लगी कि ये मामला है। बहुत दुखी मन से उन्होंने रचना को समझाया “बेटी, हम हों या उसके मम्मी पापा तुम्हे तो बराबर का सम्मान करना चाहिए। मम्मी पापा क्या, कोई भी घर आए तो खुशी खुशी अपनी हैसियत के मुताबिक उसकी सेवा करो। बेटी, जितना किसी को सम्मान दोगी उतना तुम्हे ही प्यार और इज़्ज़त मिलेगी। जैसे राहुल हमारी इज़्ज़त करता है उसी तरह तुम्हे भी उसके माता पिता और सम्बन्धियों की इज़्ज़त करनी चाहिए। रिश्ता कोई भी हो, हमारा या उसका, कभी फर्क नहीं करना।” रचना की आँखों में ऑंसू आ गए और अपने को शर्मिंदा महसूस कर उसने मम्मी को वचन दिया कि आज के बाद फिर ऐसा कभी नहीं होगा..! 🙏🙏 *जो प्राप्त है-पर्याप्त है* *जिसका मन मस्त है* *उसके पास समस्त है!!* ° मानव ही सबसे बड़ी जाति ° ° मानवता ही सबसे बड़ा धर्म ° ⭐️ Join the telegram group https://t.me/+0qiDzhylk9g5MGE9 ⭐️ Join on Facebook https://www.facebook.com/JeevanKiAnmolNidhi ⭐️ Subscribe on YouTube https://www.youtube.com/@devchandel.goojdex ⭐️ Follow on Instagram https://www.instagram.com/devchandel.goojdex आप भी अपने जानकर , दोस्त और परिवार के सदस्यों को add कर सकते है जिससे सभी को कहानी से प्रेरणा मिल सके और ज्यादा से ज्यादा लाभ हो धन्यवाद। संकलन कर्ता- Dev Chandel CEO & Founder GoojDex ⭐️*हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्*⭐️ https://onlinestoremarkets.blogspot.com https://goojdex.blogspot.com https://devchandel.blogspot.com

*💐It's my *Pleasure(मेरा सौभाग्य)💐* बहुत दिनो से *Pleasure* गाडी का उपयोग नही होने से, वह पडी पडी खराब होने जैसी स्थिति में पहुंच रही थी। विचार आया Olx पे बेच दे,Add डाला किमत *Rs 30000/-* बहुत आफर आये 15 से 28 हजार तक। मुझे लगा यदि 28 मिल रहे तो, कोई 29-30 देगा भी।एक का 29 का प्रस्ताव आया। उसे भी waiting में रखा। एक सुबह काल आया, उसने कहा साहब नमस्कार , आपकी गाडी का add देखा। पसंद भी आयी है। परंतु 30 जमाने का बहुत प्रयत्न किया, 24 ही इकठ्ठा कर पाया हूँ। बेटा इंजिनियरिंग के अंतिम वर्ष में है। बहुत मेहनत किया है उसने। कभी पैदल, कभी सायकल, कभी बस, कभी किसी के साथ। सोचा अंतिम वर्ष तो वह अपनी गाडी से ही जाये। आप कृपया Pleasure मुझे ही दिजीएगा। नयी गाडी दुगनी किमत से भी ज्यादा है। मेरी हैसियत से बहुत ज्यादा है। थोडा समय दिजीए। मै पैसो का इंतजाम करता हूँ। मोबाइल बेच कर कुछ रुपये मिलेंगें। परंतु हाथ जोड़कर कर निवेदन है साहब, Pleasure मुझे ही दिजीएगा। मैने औपचारिकता में मात्र Ok बोलकर फोन रख दिया। कुछ विचार मन में आये। वापस काल बैक किया और कहा -आप अपना मोबाइल मत बेचिए, कल सुबह केवल 24 हजार लेकर आईए,गाडी आप ही ले जाईए वह भी मात्र 24 में ही,,मेरे पास 29 का प्रस्ताव होने पर भी 24 में किसी अपरिचित व्यक्ति को मै *Pleasure* देने जा रहा था। ⭐️ Join on Whatsapp https://whatsapp.com/channel/0029Va5GBzR3LdQRNbVAAl3j https://chat.whatsapp.com/Gd2tRkmNLXtDOnYe5Up6AH सोचा उस परिवार में आज कितने Pleasure या आनंद का निर्माण हुआ होगा। कल उनके घर *Pleasure* आएगी। और मुझे ज्यादा नुकसान भी नहीं हो रहा था।ईश्वर ने बहुत दिया है और सबसे बडा धन समाधान है जो कूट-कूटकर दिया है। अगली सुबह उसने कम से कम 6-7 बार फोन किया ,साहब कितने बजे आऊ, आपका समय तो नही खराब होगा।पक्का लेने आऊं, बेटे को लेकर या अकेले आऊ। पर साहब Pleasure गाडी किसी को और नही दिजीएगा। वह 2000,500,200,100,50 के नोटों का संग्रह लेकर आया, साथ में बेटा भी था। ऐसा लगा, पता नही कहा कहा से निकाल कर या मांग कर या इकठ्ठा कर यह पैसे लाया है। एकदम आतुरता और कृतज्ञता से *Pleasure* को देख रहा था। मैने उसे दोनो चाबियां दी, कागज दिये। बेटा गाडी पर विनम्रतापूर्वक हाथ फेर रहा था। रुमाल निकास कर पोछ रहा था। उसनें पैसे गिनने कहा, मैने कहा आप गिनकर ही लाये है, कोई दिक्कत नहीं। जब जाने लगे, तो मैने उन्हे 500 का एक नोट वापस करते कहाँ, *घर जाते मिठाई लेते जाएगा*। सोच यह थी कि कही तेल के पैसे है या नही। और यदि है तो मिठाई और तेल दोनो इसमें आ जायेंगें। आँखों में कृतज्ञता के आंसु लिये उसने हमसे विदा ली और अपनी *Pleasure* ले गया। जाते समय बहुत ही आतुरता और विनम्रता से झुककर अभिवादन किया। बार बार आभार व्यक्त किया। हम लोग सहज भाव में कहते है *it's my pleasure* परंतु आज Pleasure बेचते समय ही पता चला कि वास्तव में Pleasure होता क्या है। जीवन में कुछ व्यवहार करते समय नफा नुकसान नहीं देखना चाहिए। अपने माध्यम से किसी को क्या सचमें कुछ आनंद प्राप्त हुआ यह देखना भी होता है। करबद्ध निवेदन है कि ईश्वर ने आपको कुछ देने लायक बनाया हो या नही, किसी एक व्यक्ति को सुख देने या खुशी देने लायक तो बनाया ही है। आज सब्जी वाली किसी बुजुर्ग महिला या पुरुष को अपनी ओर से केवल 5 या 10 रुपये अधिक देकर देखिएगा, वही *Pleasure* न आये तो कहना। 