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About Jeevan Ki Anmol Nidhi

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6/18/2025, 2:06:07 AM

💐💐एक धनी किसान💐💐 एक धनी किसान था। उसे विरासत में खूब संपत्ति मिली थी। ज्यादा धन-संपदा ने उसे आलसी बना दिया। वह सारा दिन खाली बैठा हुक्का गुड़गुड़ाता रहता था। उसकी लापरवाही का नौकर-चाकर नाजायज फायदा उठाते थे। उसके सगे-संबंधी भी उसका माल साफ करने में लगे रहते थे। एक बार किसान का एक पुराना मित्र उससे मिलने आया। वह उसके घर की अराजकता देख दुःखी हुआ। उसने किसान को समझाने की कोशिश की लेकिन उस पर कोई असर नहीं पड़ा। एक दिन उसने कहा कि वह उसे एक ऐसे महात्मा के पास ले जाएगा जो अमीर होने का तरीका बताते हैं। किसान के भीतर उत्सुकता जागी। वह महात्मा से मिलने को तैयार हो गया। महात्मा ने बताया, ‘हर रोज सूर्योदय से पहले एक हंस आता है जो किसी के देखने से पहले ही गायब हो जाता है। जो इस हंस को देख लेता है उसका धन निरंतर बढ़ता जाता है।’ अगले दिन किसान सूर्योदय से पहले उठा और हंस को खोजने खलिहान में गया। उसने देखा कि उसका एक संबंधी बोरे में अनाज भरकर ले जा रहा है। किसान ने उसे पकड़ लिया। वह रिश्तेदार बेहद लज्जित हुआ और क्षमा मांगने लगा। तब वह गौशाला में पहुंचा। वहां उसका एक नौकर दूध चुरा रहा था। किसान ने उसे फटकारा। उसने पाया कि वहां बेहद गंदगी है। उसने नौकरों को नींद से जगाया और उन्हें काम करने की हिदायत दी। दूसरे दिन भी कुछ ऐसा ही हुआ। इस तरह किसान रोज हंस की खोज में जल्दी उठता। इस कारण सारे नौकर सचेत हो गए और मुस्तैदी से काम करने लगे। जो रिश्तेदार गड़बड़ी कर रहे थे वे भी सुधर गए। ⭐️ Join on Whatsapp https://whatsapp.com/channel/0029Va5GBzR3LdQRNbVAAl3j https://chat.whatsapp.com/Gd2tRkmNLXtDOnYe5Up6AH जल्दी उठने और घूमने-फिरने से किसान का स्वास्थ्य भी ठीक हो गया। इस प्रकार धन तो बढ़ने लगा, लेकिन हंस नहीं दिखा। इस बात की शिकायत करने जब वह महात्मा के पास पहुंचा तो उन्होंने कहा, ‘तुम्हें हंस के दर्शन तो हो गए, पर तुम उसे पहचान नहीं पाए। वह हंस है परिश्रम। तुमने परिश्रम किया, जिसका लाभ अब तुम्हें मिलने लगा है। 🙏🙏 *जो प्राप्त है-पर्याप्त है* *जिसका मन मस्त है* *उसके पास समस्त है!!* ° मानव ही सबसे बड़ी जाति ° ° मानवता ही सबसे बड़ा धर्म ° ⭐️ Join the telegram group https://t.me/+0qiDzhylk9g5MGE9 ⭐️  Join on Facebook https://www.facebook.com/JeevanKiAnmolNidhi ⭐️  Subscribe on YouTube https://www.youtube.com/@devchandel.goojdex ⭐️  Follow on Instagram https://www.instagram.com/devchandel.goojdex आप भी अपने जानकर , दोस्त और परिवार के सदस्यों को add कर सकते है जिससे सभी को कहानी से प्रेरणा मिल सके  और ज्यादा से ज्यादा लाभ हो धन्यवाद। संकलन कर्ता-         Dev Chandel CEO & Founder GoojDex ⭐️*हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्*⭐️ https://onlinestoremarkets.blogspot.com https://goojdex.blogspot.com https://devchandel.blogspot.com

Jeevan Ki Anmol Nidhi
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6/17/2025, 12:53:43 AM

🌹* *गुरु पारस हम लौह*🌹 एक गुरू ने अपने शिष्य को तलवार बाज़ी की सारी विद्या सीखा दी। गुरू बूढ़े हो चले थे , शिष्य जवान। किसी ज़माने में गुरू का लोहा पूरा गांव मानता था, पर आज शिष्य ही उन्हें चैलेंज करने लगा था। वो जगह-जगह घूम कर लोगों से कहता था कि उनका गुरू तो कुछ भी नहीं। आज इस गांव में क्या, आस-पास के कई गांवों में उस से बड़ा कोई तलवारबाज़ नहीं। लोगों से इतना कहने तक में कोई बड़ी बात नहीं थी। पर  अहंकार इतना सिर चढ़ गया  जब शिष्य ने खुलेआम गुरु को चैलेंज कर दिया कि या तो मैदान में आकर मुकाबला करो या फिर गुरूअई छोड़ो। सबने बहुत समझाया कि गुरू से ऐसा व्यवहार ठीक नहीं। पर किसका अहंकार समझा है, जो उस शिष्य का समझता। पुत्र रूपी जिस शिष्य को उन्होंने सबकुछ सिखाया, आज वही चैलेंज कर रहा है। न चाहते हुए भी आख़िर गुरू को अपने शिष्य के साथ तलवारबाज़ी के उस चैलेंज को स्वीकार करना पड़ा। ⭐️ Join on Whatsapp https://whatsapp.com/channel/0029Va5GBzR3LdQRNbVAAl3j https://chat.whatsapp.com/Gd2tRkmNLXtDOnYe5Up6AH पूरा गांव जानता था गुरू बूढ़े हो गए हैं और शिष्य की ताकत के आगे वो मिनट भर भी नहीं टिकेंगे। पर गुरू ने चुनौती को स्वीकार कर लिया तो कर लिया। शिष्य का माथा ठनका कि ये बुड्ढा गुरू चैलेंज स्वीकार कर चुका है, मतलब उसने कोई न कोई विद्या छिपा कर रखी होगी। शिष्य ने गुरू पर नज़र रखनी शुरू कर दी । शिष्य ने देखा कि गुरूने  एक लोहार से  पंद्रह फीट लंबी एक म्यान बनवाई। शिष्य  समझ गया कि गुरू ने उसे यही विद्या नहीं सिखाई थी। पंद्रह फीट लंबी म्यान, मतलब पंद्रह फीट लंबी तलवार, मतलब वो पंद्रह फीट दूर से ही उसकी गर्दन उड़ा देगा। शिष्य ने दूसरे लोहार से सोलह फीट लंबी तलवार और म्यान बना ली। शिष्य ने समझ लिया था कि जब गुरू पंद्रह फीट दूर से तलवार निकालेगा, उससे एक फीट लंबी तलवार से वो उन पर हमला कर देगा। तलवारबाज़ी शुरू हुई। सबने देखा कि गुरू के हाथ में पंद्रह फीट लंबी म्यान थी और शिष्य के हाथ में सोलह फीट लंबी म्यान। सीटी बजी और खेल शुरू। ये क्या? गुरू ने पंद्रह फीट लंबी म्यान से अपनी छोटी सी तलवार सटाक से बाहर निकाली। शिष्य अभी अपनी सोलह फीट की म्यान से सोलह फीट की तलवार चौथाई भी नहीं निकाल पाया था कि उसकी गर्दन पर गुरू की तलवार तन गई। शिष्य समझ गया कि गुरू ने सिर्फ म्यान ही बड़ी बनवाई थी, तलवार नहीं। शिष्य ने म्यान और तलवार दोनों बड़ी बनवाई थी। गुरू चाहते तो  अपनी तलवार से शिष्य का गला एक ही झटके में उड़ा सकते थे। पर  गुरू ने शिष्य को पूरे गांव की मौजूदगी में सबक सिखा दिया था। गुरु तो गुरु ही होते हैं। उन्हें किन्ही परिस्थिति में आंखें नहीं दिखाई जातीं। सभी गुरुओं को मनोज का प्रणाम। 🙏🙏 *जो प्राप्त है-पर्याप्त है* *जिसका मन मस्त है* *उसके पास समस्त है!!* ° मानव ही सबसे बड़ी जाति ° ° मानवता ही सबसे बड़ा धर्म ° ⭐️ Join the telegram group https://t.me/+0qiDzhylk9g5MGE9 ⭐️  Join on Facebook https://www.facebook.com/JeevanKiAnmolNidhi ⭐️  Subscribe on YouTube https://www.youtube.com/@devchandel.goojdex ⭐️  Follow on Instagram https://www.instagram.com/devchandel.goojdex आप भी अपने जानकर , दोस्त और परिवार के सदस्यों को add कर सकते है जिससे सभी को कहानी से प्रेरणा मिल सके  और ज्यादा से ज्यादा लाभ हो धन्यवाद। संकलन कर्ता-         Dev Chandel CEO & Founder GoojDex ⭐️*हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्*⭐️ https://onlinestoremarkets.blogspot.com https://goojdex.blogspot.com https://devchandel.blogspot.com

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6/20/2025, 12:59:19 AM

*।। संस्कार... एक कहानी ।।* ☘🌹☘🌹☘🌹☘🌹☘🌹☘ एक गांव में एक बहुत समझदार और संस्कारी औरत रहती थी... एक बार वह अपने बेटे के साथ सुबह-सुबह कहीं जा रही थी तभी एक पागल औरत उन दोनों मां-बेटे के रास्ते में आ गई और उस लड़के की मां को बहुत बुरा-भला कहने लगी। इस पागल औरत ने लड़के की मां को बहुत सारे अपशब्द कहे लेकिन फिर भी उस औरत की बातों का मां पर कोई असर नहीं हुआ और वह मुस्कुराते हुए आगे बढ़ गई। जब उस पागल औरत ने देखा कि इस औरत पर तो उसकी बातों का कोई असर ही नहीं हो रहा है, तो वह और भी गुस्सा हो गई और उसने सोचा कि मैं और ज्यादा बुरा बोलती हूं। अब वो पागल औरत उस लड़के की मां, उसके पति और परिवार के लिए भला-बुरा कहने लगी। लड़के की मां फिर भी बिना कुछ बोले आगे बढ़ते रही। काफी देर भला-बुरा कहने के बाद भी जब सामने से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई तो पागल औरत थककर लड़के की मां के रास्ते से हट गई और दूसरे रास्ते पर चली गई। ⭐️ Join on Whatsapp https://whatsapp.com/channel/0029Va5GBzR3LdQRNbVAAl3j https://chat.whatsapp.com/Gd2tRkmNLXtDOnYe5Up6AH उस औरत के जाते ही बेटे ने अपनी मां से पूछा कि मां उस औरत ने आपको इतना बुरा-भला कहा, पिताजी और घर के अन्य लोगों तक के लिए बुरी बातें कही, आपने उस दुष्ट की बातों का कोई जवाब क्यों नहीं दिया? वो औरत कुछ भी जो मन में आया बोलती रही और आप मुस्कुराती रही, क्या आपको उसकी बातों से जरा भी कष्ट नहीं हुआ ? उस समय मां ने बेटे को कोई जवाब नहीं दिया और चुपचाप घर चलने को कहा। जब दोनों अपने घर के अंदर पहुच गए तब मां ने कहा कि तुम यहा बैठो, मैं आती हूं। कुछ देर बाद मां अपने कमरे से कुछ मैले कपड़े लाई और बेटे को बोली कि यह लो,तुम अपने कपड़े उतारकर ये कपड़े पहन लो।इस पर बेटे ने कहा कि ये कपड़े तो बहुत ही गंदे हो रहे हैं और इनमें से तो तेज दुर्गंध आ रही है। बेटे ने उन मैले कपड़ों को हाथ में लेते ही उन्हें दूर फेंक दिया। अब मां ने बेटे को समझाया कि जब कोई तुमसे बिना मतलब उलझता है और भला-बुरा कहता है, तब उसके मैले शब्दों का असर क्या तुम्हें अपने साफ-सुथरे मन पर होने देना चाहिए ?ऐसे समय में गुस्सा होकर अपना साफ-सुथरा मन क्यों खराब करना ??? किसी के फेंके हुए मैले अपशब्द हमें अपने मन में धारण करके अपना मन नहीं खराब करना चाहिए और न ही ऐसी किसी बात पर प्रतिक्रिया देकर अपना समय ही नष्ट करना चाहिए। जिस तरह तुम अपने साफ-सुथरे कपड़ों की जगह ये मैले कपड़े जब धारण नहीं कर सकते, उसी तरह मैं भी उस औरत के फेंके हुए मैले शब्दों को अपने साफ मन में कैसे धारण करती ??? यही वजह थी कि मुझे उसकी बातों से कोई फर्क नहीं पड़ा। 🙏🙏 *जो प्राप्त है-पर्याप्त है* *जिसका मन मस्त है* *उसके पास समस्त है!!* ° मानव ही सबसे बड़ी जाति ° ° मानवता ही सबसे बड़ा धर्म ° ⭐️ Join the telegram group https://t.me/+0qiDzhylk9g5MGE9 ⭐️  Join on Facebook https://www.facebook.com/JeevanKiAnmolNidhi ⭐️  Subscribe on YouTube https://www.youtube.com/@devchandel.goojdex ⭐️  Follow on Instagram https://www.instagram.com/devchandel.goojdex आप भी अपने जानकर , दोस्त और परिवार के सदस्यों को add कर सकते है जिससे सभी को कहानी से प्रेरणा मिल सके  और ज्यादा से ज्यादा लाभ हो धन्यवाद। संकलन कर्ता-         Dev Chandel CEO & Founder GoojDex ⭐️*हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्*⭐️ https://onlinestoremarkets.blogspot.com https://goojdex.blogspot.com https://devchandel.blogspot.com