🙏🙏 *जो प्राप्त है-पर्याप्त है* *जिसका मन मस्त है* *उसके पास समस्त है!!* *SIP करो मस्त रहो।* *जो प्राप्त है-पर्याप्त है* *जिसका मन मस्त है* *उसके पास समस्त है!!* ° मानव ही सबसे बड़ी जाति ° ° मानवता ही सबसे बड़ा धर्म ° ⭐️ Join the telegram group https://t.me/+0qiDzhylk9g5MGE9 ⭐️ Join on Facebook https://www.facebook.com/JeevanKiAnmolNidhi ⭐️ Subscribe on YouTube https://www.youtube.com/@devchandel.goojdex ⭐️ Follow on Instagram https://www.instagram.com/devchandel.goojdex आप भी अपने जानकर , दोस्त और परिवार के सदस्यों को add कर सकते है जिससे सभी को कहानी से प्रेरणा मिल सके और ज्यादा से ज्यादा लाभ हो धन्यवाद। संकलन कर्ता- Dev Chandel CEO & Founder GoojDex ⭐️*हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्*⭐️ https://onlinestoremarkets.blogspot.com https://goojdex.blogspot.com https://devchandel.blogspot.com

🙏 *ईश्वर बहुत दयालु है*🙏 *एक राजा का एक विशाल फलों का बगीचा था. उसमें तरह-तरह के फल होते थे और उस बगीचा की सारी देखरेख एक किसान अपने परिवार के साथ करता था. वह किसान हर दिन बगीचे के ताज़े फल लेकर राजा के राजमहल में जाता था*. *एक दिन किसान ने पेड़ों पे देखा नारियल अमरुद, बेर, और अंगूर पक कर तैयार हो रहे हैं, किसान सोचने लगा आज कौन सा फल महाराज को अर्पित करूँ, फिर उसे लगा अँगूर करने चाहिये क्योंकि वो तैयार हैं इसलिये उसने अंगूरों की टोकरी भर ली और राजा को देने चल पड़ा! किसान जब राजमहल में पहुचा, राजा किसी दूसरे ख्याल में खोया हुआ था और नाराज भी लग रहा था किसान रोज की तरह मीठे रसीले अंगूरों की टोकरी राजा के सामने रख दी और थोड़े दूर बेठ गया, अब राजा उसी खयालों-खयालों में टोकरी में से अंगूर उठाता एक खाता और एक खींच कर किसान के माथे पे निशाना साधकर फेंक देता।* *राजा का अंगूर जब भी किसान के माथे या शरीर पर लगता था* *किसान कहता था, ‘ईश्वर बड़ा दयालु है’ राजा फिर और जोर से* *अंगूर फेकता था किसान फिर वही कहता था ‘ईश्वर बड़ा दयालु है’* ⭐️ Join on Whatsapp https://whatsapp.com/channel/0029Va5GBzR3LdQRNbVAAl3j https://chat.whatsapp.com/Gd2tRkmNLXtDOnYe5Up6AH *थोड़ी देर बाद राजा को एहसास हुआ की वो क्या कर रहा है और* *प्रत्युत्तर क्या आ रहा है वो सम्भल कर बैठा , उसने किसान से कहा, मै तुझे बार-बार अंगूर मार रहा हूँ , और ये अंगूर तुंम्हे लग भी रहे हैं, फिर भी तुम यह बार-बार क्यों कह रहे हो की ‘ईश्वर बड़ा दयालु है’ *किसान ने नम्रता से बोला, महाराज, बागान में आज नारियल, बेर और अमरुद भी तैयार थे पर मुझे भान हुआ क्यों न आज आपके लिये अंगूर् ले चलूं लाने को मैं अमरुद और बेर भी ला सकता था पर मैं अंगूर लाया। यदि अंगूर की जगह नारियल, बेर या बड़े बड़े अमरुद रखे होते तो आज मेरा हाल क्या होता ? इसीलिए मैं कह रहा हूँ कि ‘ईश्वर बड़ा दयालु है’!!* *कथा सार--* *इसी प्रकार ईश्वर भी हमारी कई मुसीबतों को बहुत हल्का कर के हमें उबार लेता है पर ये तो हम ही नाशुकरे हैं जो शुकर न करते हुए उसे ही गुनहगार ठहरा देते हैं, मेरे साथ ही ऐसा क्यूँ , मेरा क्या कसूर, आज जो भी फसल हम काट रहे हैं ये दरअसल हमारी ही बोई हुई है, बोया बीज बबूल का तो आम कहाँ से होये।। और बबुल से अगर आम न मिला तो गुनहगार भी हम नहीं हैं , इसका भी दोष हम किसी और पर मढेंगे ,, कोई और न मिला तो ईश्वर तो है ही ।* *आज हमारे पास जो कुछ भी है अगर वास्तविकता के धरातल पर खड़े होकर देखेंगे तो वास्तव में हम इसके लायक भी नही हैं पर उसके बावजूद मेरे ईश्वर ने मुझे जरूरत से ज़्यादा दिया है और बजाय उसका शुकर करने के हम उसे हमेशा दोष ही देते रहते हैं। पर वो तो हमारा पिता है हमारी माता है किसी भी बात का कभी बुरा नहीं मानता और अपनी नेमतें हम पर बरसाता रहता है। अगर एक बार उसकी बख्शिसों की तरफ देखेंगे तो सारी उम्र के भी शुकराने कम पड़ेंगे.❗* 🙏🙏 *जो प्राप्त है-पर्याप्त है* *जिसका मन मस्त है* *उसके पास समस्त है!!* ° मानव ही सबसे बड़ी जाति ° ° मानवता ही सबसे बड़ा धर्म ° ⭐️ Join the telegram group https://t.me/+0qiDzhylk9g5MGE9 ⭐️ Join on Facebook https://www.facebook.com/JeevanKiAnmolNidhi ⭐️ Subscribe on YouTube https://www.youtube.com/@devchandel.goojdex ⭐️ Follow on Instagram https://www.instagram.com/devchandel.goojdex आप भी अपने जानकर , दोस्त और परिवार के सदस्यों को add कर सकते है जिससे सभी को कहानी से प्रेरणा मिल सके और ज्यादा से ज्यादा लाभ हो धन्यवाद। संकलन कर्ता- Dev Chandel CEO & Founder GoojDex ⭐️*हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्*⭐️ https://onlinestoremarkets.blogspot.com https://goojdex.blogspot.com https://devchandel.blogspot.com