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6/19/2025, 1:22:54 AM

------शराबी बुजुर्ग------- #कोई बाझ नही कहेगा   आधी रात का समय था रोज की तरह एक बुजुर्ग शराब के  नशे में अपने घर की तरफ जाने वाली गली से झूमता हुआ जा रहा था, रास्ते में एक खंभे की लाइट जल रही थी, उस खंभे के ठीक नीचे एक 15 से 16 साल की लड़की पुराने फटे कपड़े में डरी सहमी सी अपने आँसू पोछते हुए खड़ी थी जैसे ही उस बुजुर्ग की नजर उस लड़की पर पड़ी वह रूक सा गया, लड़की शायद उजाले की चाह में लाइट के खंभे से लगभग चिपकी हुई सी थी, वह बुजुर्ग उसके करीब गया और उससे लड़खड़ाती जबान से पूछा तेरा नाम क्या है, तू कौन है और इतनी रात को यहाँ क्या कर रही है...? लड़की चुपचाप डरी सहमी नजरों से दूर किसी को देखे जा रही थी उस बुजुर्ग ने जब उस तरफ देखा जहाँ लड़की देख रही थी तो वहाँ चार लड़के उस लड़की को घूर रहे थे, उनमें से एक को वो बुजुर्ग जानता था, लड़का उस बुजुर्ग को देखकर झेप गया और अपने साथियों के साथ वहाँ से चला गया लड़की उस शराब के नशे में बुजुर्ग से भी सशंकित थी फिर भी उसने हिम्मत करके बताया मेरा नाम रूपा है मैं अनाथाश्रम से भाग आई हूँ, वो लोग मुझे आज रात के लिए कहीं भेजने वाले थे, दबी जुबान से बड़ी मुश्किल से वो कह पाई...! ⭐️ Join on Whatsapp https://whatsapp.com/channel/0029Va5GBzR3LdQRNbVAAl3j https://chat.whatsapp.com/Gd2tRkmNLXtDOnYe5Up6AH बुजुर्ग:- क्या बात करती है.......तू अब कहाँ जाएगी...! लड़की:- नहीं मालूम.....! बुजुर्ग:- मेरे घर चलेगी.....? लड़की मन ही मन सोच रही थी कि ये शराब के नशे में है और आधी रात का समय है ऊपर से ये शरीफ भी नहीं लगता है, और भी कई सवाल उसके मन में धमाचौकड़ी मचाए हुए थे! बुजुर्ग:- अब आखिरी बार पूछता हूँ मेरे घर चलोगी हमेशा के लिए...? बदनसीबी को अपना मुकद्दर मान बैठी गहरे घुप्प अँधेरे से घबराई हुई सबकुछ भगवान के भरोसे छोड़कर लड़की ने दबी कुचली जुबान से कहा जी हाँ उस बुजुर्ग ने झट से लड़की का हाथ कसकर पकड़ा और तेज कदमों से लगभग उसे घसीटते हुए अपने घर की तरफ बढ़ चला वो नशे में इतना धुत था कि अच्छे से चल भी नहीं पा रहा था किसी तरह लड़खड़ाता हुआ अपने मिट्टी से बने कच्चे घर तक पहुँचा और कुंडी खटखटाई थोड़ी ही देर में उसकी पत्नी ने दरवाजा खोला और पत्नी कुछ बोल पाती कि उससे पहले ही उस बुजुर्ग ने कहा ये लो सम्भालो इसको "बेटी लेकर आया हूँ हमारे लिए" अब हम बाँझ नहीं कहलाएंगे आज से हम भी औलाद वाले हो गए, पत्नी की आँखों से खुशी के आँसू बहने लगे और उसने उस लड़की को अपने सीने से लगा लिया।। 🙏🙏 *जो प्राप्त है-पर्याप्त है* *जिसका मन मस्त है* *उसके पास समस्त है!!* ° मानव ही सबसे बड़ी जाति ° ° मानवता ही सबसे बड़ा धर्म ° ⭐️ Join the telegram group https://t.me/+0qiDzhylk9g5MGE9 ⭐️  Join on Facebook https://www.facebook.com/JeevanKiAnmolNidhi ⭐️  Subscribe on YouTube https://www.youtube.com/@devchandel.goojdex ⭐️  Follow on Instagram https://www.instagram.com/devchandel.goojdex आप भी अपने जानकर , दोस्त और परिवार के सदस्यों को add कर सकते है जिससे सभी को कहानी से प्रेरणा मिल सके  और ज्यादा से ज्यादा लाभ हो धन्यवाद। संकलन कर्ता-         Dev Chandel CEO & Founder GoojDex ⭐️*हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्*⭐️ https://onlinestoremarkets.blogspot.com https://goojdex.blogspot.com https://devchandel.blogspot.com