*💐💐संस्कारो पर नाज*💐💐 बेटा अब खुद कमाने वाला हो गया था ... इसलिए बात-बात पर अपनी माँ से झगड़ पड़ता था ये वही माँ थी जो बेटे के लिए पति से भी लड़ जाती थी। मगर अब फाइनेसिअली इंडिपेंडेंट बेटा पिता के कई बार समझाने पर भी इग्नोर कर देता और कहता, "यही तो उम्र है शौक की,खाने पहनने की, जब आपकी तरह मुँह में दाँत और पेट में आंत ही नहीं रहेगी तो क्या करूँगा।" बहू खुशबू भी भरे पूरे परिवार से आई थी, इसलिए बेटे की गृहस्थी की खुशबू में रम गई थी। बेटे की नौकरी अच्छी थी तो फ्रेंड सर्किल उसी हिसाब से मॉडर्न थी। बहू को अक्सर वह पुराने स्टाइल के कपड़े छोड़ कर मॉडर्न बनने को कहता, मगर बहू मना कर देती ..... वो कहता "कमाल करती हो तुम, आजकल सारा ज़माना ऐसा करता है,मैं क्या कुछ नया कर रहा हूँ। तुम्हारे सुख के लिए सब कर रहा हूँ और तुम हो कि उन्हीं पुराने विचारों में अटकी हो। क्वालिटी लाइफ क्या होती है तुम्हें मालूम ही नहीं।" और बहू कहती "क्वालिटी लाइफ क्या होती है, ये मुझे जानना भी नहीं है, क्योकि लाइफ की क्वालिटी क्या हो, मैं इस बात में विश्वास रखती हूँ।" आज अचानक पापा आई. सी. यू. में एडमिट हुए थे। हार्ट अटेक आया था। डॉक्टर ने पर्चा पकड़ाया, तीन लाख और जमा करने थे। डेढ़ लाख का बिल तो पहले ही भर दिया था मगर अब ये तीन लाख भारी लग रहे थे। वह बाहर बैठा हुआ सोच रहा था कि अब क्या करे। उसने कई दोस्तों को फ़ोन लगाया कि उसे मदद की जरुरत है, मगर किसी ने कुछ तो किसी ने कुछ बहाना कर दिया। आँखों में आँसू थे और वह उदास था तभी खुशबू खाने का टिफिन लेकर आई और बोली,"अपना ख्याल रखना भी जरुरी है। ऐसे उदास होने से क्या होगा? हिम्मत से काम लो, बाबू जी को कुछ नहीं होगा आप चिन्ता मत करो। कुछ खा लो फिर पैसों का इंतजाम भी तो करना है आपको मैं यहाँ बाबूजी के पास रूकती हूँ आप खाना खाकर पैसों का इंतजाम कीजिये। "पति की आँखों से टप-टप आँसू झरने लगे। ⭐️ Join on Whatsapp https://whatsapp.com/channel/0029Va5GBzR3LdQRNbVAAl3j https://chat.whatsapp.com/Gd2tRkmNLXtDOnYe5Up6AH "कहा न आप चिन्ता मत कीजिये। जिन दोस्तों के साथ आप मॉडर्न पार्टियां करते हैं आप उनको फ़ोन कीजिये, देखिए तो सही, कौन कौन मदद को आता हैं। "पति खामोश और सूनी निगाहों से जमीन की तरफ़ देख रहा था। कि खुशबू का हाथ उसकी पीठ पर आ गया। और वह पीठ को सहलाने लगी। "सबने मना कर दिया। सबने कोई न कोई बहाना बना दिया खुशबू।आज पता चला कि ऐसी दोस्ती तब तक की है जब तक जेब में पैसा है। किसी ने भी हाँ नहीं कहा जबकि उनकी पार्टियों पर मैंने लाखों उड़ा दिये।" "इसी दिन के लिए बचाने को तो माँ-बाबा कहते थे। खैर, कोई बात नहीं, आप चिंता न करो, हो जाएगा सब ठीक। कितना जमा कराना है?" "अभी तो तनख्वाह मिलने में भी समय है, आखिर चिन्ता कैसे न करूँ खुशबू ?" "तुम्हारी ख्वाहिशों को मैंने सम्हाल रखा है।" "क्या मतलब....?" "तुम जो नई नई तरह के कपड़ो और दूसरी चीजों के लिए मुझे पैसे देते थे वो सब मैंने सम्हाल रखे हैं। माँ जी ने फ़ोन पर बताया था, तीन लाख जमा करने हैं। मेरे पास दो लाख थे। बाकी मैंने अपने भैया से मंगवा लिए हैं। टिफिन में सिर्फ़ एक ही डिब्बे में खाना है बाकी में पैसे हैं।" खुशबू ने थैला टिफिन सहित उसके हाथों में थमा दिया। "खुशबू ! तुम सचमुच अर्धांगिनी हो, मैं तुम्हें मॉडर्न बनाना चाहता था, हवा में उड़ रहा था। मगर तुमने अपने संस्कार नहीं छोड़े. आज वही काम आए हैं। " *सामने बैठी माँ के आँखो में आंसू थे उसे आज खुद के नहीं बल्कि पराई माँ के संस्कारो पर नाज था और वो बहु के सर पर हाथ फेरती हुई ऊपरवाले का शुक्रिया अदा किया 🙏🙏 *जो प्राप्त है-पर्याप्त है* *जिसका मन मस्त है* *उसके पास समस्त है!!* ° मानव ही सबसे बड़ी जाति ° ° मानवता ही सबसे बड़ा धर्म ° ⭐️. Join the telegram group https://t.me/+0qiDzhylk9g5MGE9 ⭐️ Join on Facebook https://www.facebook.com/JeevanKiAnmolNidhi ⭐️ Subscribe on YouTube https://www.youtube.com/@devchandel.goojdex ⭐️ Follow on Instagram https://www.instagram.com/devchandel.goojdex आप भी अपने जानकर , दोस्त और परिवार के सदस्यों को add कर सकते है जिससे सभी को कहानी से प्रेरणा मिल सके और ज्यादा से ज्यादा लाभ हो धन्यवाद। संकलन कर्ता- Dev Chandel CEO & Founder GoojDex ⭐️*हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्*⭐️ https://onlinestoremarkets.blogspot.com https://goojdex.blogspot.com https://devchandel.blogspot.com

*"ज्ञान की चार बात"* ।।प्राचीन गाथा।। एक राजा के विशाल महल में एक सुंदर वाटिका थी, जिसमें अंगूरों की एक बेल लगी थी। वहां रोज एक चिड़िया आती और मीठे अंगूर चुन-चुनकर खा जाती और अधपके और खट्टे अंगूरों को नीचे गिरा देती। माली ने चिड़िया को पकड़ने की बहुत कोशिश की पर वह हाथ नहीं आई। हताश होकर एक दिन माली ने राजा को यह बात बताई। यह सुनकर भानुप्रताप को आश्चर्य हुआ। उसने चिड़िया को सबक सिखाने की ठान ली और वाटिका में छिपकर बैठ गया। जब चिड़िया अंगूर खाने आई तो राजा ने तेजी दिखाते हुए उसे पकड़ लिया। जब राजा चिड़िया को मारने लगा, तो चिड़िया ने कहा, *'हे राजन, मुझे मत मारो। मैं आपको ज्ञान की 4 महत्वपूर्ण बातें बताऊंगी।'* राजा ने कहा, *'जल्दी बता।'* चिड़िया बोली, *'हे राजन, सबसे पहले, तो हाथ में आए शत्रु को कभी मत छोड़ो।'* ⭐️ Join on Whatsapp https://whatsapp.com/channel/0029Va5GBzR3LdQRNbVAAl3j https://chat.whatsapp.com/Gd2tRkmNLXtDOnYe5Up6AH राजा ने कहा, *'दूसरी बात बता।'* चिड़िया ने कहा, *'असंभव बात पर भूलकर भी विश्वास मत करो और तीसरी बात यह है कि बीती बातों पर कभी पश्चाताप मत करो।'* राजा ने कहा, *'अब चौथी बात भी जल्दी बता दो।'* इस पर चिड़िया बोली, *'चौथी बात बड़ी गूढ़ और रहस्यमयी है। मुझे जरा ढीला छोड़ दें क्योंकि मेरा दम घुट रहा है। कुछ सांस लेकर ही बता सकूंगी।'* चिड़िया की बात सुन जैसे ही राजा ने अपना हाथ ढीला किया, चिड़िया उड़कर एक डाल पर बैठ गई और बोली, *'मेरे पेट में दो हीरे हैं।'* यह सुनकर राजा पश्चाताप में डूब गया। राजा की हालत देख चिड़िया बोली, *'हे राजन, ज्ञान की बात सुनने और पढ़ने से कुछ लाभ नहीं होता, उस पर अमल करने से होता है। आपने मेरी बात नहीं मानी।* *मैं आपकी शत्रु थी, फिर भी आपने पकड़कर मुझे छोड़ दिया।* *मैंने यह असंभव बात कही कि मेरे पेट में दो हीरे हैं फिर भी आपने उस पर भरोसा कर लिया।* *आपके हाथ में वे काल्पनिक हीरे नहीं आए, तो आप पछताने लगे।* *सारांश- उपदेशों को जीवन में उतारे बगैर उनका कोई मोल नहीं।* 🙏🙏 *जो प्राप्त है-पर्याप्त है* *जिसका मन मस्त है* *उसके पास समस्त है!!* ° मानव ही सबसे बड़ी जाति ° ° मानवता ही सबसे बड़ा धर्म ° ⭐️ Join the telegram group https://t.me/+0qiDzhylk9g5MGE9 ⭐️ Join on Facebook https://www.facebook.com/JeevanKiAnmolNidhi ⭐️ Subscribe on YouTube https://www.youtube.com/@devchandel.goojdex ⭐️ Follow on Instagram https://www.instagram.com/devchandel.goojdex आप भी अपने जानकर , दोस्त और परिवार के सदस्यों को add कर सकते है जिससे सभी को कहानी से प्रेरणा मिल सके और ज्यादा से ज्यादा लाभ हो धन्यवाद। संकलन कर्ता- Dev Chandel CEO & Founder GoojDex ⭐️*हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्*⭐️ https://onlinestoremarkets.blogspot.com https://goojdex.blogspot.com https://devchandel.blogspot.com

*💐विजेता मेंढक💐* बहुत समय पहले की बात है ,एक सरोवर में बहुत सारे मेंढक रहतेथे !सरोवर के बीचों-बीच एक बहुत पुराना धातु का खम्भा भी लगा हुआ था जिसे उस सरोवर को बनवाने वाले राजा ने लगवाया था। खम्भा काफी ऊँचा था और उसकी सतह भी बिलकुल चिकनी थी। एक दिन मेंढकों के दिमाग में आया कि क्यों ना एक रेस करवाई जाए ।रेस में भाग लेने वाली प्रतियोगीयों को खम्भे पर चढ़ना होगा , और जो सबसे पहले एक ऊपर पहुच जाएगा वही विजेता माना जाएगा । रेस का दिन आ पंहुचा,चारो तरफ बहुत भीड़ थी । आस -पास के इलाकों से भी कई मेंढक इस रेस में हिस्सा लेने पहुचे . माहौल में सरगर्मी थी , हर तरफ शोर ही शोर था । रेस शुरू हुई … …लेकिन खम्भे को देखकर भीड़ में एकत्र हुए किसी भी मेंढक को ये यकीन नहीं हुआकि कोई भी मेंढक ऊपर तक पहुंच पायेगा … हर तरफ यही सुनाई देता … ⭐️ Join on Whatsapp https://whatsapp.com/channel/0029Va5GBzR3LdQRNbVAAl3j https://chat.whatsapp.com/Gd2tRkmNLXtDOnYe5Up6AH “ अरे ये बहुत कठिन है ” “ वो कभी भी ये रेस पूरी नहीं कर पायंगे ” “ सफलता का तो कोई सवाल ही नहीं , इतने चिकने खम्भे पर चढ़ा ही नहीं जा सकता ” और यही हो भी रहा था , जो भी मेंढक कोशिश करता , वो थोडा ऊपर जाकर नीचे गिर जाता , कई मेंढक दो -तीन बार गिरने के बावजूद अपने प्रयास में लगे हुए थे … पर भीड़ तो अभी भी चिल्लाये जा रही थी , “ ये नहीं हो सकता , असंभव ”, और वो उत्साहित मेंढक भी ये सुन-सुनकर हताश हो गए और अपना प्रयास छोड़ दिया . लेकिन उन्ही मेंढकों के बीच एक छोटा सा मेंढक था , जो बार -बार गिरने पर भी उसी जोश के साथ ऊपर चढ़ने में लगा हुआ था ….