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6/15/2025, 1:24:17 AM

*‘संगत का असर’* *एक अध्यापक अपने शिष्यों के साथ घूमने जा रहे थे | रास्ते में वे अपने शिष्यों के अच्छी संगत की महिमा समझा रहे थे | लेकिन शिष्य इसे समझ नहीं पा रहे थे | तभी अध्यापक ने फूलों से भरा एक गुलाब का पौधा देखा | उन्होंने एक शिष्य को उस पौधे के नीचे से तत्काल एक मिट्टी का ढेला उठाकर ले आने को  कहा |* *जब शिष्य ढेला उठा लाया तो अध्यापक बोले – “ इसे अब सूंघो |”* *शिष्य ने ढेला सूंघा और बोला – “ गुरु जी इसमें से तो गुलाब की बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है |”* ⭐️ Join on Whatsapp https://whatsapp.com/channel/0029Va5GBzR3LdQRNbVAAl3j https://chat.whatsapp.com/Gd2tRkmNLXtDOnYe5Up6AH *तब अध्यापक बोले – “ बच्चो ! जानते हो इस मिट्टी में यह मनमोहक महक कैसे आई ? दरअसल इस मिट्टी पर गुलाब के फूल, टूट टूटकर गिरते रहते हैं, तो मिट्टी में भी गुलाब की महक आने लगी है जो की ये असर संगत का है और जिस प्रकार गुलाब की पंखुड़ियों की संगति के कारण इस मिट्टी में से गुलाब की महक आने लगी उसी प्रकार जो व्यक्ति जैसी संगत में रहता है उसमें वैसे ही गुणदोष आ जाते हैं |* *संगति का असर कहानी से सीख* 👉 *इस शिक्षाप्रद कहानी से सीख मिलती है कि हमें सदैव अपनी संगत अच्छी रखनी चाहिए |* 🙏🙏 *जो प्राप्त है-पर्याप्त है* *जिसका मन मस्त है* *उसके पास समस्त है!!* ° मानव ही सबसे बड़ी जाति ° ° मानवता ही सबसे बड़ा धर्म ° ⭐️ Join the telegram group https://t.me/+0qiDzhylk9g5MGE9 ⭐️  Join on Facebook https://www.facebook.com/JeevanKiAnmolNidhi ⭐️  Subscribe on YouTube https://www.youtube.com/@devchandel.goojdex ⭐️  Follow on Instagram https://www.instagram.com/devchandel.goojdex आप भी अपने जानकर , दोस्त और परिवार के सदस्यों को add कर सकते है जिससे सभी को कहानी से प्रेरणा मिल सके  और ज्यादा से ज्यादा लाभ हो धन्यवाद। संकलन कर्ता-         Dev Chandel CEO & Founder GoojDex ⭐️*हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्*⭐️ https://onlinestoremarkets.blogspot.com https://goojdex.blogspot.com https://devchandel.blogspot.com

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6/16/2025, 1:24:37 AM

*👉🏿आत्म मूल्यांकन* 🔅🔅🔅🔅🔅🔅🔅🔅🔅🔅 *एक बार एक व्यक्ति कुछ पैसे निकलवाने के लिए बैंक में गया। जैसे ही कैशियर ने पेमेंट दी* कस्टमर ने चुपचाप उसे अपने बैग में रखा और चल दिया। उसने एक लाख चालीस हज़ार रुपए निकलवाए थे। उसे पता था कि कैशियर ने ग़लती से एक लाख चालीस हज़ार रुपए देने के बजाय एक लाख साठ हज़ार रुपए उसे दे दिए हैं लेकिन उसने ये आभास कराते हुए कि उसने पैसे गिने ही नहीं और कैशियर की ईमानदारी पर उसे पूरा भरोसा है चुपचाप पैसे रख लिए। इसमें उसका कोई दोष था या नहीं लेकिन पैसे बैग में रखते ही 20,000 अतिरिक्त रुपयों को लेकर उसके मन में  उधेड़ -बुन शुरू हो गई। एक बार उसके मन में आया कि फालतू पैसे वापस लौटा दे लेकिन दूसरे ही पल उसने सोचा कि जब मैं ग़लती से किसी को अधिक पेमेंट कर देता हूँ तो मुझे कौन लौटाने आता है ??? बार-बार मन में आया कि पैसे लौटा दे लेकिन हर बार दिमाग कोई न कोई बहाना या कोई न कोई वजह दे देता पैसे न लौटाने की। लेकिन इंसान के अन्दर सिर्फ दिमाग ही तो नहीं होता… दिल और अंतरात्मा भी तो होती है… रह - रह कर उसके अंदर से आवाज़ आ रही थी कि तुम किसी की ग़लती से फ़ायदा उठाने से नहीं चूकते और ऊपर से बेईमान न होने का ढोंग भी करते हो। क्या यही ईमानदारी है ? ⭐️ Join on Whatsapp https://whatsapp.com/channel/0029Va5GBzR3LdQRNbVAAl3j https://chat.whatsapp.com/Gd2tRkmNLXtDOnYe5Up6AH उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी। अचानक ही उसने बैग में से बीस हज़ार रुपए निकाले और जेब में डालकर बैंक की ओर चल दिया। उसकी बेचैनी और तनाव कम होने लगा था। वह हल्का और स्वस्थ अनुभव कर रहा था। वह कोई बीमार थोड़े ही था लेकिन उसे लग रहा था जैसे उसे किसी बीमारी से मुक्ति मिल गई हो। उसके चेहरे पर किसी जंग को जीतने जैसी प्रसन्नता व्याप्त थी। रुपए पाकर कैशियर ने चैन की सांस ली। उसने कस्टमर को अपनी जेब से हज़ार रुपए का एक नोट निकालकर उसे देते हुए कहा, ‘‘भाई साहब आपका बहुत-बहुत आभार ! आज मेरी तरफ से बच्चों के लिए मिठाई ले जाना। प्लीज़ मना मत करना।” ‘‘भाई आभारी तो मैं हूँ आपका और आज मिठाई भी मैं ही आप सबको खिलाऊँगा ’’ -  कस्टमर  बोला। कैशियर ने पूछा - ‘‘ भाई आप किस बात का आभार प्रकट कर रहे हो और किस ख़ुशी में मिठाई खिला रहे हो ?’’ कस्टमर ने जवाब दिया -  ‘‘आभार इस बात का कि बीस हज़ार के चक्कर ने मुझे आत्म-मूल्यांकन का अवसर प्रदान किया। आपसे ये ग़लती न होती तो, न तो मैं द्वंद्व में फँसता और न ही उससे निकल कर अपनी लोभवृत्ति पर क़ाबू पाता। यह बहुत मुश्किल काम था। घंटों के द्वंद्व के बाद ही मैं जीत पाया। इस दुर्लभ अवसर के लिए आपका आभार।” मित्रों, कहाँ तो वो लोग हैं जो अपनी ईमानदारी का पुरस्कार और प्रशंसा पाने का अवसर नही चूकते और कहाँ वो जो औरों को पुरस्कृत करते हैं। *ईमानदारी का कोई पुरस्कार नहीं होता अपितु ईमानदारी स्वयं में एक बहुत बड़ा पुरस्कार है।* *अपने लोभ पर क़ाबू पाना कोई सामान्य बात नहीं। ऐसे अवसर भी जीवन में सौभाग्य से ही मिलते हैं अतः उन्हें गंवाना नहीं चाहिए अपितु उनका उत्सव मनाना चाहिए। 🙏🙏 *जो प्राप्त है-पर्याप्त है* *जिसका मन मस्त है* *उसके पास समस्त है!!* ° मानव ही सबसे बड़ी जाति ° ° मानवता ही सबसे बड़ा धर्म ° ⭐️ Join the telegram group https://t.me/+0qiDzhylk9g5MGE9 ⭐️  Join on Facebook https://www.facebook.com/JeevanKiAnmolNidhi ⭐️  Subscribe on YouTube https://www.youtube.com/@devchandel.goojdex ⭐️  Follow on Instagram https://www.instagram.com/devchandel.goojdex आप भी अपने जानकर , दोस्त और परिवार के सदस्यों को add कर सकते है जिससे सभी को कहानी से प्रेरणा मिल सके  और ज्यादा से ज्यादा लाभ हो धन्यवाद। संकलन कर्ता-         Dev Chandel CEO & Founder GoojDex ⭐️*हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्*⭐️ https://onlinestoremarkets.blogspot.com https://goojdex.blogspot.com https://devchandel.blogspot.com