वो लगातार ऊपर की ओर बढ़ता रहा ,और अंततः वह खम्भे के ऊपर पहुच गया और इस रेस का विजेता बना . उसकी जीत पर सभी को बड़ा आश्चर्य हुआ , सभी मेंढक उसे घेर कर खड़े हो गए और पूछने लगे ,” तुमने ये असंभव काम कैसे कर दिखाया , भला तुम्हे अपना लक्ष्य प्राप्त करने की शक्ति कहाँ से मिली, ज़रा हमें भी तो बताओ कि तुमने ये विजय कैसे प्राप्त की ?” तभी पीछे से एक आवाज़ आई … “अरे उससे क्या पूछते हो , वो तो बहरा है ” अक्सर हमारे अन्दर अपना लक्ष्य प्राप्त करने की काबीलियत होती है, पर हम अपने चारों तरफ मौजूद नकारात्मकता की वजह से खुद को कम आंक बैठते हैं और हमने जो बड़े-बड़े सपने देखे होते हैं उन्हें पूरा किये बिना ही अपनी ज़िन्दगी गुजार देते हैं . आवश्यकता इस बात की है हम हमें कमजोर बनाने वाली हर एक आवाज के प्रति बहरे और ऐसे हर एक दृश्य के प्रति अंधे हो जाएं. और तब हमें सफलता के शिखर पर पहुँचने से कोई नहीं रोक पायेगा. ज़िंदगी_चाहे_एक_दिन_की_हो.. चाहे_चार_दिन_की_उसे_ऐसे_जियो जैसे_कि_ज़िंदगी_तुम्हें_नहीं.. ज़िंदगी_को_तुम_मिले_हो.. 🙏🙏 *जो प्राप्त है-पर्याप्त है* *जिसका मन मस्त है* *उसके पास समस्त है!!* ° मानव ही सबसे बड़ी जाति ° ° मानवता ही सबसे बड़ा धर्म ° ⭐️. Join on telegram group https://t.me/+0qiDzhylk9g5MGE9 ⭐️ Join on Facebook https://www.facebook.com/JeevanKiAnmolNidhi ⭐️ Subscribe on YouTube https://www.youtube.com/@devchandel.goojdex ⭐️ Follow on Instagram https://www.instagram.com/devchandel.goojdex आप भी अपने जानकर , दोस्त और परिवार के सदस्यों को add कर सकते है जिससे सभी को कहानी से प्रेरणा मिल सके और ज्यादा से ज्यादा लाभ हो धन्यवाद। संकलन कर्ता- Dev Chandel CEO & Founder GoojDex ⭐️*हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्*⭐️ https://onlinestoremarkets.blogspot.com https://goojdex.blogspot.com https://devchandel.blogspot.com

*जो विपरीत परिस्थितियों में भी सुदृढ़ रहता है - वही सच्चा हीरा है!!* *एक राजा का दरबार लगा हुआ था। सर्दियों के दिन थे, इसीलिये राजा का दरबार खुले में बैठा था। पूरी आम सभा सुबह की धूप मे बैठी थीl* *महाराज ने सिंहासन के सामने एक मेज रखवा रखी थी। पंडित लोग दीवान आदि सभी दरबार में बैठे थे ।* *राजा के परिवार के सदस्य भी बैठे थे।* *उसी समय एक व्यक्ति आया और राजा से दरबार में मिलने की आज्ञां मांगी। प्रवेश मिल गया तो उसने कहा, मेरे पास दो वस्तुएँ हैं, बिलकुल एक जैसी लेकिन एक नकली है और एक असली, मै हर राज्य के राजा के पास जाता हूँ और उन्हें परखने का आग्रह करता हूँ, लेकिन कोई परख नही पाता, सब हार जाते है और मैं विजेता बनकर घूम रहा हूँ ।* *अब आपके नगर मे आया हूँ।* *राजा ने उसे दोनों वस्तुओं को पेश करने का आदेश दिया।* ⭐️ Join on Whatsapp https://whatsapp.com/channel/0029Va5GBzR3LdQRNbVAAl3j https://chat.whatsapp.com/Gd2tRkmNLXtDOnYe5Up6AH *तो उसने दोनों वस्तुयें टेबल पर रख दीं। बिल्कुल समान आकार समान रुप रंग, समान प्रकाश, सब कुछ नख शिख समान। राजा ने कहा, ये दोनों वस्तुएँ एक हैं, तो उस व्यक्ति ने कहा, हाँ दिखाई तो एक सी देती है लेकिन हैं भिन्न। इनमें से एक है बहुत कीमती हीरा और एक है काँच का टुकडा, लेकिन रूप रंग सब एक है। कोई आज तक परख नही पाया कि कौन सा हीरा है और कौन सा काँच? कोई परख कर बताये कि ये हीरा है या काँच। अगर परख खरी निकली तो मैं हार जाऊँगा और यह कीमती हीरा मै आपके राज्य की तिजोरी में जमा करवा दूँगा, यदि कोई न पहचान पाया तो इस हीरे की जो कीमत है उतनी धनराशि आपको मुझे देनी होगी। इसी प्रकार मैं कई राज्यों से जीतता आया हूँ।* *राजा ने कई बार उन दोनों वस्तुओं को गौर से देखकर परखने की कोशिश की और अंत में हार मानते हुए कहा- मैं तो नहीं परख सकूंगा।* *दीवान बोले- हम भी हिम्मत नही कर सकते, क्योंकि दोनो बिल्कुल समान है।* *सब हारे, कोई हिम्मत नही जुटा पाया। हारने पर पैसे देने पडेंगे, इसका किसी को कोई मलाल नहीं था क्योंकि राजा के पास बहुत धन था लेकिन राजा की प्रतिष्ठा गिर जायेगी, इसका सबको भय था।* *कोई व्यक्ति पहचान नही पाया। आखिरकार पीछे थोडी हलचल हुई। एक अंधा आदमी हाथ मे लाठी लेकर उठा। उसने कहा, मुझे महाराज के पास ले चलो, मैंने सब बाते सुनी हैं और यह भी सुना कि कोई परख नहीं पा रहा है। एक अवसर मुझे भी दो। एक आदमी के सहारे वह राजा के पास पहुचा उसने राजा से प्रार्थना की- मैं तो जनम से अंधा हूँ फिर भी मुझे एक अवसर दिया जाये जिससे मैं भी एक बार अपनी बुद्धि को परखूँ और हो सकता है कि सफल भी हो जाऊँ और यदि सफल न भी हुआ तो वैसे भी आप तो हारे ही हैं।* *राजा को लगा कि इसे अवसर देने मे कोई हर्ज नहीं है और राजा ने उसे अनुमति दे दी। उस अंधे आदमी को दोनों वस्तुएं उसके हाथ में दी गयी और पूछा गया कि इनमे कौन सा हीरा है और कौन सा काँच?* *कहते हैं कि उस आदमी ने एक मिनट मे कह दिया कि यह हीरा है और यह काँच। जो आदमी इतने राज्यों को जीतकर आया था वह नतमस्तक हो गया और बोला सही है, आपने पहचान लिया! आप धन्य हैं।* *अपने वचन के मुताबिक यह हीरा मैं आपके राज्य की तिजोरी मे दे रहा हूँ। सब बहुत खुश हो गये और जो आदमी आया था वह भी बहुत प्रसन्न हुआ कि कम से कम कोई तो मिला परखने वाला। राजा और अन्य सभी लोगो ने उस अंधे व्यक्ति से एक ही जिज्ञासा जताई कि, 'तुमने यह कैसे पहचाना कि यह हीरा है और वह काँच?'* *उस अंधे ने कहा- सीधी सी बात है राजन, धूप में हम सब बैठे हैं, मैंने दोनो को छुआ। जो ठंडा रहा वह हीरा, जो गरम हो गया वह काँच।* *यही बात हमारे जीवन में भी लागू होती है, जो व्यक्ति बात बात में अपना आप खो देता है, गरम हो जाता है और छोटी से छोटी समस्याओं में उलझ जाता है वह काँच जैसा है और जो विपरीत* *परिस्थितियों में भी सुदृढ़ रहता है और बुद्धि से काम लेता है वही सच्चा हीरा है।* 🙏🙏 *जो प्राप्त है-पर्याप्त है* *जिसका मन मस्त है* *उसके पास समस्त है!!* ° मानव ही सबसे बड़ी जाति ° ° मानवता ही सबसे बड़ा धर्म ° ⭐️ Join the telegram group https://t.me/+0qiDzhylk9g5MGE9 ⭐️ Join on Facebook https://www.facebook.com/JeevanKiAnmolNidhi ⭐️ Subscribe on YouTube https://www.youtube.com/@devchandel.goojdex ⭐️ Follow on Instagram https://www.instagram.com/devchandel.goojdex आप भी अपने जानकर , दोस्त और परिवार के सदस्यों को add कर सकते है जिससे सभी को कहानी से प्रेरणा मिल सके और ज्यादा से ज्यादा लाभ हो धन्यवाद। संकलन कर्ता- Dev Chandel CEO & Founder GoojDex ⭐️*हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्*⭐️ https://onlinestoremarkets.blogspot.com https://goojdex.blogspot.com https://devchandel.blogspot.com

*आज ही क्यों नहीं ?* एक बार की बात है कि एक शिष्य अपने गुरु का बहुत आदर-सम्मान किया करता था |गुरु भी अपने इस शिष्य से बहुत स्नेह करते थे लेकिन वह शिष्य अपने अध्ययन के प्रति आलसी और स्वभाव से दीर्घसूत्री था |सदा स्वाध्याय से दूर भागने की कोशिश करता तथा आज के काम को कल के लिए छोड़ दिया करता था | अब गुरूजी कुछ चिंतित रहने लगे कि कहीं उनका यह शिष्य जीवन-संग्राम में पराजित न हो जाये| आलस्य में व्यक्ति को अकर्मण्य बनाने की पूरी सामर्थ्य होती है |ऐसा व्यक्ति बिना परिश्रम के ही फलोपभोग की कामना करता है| वह शीघ्र निर्णय नहीं ले सकता और यदि ले भी लेता है,तो उसे कार्यान्वित नहीं कर पाता| यहाँ तक कि अपने पर्यावरण के प्रति भी सजग नहीं रहता है और न भाग्य द्वारा प्रदत्त सुअवसरों का लाभ उठाने की कला में ही प्रवीण हो पता है | उन्होंने मन ही मन अपने शिष्य के कल्याण के लिए एक योजना बना ली |एक दिन एक काले पत्थर का एक टुकड़ा उसके हाथ में देते हुए गुरु जी ने कहा –‘मैं तुम्हें यह जादुई पत्थर का टुकड़ा, दो दिन के लिए दे कर, कहीं दूसरे गाँव जा रहा हूँ| जिस भी लोहे की वस्तु को तुम इससे स्पर्श करोगे, वह स्वर्ण में परिवर्तित हो जायेगी| पर याद रहे कि दूसरे दिन सूर्यास्त के पश्चात मैं इसे तुमसे वापस ले लूँगा|’ शिष्य इस सुअवसर को पाकर बड़ा प्रसन्न हुआ लेकिन आलसी होने के कारण उसने अपना पहला दिन यह कल्पना करते-करते बिता दिया कि जब उसके पास बहुत सारा स्वर्ण होगा तब वह कितना प्रसन्न, सुखी,समृद्ध और संतुष्ट रहेगा, इतने नौकर-चाकर होंगे कि उसे पानी पीने के लिए भी नहीं उठाना पड़ेगा | फिर दूसरे दिन जब वह प्रातःकाल जागा,उसे अच्छी तरह से स्मरण था कि आज स्वर्ण पाने का दूसरा और अंतिम दिन है | ⭐️ Join on Whatsapp https://whatsapp.com/channel/0029Va5GBzR3LdQRNbVAAl3j https://chat.whatsapp.com/Gd2tRkmNLXtDOnYe5Up6AH उसने मन में पक्का विचार किया कि आज वह गुरूजी द्वारा दिए गये काले पत्थर का लाभ ज़रूर उठाएगा | उसने निश्चय किया कि वो बाज़ार से लोहे के बड़े-बड़े सामान खरीद कर लायेगा और उन्हें स्वर्ण में परिवर्तित कर देगा. दिन बीतता गया, पर वह इसी सोच में बैठा रहा की अभी तो बहुत समय है, कभी भी बाज़ार जाकर सामान लेता आएगा. उसने सोचा कि अब तो दोपहर का भोजन करने के पश्चात ही सामान लेने निकलूंगा.पर भोजन करने के बाद उसे विश्राम करने की आदत थी , और उसने बजाये उठ के मेहनत करने के थोड़ी देर आराम करना उचित समझा. पर आलस्य से परिपूर्ण उसका शरीर नीद की गहराइयों में खो गया, और जब वो उठा तो सूर्यास्त होने को था. अब वह जल्दी-जल्दी बाज़ार की तरफ भागने लगा, पर रास्ते में ही उसे गुरूजी मिल गए उनको देखते ही वह उनके चरणों पर गिरकर, उस जादुई पत्थर को एक दिन और अपने पास रखने के लिए याचना करने लगा लेकिन गुरूजी नहीं माने और उस शिष्य का धनी होने का सपना चूर-चूर हो गया | पर इस घटना की वजह से शिष्य को एक बहुत बड़ी सीख मिल गयी: उसे अपने आलस्य पर पछतावा होने लगा, वह समझ गया कि आलस्य उसके जीवन के लिए एक अभिशाप है और उसने प्रण किया कि अब वो कभी भी काम से जी नहीं चुराएगा और एक कर्मठ, सजग और सक्रिय व्यक्ति बन कर दिखायेगा. *मित्रों, जीवन में हर किसी को एक से बढ़कर एक अवसर मिलते हैं , पर कई लोग इन्हें बस अपने आलस्य के कारण गवां देते हैं. इसलिए मैं यही कहना चाहता हूँ कि यदि आप सफल, सुखी, भाग्यशाली, धनी अथवा महान बनना चाहते हैं तो आलस्य और दीर्घसूत्रता को त्यागकर, अपने अंदर विवेक, कष्टसाध्य श्रम,और सतत् जागरूकता जैसे गुणों को विकसित कीजिये और जब कभी आपके मन में किसी आवश्यक काम को टालने का विचार आये तो स्वयं से एक प्रश्न कीजिये – *“आज ही क्यों नहीं ?”