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Jeevan Ki Anmol Nidhi
6/14/2025, 1:06:02 AM

एक बार एक शक्तिशाली राजा घने वन में शिकार खेल रहा था। अचानक आकाश में बादल छा गए और मूसलाधार वर्षा होने लगी। सूर्य अस्त हो गया और धीरे-धीरे अँधेरा छाने लगा। अँधेरे में राजा अपने महल का रास्ता भूल गया और सिपाहियों से अलग हो गया। भूख प्यास और थकावट से व्याकुल राजा जंगल के किनारे एक टीले पर बैठ गया। थोड़ी देर बाद उसने वहाँ तीन बालकों को देखा। तीनों बालक अच्छे मित्र थे। वे गाँव की ओर जा रहे थे। सुनो बच्चों! ‘जरा यहाँ आओ।’ राजा ने उन्हें बुलाया। बालक जब वहाँ पहुंचे तो राजा ने उनसे पूछा – ‘क्या कहीं से थोड़ा भोजन और जल मिलेगा?’ मैं बहुत प्यासा हूँ और भूख भी बहुत लगी है। बालकों ने उत्तर दिया – ‘अवश्य ‘। हम घर जा कर अभी कुछ ले आते है। वे गाँव की ओर भागे और तुरंत जल और भोजन ले आये। राजा बच्चों के उत्साह और प्रेम को देखकर बहुत प्रसन्न हुआ। राजा बोला – “प्यारे बच्चों! तुम लोग जीवन में क्या करना चाहते हो? मैं तुम सब की सहायता करना चाहता हूँ।” कुछ देर सोचने के बाद एक बालक बोला – ‘ मुझे धन चाहिए। मैंने कभी दो समय की रोटी नहीं खायी है। कभी सुन्दर वस्त्र नहीं पहने है इसलिए मुझे केवल धन चाहिए। राजा मुस्कुरा कर बोले – ठीक है। मैं तुम्हें इतना धन दूँगा कि जीवन भर सुखी रहोगे। यह शब्द सुनते ही बालकों की ख़ुशी का ठिकाना न रहा। ⭐️ Join on Whatsapp https://whatsapp.com/channel/0029Va5GBzR3LdQRNbVAAl3j https://chat.whatsapp.com/Gd2tRkmNLXtDOnYe5Up6AH दूसरे बालक ने बड़े उत्साह से पूछा – “क्या आप मुझे एक बड़ा-सा बँगला और घोड़ागाड़ी देंगे?’ राजा ने कहा – अगर तुम्हे यही चाहिए तो तुम्हारी इच्छा भी पूरी हो जाएगी। तीसरे बालक ने कहा – “मुझे न धन चाहिए न ही बंगला-गाड़ी। मुझे तो आप ऐसा आशीर्वाद दीजिए जिससे मैं पढ़-लिखकर विद्वान बन सकूँ और शिक्षा समाप्त होने पर मैं अपने देश की सेवा कर सकूँ। तीसरे बालक की इच्छा सुनकर राजा बहुत प्रभावित हुआ। उसने उसके लिए उत्तम शिक्षा का प्रबंध किया। वह परिश्रमी बालक था इसलिए दिन-रात एक करके उसने पढाई की और बहुत बड़ा विद्वान बन गया और समय आने पर राजा ने उसे अपने राज्य में मंत्री पद पर नियुक्त कर लिया। एक दिन अचानक राजा को वर्षों पहले घटी उस घटना की याद आई। उन्होंने मंत्री से कहा, ” वर्षों पहले तुम्हारे साथ जो दो और बालक थे, अब उनका क्या हाल-चाल है… मैं चाहता हूँ की एक बार फिर मैं एक साथ तुम तीनो से मिलूं, अतः कल अपने उन दोनों मित्रों को भोजन पर आमंत्रित कर लो।” मंत्री ने दोनों को संदेशा भिजवा दिया और अगले दिन सभी एक साथ राजा के सामने उपस्थित हो गए। ‘आज तुम तीनो को एक बार फिर साथ देखकर मैं बहुत प्रसन्न हूँ। इनके बारे में तो मैं जानता हूँ…पर तुम दोनों अपने बारे में बताओ। “, राजा ने मंत्री के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा। जिस बालक ने धन माँगा था वह दुखी होते हुए बोला, “राजा साहब, मैंने उस दिन आपसे धन मांग कर बड़ी गलती की। इतना सारा धन पाकर मैं आलसी बन गया और बहुत सारा धन बेकार की चीजों में खर्च कर दिया, मेरा बहुत सा धन चोरी भी हो गया ….और कुछ एक वर्षों में ही मैं वापस उसी स्थिति में पहुँच गया जिसमे आपने मुझे देखा था।” बंगला-गाडी मांगने वाले बालक भी अपना रोना रोने लगा, ” महाराज, मैं बड़े ठाट से अपने बंगले में रह रहा था, पर वर्षों पहले आई बाढ़ में मेरा सबकुछ बर्वाद हो गया और मैं भी अपने पहले जैसी स्थिति में पहुँच गया। उनकी बातें सुनने के बाद राजा बोले, ” इस बात को अच्छी तरह गाँठ बाँध लो धन-संपदा सदा हमारे पास नहीं रहते पर ज्ञान जीवन-भर मनुष्य के काम आता है और उसे कोई चुरा भी नहीं सकता। शिक्षा ही मानव को विद्वान और बड़ा आदमी बनाती है, इसलिए सबसे बड़ा धन “विद्या” ही है।” *Knowledge is Power* 🙏🙏 *जो प्राप्त है-पर्याप्त है* *जिसका मन मस्त है* *उसके पास समस्त है!!* ° मानव ही सबसे बड़ी जाति ° ° मानवता ही सबसे बड़ा धर्म ° ⭐️ Join the telegram group https://t.me/+0qiDzhylk9g5MGE9 ⭐️  Join on Facebook https://www.facebook.com/JeevanKiAnmolNidhi ⭐️  Subscribe on YouTube https://www.youtube.com/@devchandel.goojdex ⭐️  Follow on Instagram https://www.instagram.com/devchandel.goojdex आप भी अपने जानकर , दोस्त और परिवार के सदस्यों को add कर सकते है जिससे सभी को कहानी से प्रेरणा मिल सके  और ज्यादा से ज्यादा लाभ हो धन्यवाद। संकलन कर्ता-         Dev Chandel CEO & Founder GoojDex ⭐️*हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्*⭐️ https://onlinestoremarkets.blogspot.com https://goojdex.blogspot.com https://devchandel.blogspot.com