* 🙏🙏 *जो प्राप्त है-पर्याप्त है* *जिसका मन मस्त है* *उसके पास समस्त है!!* ° मानव ही सबसे बड़ी जाति ° ° मानवता ही सबसे बड़ा धर्म ° ⭐️ Join the telegram group https://t.me/+0qiDzhylk9g5MGE9 ⭐️ Join on Facebook https://www.facebook.com/JeevanKiAnmolNidhi ⭐️ Subscribe on YouTube https://www.youtube.com/@devchandel.goojdex ⭐️ Follow on Instagram https://www.instagram.com/devchandel.goojdex आप भी अपने जानकर , दोस्त और परिवार के सदस्यों को add कर सकते है जिससे सभी को कहानी से प्रेरणा मिल सके और ज्यादा से ज्यादा लाभ हो धन्यवाद। संकलन कर्ता- Dev Chandel CEO & Founder GoojDex ⭐️*हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्*⭐️ https://onlinestoremarkets.blogspot.com https://goojdex.blogspot.com https://devchandel.blogspot.com

*मेरी बहू मेरा अभिमान* *शादी के लिऐ देखने गई मां ने समधन से कहा, सुयश मेरा एकलौता बेटा है, जैसा नाम वैसा गुण । जब जब मैं दूसरा बच्चा न होने के लिए उदास होती तो विशाल कहते, ईश्वर ने दस बेटों के गुण दिए है हमारे सुयश में । लेकिन मेरा मन एक बेटी की चाहत में हमेशा कलपता रहा । सोचती थी बहू को ही बेटी का प्यार दूँगी। अपनी बहू की जो छवि मैंने सोची थी स्निग्धा उसकी बिल्कुल विपरीत थी। उसकी माँ ने ही हँसते हुए कहा, अपने नाम के विपरीत है स्निग्धा ! लड़कों की तरह वेश भूषा, हँसना,* *बोलना,अक्खड़पना भरा हुआ था उसमें, जाने सुयश को क्या दिखा इसमें ।* *जीन्स और टी शर्ट में आकर उसने हैलो आंटी कहा। मैंने भी प्रत्युत्तर में हैलो ही कहा। तभी उसकी माँ बोली, आंटी के पैर छुओ बेटा। उसको असहज देख कर मैंने कह दिया, रहने दो बेटा, उसकी कोई जरूरत नहीं है। बातों से एकदम बिंदास, खिलखिलाकर हँसने वाली, अपनी माँ से हर बात पर तर्क वितर्क करती "स्निग्धा" मेरे बेटे "सुयश" की पसंद ही नहीं प्यार भी थी ।* *शादी की रस्मों के बाद स्निग्धा हमारे घर आ गयी, और सुयश स्निग्धा अपना हनीमून मना कर वापस भी आ गए ।* ⭐️ Join on Whatsapp https://whatsapp.com/channel/0029Va5GBzR3LdQRNbVAAl3j https://chat.whatsapp.com/Gd2tRkmNLXtDOnYe5Up6AH *अगले दिन से दोनों को आफिस जाना था। सुबह की नींद मुझे बहुत प्यारी थी, सोचती थी बहू आ जायेगी तो उसके हाथों की चाय पीकर अपने सुबह की शुरुआत करूँगी। लेकिन स्निग्धा को देख कर मैंने अपना ये सपना भुला दिया और सुबह 6 बजे का अलार्म लगा कर सो गई ।* *पूजा की घंटियाँ सुन मेरी नींद खुली, अभी छः भी नहीं बजे थे। बाहर निकल कर देखा, स्निग्धा आरती की थाल लिए, पूरे घर में घूम रही थी। मुझे लगा मैं सपना देख रही हूँ, तब तक वो पास आकर बोली मम्मा प्रसाद लीजिये ।* *फ्रेश होकर बाथरूम से निकली तो मैडम चाय के दो कप लिए हाजिर थीं। चाय पीने के बाद बोली मम्मा मुझे नाश्ते में बस सैंडविच और चीला बनाना ही आता है। आप लोग नाश्ते में क्या खाते हैं? पीछे से सुयश आकर बोला, जो भी तुम बनाओ हम वही खायेंगे।* *सुयश ने मेरा हैरान चेहरा देख कर पूछा," क्या हुआ माँ, चाय पसन्द नहीं आयी !* *नहीं रे इतनी अच्छी चाय तो खुद मैंने ही नहीं बनाई कभी !"* *फिर मैंने स्निग्धा से कहा,"तुम्हें ऑफिस जाना है बेटा, तैयार हो जाओ। अभी मेड आ रही होगी मैं उसके साथ मिलकर नाश्ता बना लूँगी।"* *अरे नहीं मम्मा नाश्ता तो मैं ही बनाऊँगी, फिर तो मैं पूरा दिन आफिस में रहूँगी तो घर पर सब आपको ही देखना पड़ेगा।* *स्निग्धा कभी कोई मौका नहीं देती थी कमी निकालने का, साडी बहुत कम पहनती है, वो हर रोज हमारे पैर भी नहीं छूती, उसकी आवाज भी धीमी नहीं है, उसे घर के काम भी नहीं आते, रोटी तो भारत के नक्शे जैसी बनाती है,और जब गुस्साती है* *तो....उफ्फ पूछिये ही मत ! वो एक आदर्श बहू की छवि से बिल्कुल जुदा है लेकिन ये कमी दुर हो सकती है।* *खुशियों को भी कभी-कभी नजर लग जाती है ! सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था कि विशाल को हार्ट अटैक आ गया, मैं उन्हें आई सी यू के बाहर से देख घंटों रोती रहती, उस समय मेरी स्निग्धा ने मुझे सास से बेटी बना दिया। मुझे अपनी बाहों में भरकर चुप कराती, जबरदस्ती अपने हाथों से खाना खिलाती। हर वक़्त यही कहती पापा बिल्कुल ठीक हो जायेंगे। हॉस्पिटल के बिल, दवाइयों का खर्चा इस तरह से देती जैसे उसके अपने पापा का इलाज हो रहा हो ।* *सुयश और मेरे सामने मजबूत चट्टान बनी मेरी स्निग्धा वास्तव में बहुत कोमल थी। घर आने के बाद भी विशाल का ख्याल हम दोनों से ज्यादा रखती । अपनी नई नवेली शादी के बावजूद देर रात तक हमारे साथ बैठी रहती । मासूम गुड़िया सी बहू का सपना देखने वाली सास को एक मजबूत बेटी मिल गयी थी। जिसका चोला पाश्चात्य था पर दिल एकदम देशी था ।* *आज मेरे जन्मदिन पर सुयश ने कहा,"माँ, तैयार हो* *जाइए,आपकी पसन्द की साड़ी खरीदने चलते हैं। "मुझे कुछ नहीं चाहिए सुयश ! तूने स्निग्धा के रूप में मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा तोहफा दे दिया ! मेरी भीगी आँखे पोछ कर सुयश ने पूछा, वैसे है कहाँ आपकी दबंग बहू? जिसने अपनी दबंगई से आपका भी दिल जीत लिया ! तब तक स्निग्धा ने मेरे गले में अपनी बाहें डाल कर कहा, हैप्पी बर्थडे मम्मा और एक पैकेट पकड़ाते हुए कहा, ये दुनिया की बेस्ट मम्मा के लिए, पैकेट खोल कर देखा, तो उसमें कांजीवरम साड़ी थी, बिल्कुल वैसी ही जैसी मैं हमेशा से लेना चाहती थी ! मेरे आश्चर्य चकित चेहरे को देखकर बोली, वो जब आप रेखा की तस्वीर गूगल पर सर्च करके घंटों देखती थीं तभी मुझे समझ आ गया कि आप उनकी तस्वीरों में देखती क्या हैं ! अपनी जोरदार हँसी के साथ उसने फिर से मुझे गले लगा लिया। खुशी में बहते आँसुओं को पोछकर उसने कहा, “एक माँ के दिल की बात एक बेटी तो समझ ही जाती है ना मम्मा"! हाँ मेरी स्निग्धा बेटी* *विशाल जी भी बोले आदर्शों नियमों पर पड़ गयी भारी, सबसे प्यारी बहू हमारी !!* 🙏🙏 *जो प्राप्त है-पर्याप्त है* *जिसका मन मस्त है* *उसके पास समस्त है!!* ° मानव ही सबसे बड़ी जाति ° ° मानवता ही सबसे बड़ा धर्म ° ⭐️ Join on telegram group https://t.me/+0qiDzhylk9g5MGE9 ⭐️ Join on Facebook https://www.facebook.com/JeevanKiAnmolNidhi ⭐️ Subscribe on YouTube https://www.youtube.com/@devchandel.goojdex ⭐️ Follow on Instagram https://www.instagram.com/devchandel.goojdex आप भी अपने जानकर , दोस्त और परिवार के सदस्यों को add कर सकते है जिससे सभी को कहानी से प्रेरणा मिल सके और ज्यादा से ज्यादा लाभ हो धन्यवाद। संकलन कर्ता- Dev Chandel CEO & Founder GoojDex ⭐️*हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्*⭐️ https://onlinestoremarkets.blogspot.com https://goojdex.blogspot.com https://devchandel.blogspot.com

*"गरीब विद्वान व राजा भोज, बने भाई-भाई"* 🙏🏻🚩🌹 👁❗👁 🌹🚩🙏🏻 कई वर्ष पहले धार में राजा भोज का शासन था। उस राज्य में एक गरीब विद्वान रहता था। आर्थिक तंगी से घबराकर एक दिन विद्वान की पत्नी ने उससे कहा-आप राजा भोज के पास क्यों नहीं जाते? वह विद्वानों का बड़ा आदर करते हैं। हो सकता है आपकी विद्वता से प्रभावित होकर वह आपको ढेर सारा धन दे दें। विद्वान राजा के दरबार में पहुंचा। पहरेदार ने पूछा: आप कौन हैं? कहां जाना है? विद्वान ने कहा: जाओ राजा से कहो कि उनका भाई आया है। पहरेदार ने जब भोज को यह बात बताई तो.. वह सोचने लगे: मेरा तो कोई भाई है नहीं है फिर कौन हो सकता है। कहीं कोई धूर्त तो नहीं। उनकी उत्सुकता जागी। उन्होंने विद्वान को बुलवा लिया। "कैसे हुए भाई-भाई" Join on Whatsapp https://whatsapp.com/channel/0029Va5GBzR3LdQRNbVAAl3j https://chat.whatsapp.com/Gd2tRkmNLXtDOnYe5Up6AH भोज ने विद्वान से पूछा: क्या तुम मेरे भाई हो? किस नाते से? विद्वान ने कहा: मैं आपका मौसेरा भाई हूं। आपकी मौसी का लड़का। भोज ने पूछा: कैसे? मेरी तो कोई मौसी नहीं है। विद्वान बोला: महाराज। आप संपत्ति माता के पुत्र हैं और मैं विपत्ति माता का पुत्र। संपत्ति और विपत्ति बहनें हैं। इस नाते मैं आपका मौसेरा भाई हुआ न। यह सुनकर भोज बेहद प्रसन्न हुए। उन्होंने ढेर सारी स्वर्ण मुद्राएं विद्वान को दीं। फिर भोज ने पूछा: मेरी मौसी तो कुशल हैं न? इस पर विद्वान ने जवाब दिया: राजन्, जब तक आपकी मौसी जीवित थीं, आपके दर्शन नहीं हुए थे। अब आपके दर्शन हुए तो आपकी मौसी स्वर्ग सिधार गईं। इस उत्तर से भोज को और भी प्रसन्नता हुई। उन्होंने विद्वान को गले से लगा लिया। 🙏🙏 *जो प्राप्त है-पर्याप्त है* *जिसका मन मस्त है* *उसके पास समस्त है!!* ° मानव ही सबसे बड़ी जाति ° ° मानवता ही सबसे बड़ा धर्म ° Join the telegram group https://t.me/+0qiDzhylk9g5MGE9 Join on Facebook https://www.facebook.com/JeevanKiAnmolNidhi Subscribe on YouTube https://www.youtube.com/@devchandel.goojdex Follow on Instagram https://www.instagram.com/devchandel.goojdex आप भी अपने जानकर , दोस्त और परिवार के सदस्यों को add कर सकते है जिससे सभी को कहानी से प्रेरणा मिल सके और ज्यादा से ज्यादा लाभ हो धन्यवाद। संकलन कर्ता- Dev Chandel CEO & Founder GoojDex *हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्* https://onlinestoremarkets.blogspot.com https://goojdex.blogspot.com https://devchandel.blogspot.com