Jeevan Ki Anmol Nidhi
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5/20/2025, 1:07:43 AM

*💐💐संस्कारो पर नाज*💐💐 बेटा अब खुद कमाने वाला हो गया था ... इसलिए बात-बात पर अपनी माँ से झगड़ पड़ता था ये वही माँ थी जो बेटे के लिए पति से भी लड़ जाती थी। मगर अब फाइनेसिअली इंडिपेंडेंट बेटा पिता के कई बार समझाने पर भी इग्नोर कर देता और कहता, "यही तो उम्र है शौक की,खाने पहनने की, जब आपकी तरह मुँह में दाँत और पेट में आंत ही नहीं रहेगी तो क्या करूँगा।" बहू खुशबू भी भरे पूरे परिवार से आई थी, इसलिए बेटे की गृहस्थी की खुशबू में रम गई थी। बेटे की नौकरी अच्छी थी तो फ्रेंड सर्किल उसी हिसाब से मॉडर्न थी। बहू को अक्सर वह पुराने स्टाइल के कपड़े छोड़ कर मॉडर्न बनने को कहता, मगर बहू मना कर देती ..... वो कहता "कमाल करती हो तुम, आजकल सारा ज़माना ऐसा करता है,मैं क्या कुछ नया कर रहा हूँ। तुम्हारे सुख के लिए सब कर रहा हूँ और तुम हो कि उन्हीं पुराने विचारों में अटकी हो। क्वालिटी लाइफ क्या होती है तुम्हें मालूम ही नहीं।" और बहू कहती "क्वालिटी लाइफ क्या होती है, ये मुझे जानना भी नहीं है, क्योकि लाइफ की क्वालिटी क्या हो, मैं इस बात में विश्वास रखती हूँ।" आज अचानक पापा आई. सी. यू. में एडमिट हुए थे। हार्ट अटेक आया था। डॉक्टर ने पर्चा पकड़ाया, तीन लाख और जमा करने थे। डेढ़ लाख का बिल तो पहले ही भर दिया था मगर अब ये तीन लाख भारी लग रहे थे। वह बाहर बैठा हुआ सोच रहा था कि अब क्या करे। उसने कई दोस्तों को फ़ोन लगाया कि उसे मदद की जरुरत है, मगर किसी ने कुछ तो किसी ने कुछ बहाना कर दिया। आँखों में आँसू थे और वह उदास था तभी खुशबू  खाने का टिफिन लेकर आई और बोली,"अपना ख्याल रखना भी जरुरी है। ऐसे उदास होने से क्या होगा? हिम्मत से काम लो, बाबू जी को कुछ नहीं होगा आप चिन्ता मत करो। कुछ खा लो फिर पैसों का इंतजाम भी तो करना है आपको मैं यहाँ बाबूजी के पास रूकती हूँ आप खाना खाकर पैसों का इंतजाम कीजिये। "पति की आँखों से टप-टप आँसू झरने लगे। ⭐️ Join on Whatsapp https://whatsapp.com/channel/0029Va5GBzR3LdQRNbVAAl3j https://chat.whatsapp.com/Gd2tRkmNLXtDOnYe5Up6AH "कहा न आप चिन्ता मत कीजिये। जिन दोस्तों के साथ आप मॉडर्न पार्टियां करते हैं आप उनको फ़ोन कीजिये, देखिए तो सही, कौन कौन मदद को आता हैं। "पति खामोश और सूनी निगाहों से जमीन की तरफ़ देख रहा था। कि खुशबू का हाथ उसकी पीठ पर आ गया। और वह पीठ  को सहलाने लगी। "सबने मना कर दिया। सबने कोई न कोई बहाना बना दिया खुशबू।आज पता चला कि ऐसी दोस्ती तब तक की है जब तक जेब में पैसा है। किसी ने भी हाँ नहीं कहा जबकि उनकी पार्टियों पर मैंने लाखों उड़ा दिये।" "इसी दिन के लिए बचाने को तो माँ-बाबा कहते थे। खैर, कोई बात नहीं, आप चिंता न करो, हो जाएगा सब ठीक। कितना जमा कराना है?" "अभी तो तनख्वाह मिलने में भी समय है, आखिर चिन्ता कैसे न करूँ खुशबू ?" "तुम्हारी ख्वाहिशों को मैंने सम्हाल रखा है।" "क्या मतलब....?" "तुम जो नई नई तरह के कपड़ो और दूसरी चीजों के लिए मुझे पैसे देते थे वो सब मैंने सम्हाल रखे हैं। माँ जी ने फ़ोन पर बताया था, तीन लाख जमा करने हैं। मेरे पास दो लाख थे। बाकी मैंने अपने भैया से मंगवा लिए हैं। टिफिन में सिर्फ़ एक ही डिब्बे में खाना है बाकी में पैसे हैं।" खुशबू ने थैला टिफिन सहित उसके हाथों में थमा दिया। "खुशबू ! तुम सचमुच अर्धांगिनी हो, मैं तुम्हें मॉडर्न बनाना चाहता था, हवा में उड़ रहा था। मगर तुमने अपने संस्कार नहीं छोड़े. आज वही काम आए हैं। " *सामने बैठी माँ के आँखो में आंसू थे उसे आज खुद के नहीं बल्कि पराई माँ के संस्कारो पर नाज था और वो बहु के सर पर हाथ फेरती हुई ऊपरवाले का शुक्रिया अदा किया 🙏🙏 *जो प्राप्त है-पर्याप्त है* *जिसका मन मस्त है* *उसके पास समस्त है!!* ° मानव ही सबसे बड़ी जाति ° ° मानवता ही सबसे बड़ा धर्म ° ⭐️. Join the telegram group https://t.me/+0qiDzhylk9g5MGE9 ⭐️  Join on Facebook https://www.facebook.com/JeevanKiAnmolNidhi ⭐️  Subscribe on YouTube https://www.youtube.com/@devchandel.goojdex ⭐️  Follow on Instagram https://www.instagram.com/devchandel.goojdex आप भी अपने जानकर , दोस्त और परिवार के सदस्यों को add कर सकते है जिससे सभी को कहानी से प्रेरणा मिल सके  और ज्यादा से ज्यादा लाभ हो धन्यवाद। संकलन कर्ता-         Dev Chandel CEO & Founder GoojDex ⭐️*हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्*⭐️ https://onlinestoremarkets.blogspot.com https://goojdex.blogspot.com https://devchandel.blogspot.com

Jeevan Ki Anmol Nidhi
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5/21/2025, 1:27:28 AM

*💐विजेता मेंढक💐* बहुत समय पहले की बात है ,एक सरोवर में बहुत सारे मेंढक रहतेथे !सरोवर के  बीचों-बीच एक बहुत पुराना धातु  का खम्भा  भी लगा हुआ था जिसे उस सरोवर को बनवाने वाले राजा ने  लगवाया  था। खम्भा काफी ऊँचा था और उसकी सतह भी बिलकुल चिकनी  थी। एक दिन मेंढकों के दिमाग में  आया कि क्यों ना एक रेस करवाई जाए ।रेस में भाग  लेने  वाली  प्रतियोगीयों को  खम्भे पर चढ़ना होगा , और  जो  सबसे पहले एक ऊपर पहुच  जाएगा वही विजेता माना  जाएगा । रेस का दिन आ पंहुचा,चारो तरफ बहुत भीड़ थी । आस -पास  के  इलाकों  से  भी कई  मेंढक  इस  रेस  में  हिस्सा लेने पहुचे   . माहौल में  सरगर्मी थी   , हर  तरफ शोर ही शोर  था । रेस  शुरू  हुई … …लेकिन खम्भे को देखकर  भीड़  में  एकत्र  हुए  किसी  भी  मेंढक  को  ये  यकीन  नहीं हुआकि  कोई भी  मेंढक   ऊपर  तक  पहुंच पायेगा … हर  तरफ  यही सुनाई  देता … ⭐️ Join on Whatsapp https://whatsapp.com/channel/0029Va5GBzR3LdQRNbVAAl3j https://chat.whatsapp.com/Gd2tRkmNLXtDOnYe5Up6AH “ अरे  ये बहुत  कठिन  है ” “ वो  कभी भी ये  रेस  पूरी  नहीं  कर  पायंगे ” “ सफलता का  तो  कोई  सवाल ही नहीं  , इतने  चिकने  खम्भे पर चढ़ा ही नहीं जा सकता  ” और  यही हो भी  रहा  था , जो भी  मेंढक  कोशिश  करता , वो  थोडा  ऊपर  जाकर  नीचे  गिर  जाता , कई  मेंढक दो -तीन  बार  गिरने  के  बावजूद  अपने  प्रयास  में  लगे  हुए  थे … पर  भीड़  तो अभी भी  चिल्लाये  जा  रही  थी , “ ये  नहीं  हो  सकता , असंभव ”, और  वो  उत्साहित  मेंढक  भी ये सुन-सुनकर हताश हो गए और अपना  प्रयास  छोड़  दिया . लेकिन  उन्ही  मेंढकों  के  बीच  एक  छोटा  सा  मेंढक  था , जो  बार -बार  गिरने  पर  भी  उसी  जोश  के  साथ  ऊपर  चढ़ने  में  लगा  हुआ  था ….वो लगातार   ऊपर  की  ओर  बढ़ता  रहा ,और  अंततः  वह  खम्भे के  ऊपर  पहुच  गया  और इस रेस का  विजेता  बना . उसकी  जीत  पर  सभी  को  बड़ा  आश्चर्य  हुआ , सभी मेंढक  उसे  घेर  कर  खड़े  हो  गए  और  पूछने  लगे   ,” तुमने  ये  असंभव  काम  कैसे  कर  दिखाया , भला तुम्हे   अपना  लक्ष्य   प्राप्त  करने  की  शक्ति  कहाँ  से  मिली, ज़रा हमें भी तो बताओ कि तुमने ये विजय कैसे प्राप्त की ?” तभी  पीछे  से  एक  आवाज़  आई … “अरे  उससे  क्या  पूछते  हो , वो  तो  बहरा  है ” अक्सर हमारे अन्दर अपना लक्ष्य प्राप्त करने की काबीलियत होती है, पर हम अपने चारों तरफ मौजूद नकारात्मकता की वजह से खुद को कम आंक बैठते हैं और हमने जो बड़े-बड़े सपने देखे होते हैं उन्हें पूरा किये बिना ही अपनी ज़िन्दगी गुजार देते हैं . आवश्यकता  इस बात की है हम हमें कमजोर बनाने वाली हर एक आवाज के प्रति बहरे और ऐसे हर एक दृश्य के प्रति अंधे हो जाएं. और तब हमें सफलता के शिखर पर पहुँचने से कोई नहीं रोक पायेगा. ज़िंदगी_चाहे_एक_दिन_की_हो.. चाहे_चार_दिन_की_उसे_ऐसे_जियो जैसे_कि_ज़िंदगी_तुम्हें_नहीं.. ज़िंदगी_को_तुम_मिले_हो.. 🙏🙏 *जो प्राप्त है-पर्याप्त है* *जिसका मन मस्त है* *उसके पास समस्त है!!* ° मानव ही सबसे बड़ी जाति ° ° मानवता ही सबसे बड़ा धर्म ° ⭐️. Join on telegram group https://t.me/+0qiDzhylk9g5MGE9 ⭐️  Join on Facebook https://www.facebook.com/JeevanKiAnmolNidhi ⭐️  Subscribe on YouTube https://www.youtube.com/@devchandel.goojdex ⭐️  Follow on Instagram https://www.instagram.com/devchandel.goojdex आप भी अपने जानकर , दोस्त और परिवार के सदस्यों को add कर सकते है जिससे सभी को कहानी से प्रेरणा मिल सके  और ज्यादा से ज्यादा लाभ हो धन्यवाद। संकलन कर्ता-         Dev Chandel CEO & Founder GoojDex ⭐️*हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्*⭐️ https://onlinestoremarkets.blogspot.com https://goojdex.blogspot.com https://devchandel.blogspot.com

Jeevan Ki Anmol Nidhi
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5/19/2025, 12:53:58 AM

फ़ोन की घंटी तो सुनी मगर आलस की वजह से रजाई में ही लेटी रही। उसके पति राहुल को आखिर उठना ही पड़ा। दूसरे कमरे में पड़े फ़ोन की घंटी बजती ही जा रही थी। इतनी सुबह कौन हो सकता है जो सोने भी नहीं देता, इसी चिड़चिड़ाहट में उसने फ़ोन उठाया। “हेल्लो, कौन” तभी दूसरी तरफ से आवाज सुन सारी नींद खुल गयी। “नमस्ते पापा।” “बेटा, बहुत दिनों से तुम्हे मिले नहीं सो हम दोनों ११ बजे की गाड़ी से आ रहे है। दोपहर का खाना साथ में खा कर हम ४ बजे की गाड़ी वापिस लौट जायेंगे। ठीक है।” “हाँ पापा, मैं स्टेशन पर आपको लेने आ जाऊंगा।” फ़ोन रख कर वापिस कमरे में आ कर उसने रचना को बताया कि मम्मी पापा ११ बजे की गाड़ी से आरहे है और दोपहर का खाना हमारे साथ ही खायेंगे। . रजाई में घुसी रचना का पारा एक दम सातवें आसमान पर चढ़ गया। “कोई इतवार को भी सोने नहीं देता, अब सबके के लिए खाना बनाओ। पूरी नौकरानी बना दिया है।” गुस्से से उठी और बाथरूम में घुस गयी। राहुल हक्का बक्का हो उसे देखता ही रह गया। जब वो बाहर आयी तो राहुल ने पूछा “क्या बनाओगी।” गुस्से से भरी रचना ने तुनक के जवाब दिया “अपने को तल के खिला दूँगी।” राहुल चुप रहा और मुस्कराता हुआ तैयार होने में लग गया, स्टेशन जो जाना था। थोड़ी देर बाद ग़ुस्सैल रचना को बोल कर वो मम्मी पापा को लेने स्टेशन जा रहा है वो घर से निकल गया। . रचना गुस्से में बड़बड़ाते हुए खाना बना रही थी। दाल सब्जी में नमक, मसाले ठीक है या नहीं की परवाह किए बिना बस करछी चलाये जा रही थी। कच्चा पक्का खाना बना बेमन से परांठे तलने लगी तो कोई कच्चा तो कोई जला हुआ। आखिर उसने सब कुछ ख़तम किया, नहाने चली गयी। . नहा के निकली और तैयार हो सोफे पर बैठ मैगज़ीन के पन्ने पलटने लगी।उसके मन में तो बस यह चल रहा था कि सारा संडे खराब कर दिया। बस अब तो आएँ , खाएँ और वापिस जाएँ । थोड़ी देर में घर की घंटी बजी तो बड़े बेमन से उठी और दरवाजा खोला। दरवाजा खुलते ही उसकी आँखें हैरानी से फटी की फटी रह गयी और मुँह से एक शब्द भी नहीं निकल सका। ⭐️ Join on Whatsapp https://whatsapp.com/channel/0029Va5GBzR3LdQRNbVAAl3j https://chat.whatsapp.com/Gd2tRkmNLXtDOnYe5Up6AH सामने राहुल के नहीं उसके अपने मम्मी पापा खड़े थे जिन्हें राहुल स्टेशन से लाया था। . मम्मी ने आगे बढ़ कर उसे झिंझोड़ा “अरे, क्या हुआ। इतनी हैरान परेशान क्यों लग रही है। क्या राहुल ने बताया नहीं कि हम आ रहे हैं।” जैसे मानो रचना के नींद टूटी हो “नहीं, मम्मी इन्होंने तो बताया था पर…. रर… रर। चलो आप अंदर तो आओ।” राहुल तो अपनी मुसकराहट रोक नहीं पा रहा था। . कुछ देर इधर उधर की बातें करने में बीत गया। थोड़ी देर बाद पापा ने कहाँ “रचना, गप्पे ही मारती रहोगी या कुछ खिलाओगी भी।” यह सुन रचना को मानो साँप सूँघ गया हो। क्या करती, बेचारी को अपने हाथों ही से बनाए अध पक्के और जले हुए खाने को परोसना पड़ा। मम्मी पापा खाना तो खा रहे थे मगर उनकी आँखों में एक प्रश्न था जिसका वो जवाब ढूँढ रहे थे। आखिर इतना स्वादिष्ट खाना बनाने वाली उनकी बेटी आज उन्हें कैसा खाना खिला रही है। . रचना बस मुँह नीचे किए बैठी खाना खा रही थी। मम्मी पापा से आँख मिलाने की उसकी हिम्मत नहीं हो पा रही थी। खाना ख़तम कर सब ड्राइंग रूम में आ बैठे। राहुल कुछ काम है अभी आता हुँ कह कर थोड़ी देर के लिए बाहर निकल गया। राहुल के जाते ही मम्मी, जो बहुत देर से चुप बैठी थी बोल पड़ी “क्या राहुल ने बताया नहीं था की हम आ रहे हैं।” . तो अचानक रचना के मुँह से निकल गया “उसने सिर्फ यह कहाँ था कि मम्मी पापा लंच पर आ रहे हैं, मैं समझी उसके मम्मी पापा आ रहे हैं।” फिर क्या था रचना की मम्मी को समझते देर नहीं लगी कि ये मामला है। बहुत दुखी मन से उन्होंने रचना को समझाया “बेटी, हम हों या उसके मम्मी पापा तुम्हे तो बराबर का सम्मान करना चाहिए। मम्मी पापा क्या, कोई भी घर आए तो खुशी खुशी अपनी हैसियत के मुताबिक उसकी सेवा करो। बेटी, जितना किसी को सम्मान दोगी उतना तुम्हे ही प्यार और इज़्ज़त मिलेगी। जैसे राहुल हमारी इज़्ज़त करता है उसी तरह तुम्हे भी उसके माता पिता और सम्बन्धियों की इज़्ज़त करनी चाहिए। रिश्ता कोई भी हो, हमारा या उसका, कभी फर्क नहीं करना।” रचना की आँखों में ऑंसू आ गए और अपने को शर्मिंदा महसूस कर उसने मम्मी को वचन दिया कि आज के बाद फिर ऐसा कभी नहीं होगा..! 🙏🙏 *जो प्राप्त है-पर्याप्त है* *जिसका मन मस्त है* *उसके पास समस्त है!!* ° मानव ही सबसे बड़ी जाति ° ° मानवता ही सबसे बड़ा धर्म ° ⭐️ Join the telegram group https://t.me/+0qiDzhylk9g5MGE9 ⭐️  Join on Facebook https://www.facebook.com/JeevanKiAnmolNidhi ⭐️  Subscribe on YouTube https://www.youtube.com/@devchandel.goojdex ⭐️  Follow on Instagram https://www.instagram.com/devchandel.goojdex आप भी अपने जानकर , दोस्त और परिवार के सदस्यों को add कर सकते है जिससे सभी को कहानी से प्रेरणा मिल सके  और ज्यादा से ज्यादा लाभ हो धन्यवाद। संकलन कर्ता-         Dev Chandel CEO & Founder GoojDex ⭐️*हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्*⭐️ https://onlinestoremarkets.blogspot.com https://goojdex.blogspot.com https://devchandel.blogspot.com

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