Jeevan Ki Anmol Nidhi
Jeevan Ki Anmol Nidhi
February 7, 2025 at 04:04 AM
*परमात्मा प्राप्ति किसे होती हॆ ?* *एक सुन्दर , अच्छी व शिक्षाप्रद कहानी है:----* *एक राजा था।वह बहुत न्याय प्रिय तथा प्रजा वत्सल एवं धार्मिक स्वभाव का था।* *वह नित्य अपने इष्ट देव की बडी श्रद्धा से पूजा-पाठ और याद करता था।* *एक दिन इष्ट देव ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिये तथा कहा---"राजन् मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हैं। बोलो तुम्हारी कोई इछा हॆ?"* *प्रजा को चाहने वाला राजा बोला---"भगवन् मेरे पास आपका दिया सब कुछ हॆ।आपकी कृपा से राज्य मे सब प्रकार सुख-शान्ति हॆ। फिर भी मेरी एक ईच्छा हॆ कि जैसे आपने मुझे दर्शन देकर धन्य किया, वैसे ही मेरी सारी प्रजा को भी दर्शन दीजिये।"* *"यह तो सम्भव नहीं है ।"* *---भगवान ने राजा को समझाया ।परन्तु प्रजा को चाहने वाला राजा भगवान् से जिद्द् करने लगा। आखिर भगवान को अपने साधक के सामने झुकना पडा ओर वे बोले,--"ठीक है, कल अपनी सारी प्रजा को उस पहाडी के पास लाना। मैं पहाडी के ऊपर से दर्शन दूँगा।"* *राजा अत्यन्त प्रसन्न. हुअा और भगवान को धन्यवाद दिया।* Join on Whatsapp https://whatsapp.com/channel/0029Va5GBzR3LdQRNbVAAl3j https://chat.whatsapp.com/Gd2tRkmNLXtDOnYe5Up6AH *अगले दिन सारे नगर मे ढिंढोरा पिटवा दिया कि कल सभी पहाड के नीचे मेरे साथ पहुँचे,वहाँ भगवान् आप सबको दर्शन देगें।* *दूसरे दिन राजा अपने समस्त प्रजा और स्वजनों को साथ लेकर पहाडी की ओर चलने लगा।* *चलते-चलते रास्ते मे एक स्थान पर तांबे कि सिक्कों का पहाड देखा। प्रजा में से कुछ एक उस ओर भागने लगे।तभी ज्ञानी राजा ने सबको सर्तक किया कि कोई उस ओर ध्यान न दे,क्योकि तुम सब भगवान से मिलने जा रहे हो,इन तांबे के सिक्कों के पीछे अपने भाग्य को लात मत मारो।* *परन्तु लोभ-लालच मे वशीभूत कुछ एक प्रजा तांबे कि सिक्कों वाली पहाडी की ओर भाग गयी और सिक्कों कि गठरी बनाकर अपने घर कि ओर चलने लगे। वे मन ही मन सोच रहे थे,पहले ये सिक्कों को समेट ले, भगवान से तो फिर कभी मिल लेगे।* *राजा खिन्न मन से आगे बढे। कुछ दूर चलने पर चांदी कि सिक्कों का चमचमाता पहाड दिखाई दिया।इस वार भी बचे हुये प्रजा में से कुछ लोग, उस ओर भागने लगे ओर चांदी के सिक्कों को गठरी बनाकर अपनी घर की ओर चलने लगे।उनके मन मे विचार चल रहा था कि,ऐसा मौका बार-बार नहीं मिलता है । चांदी के इतने सारे सिक्के फिर मिले न मिले, भगवान तो फिर कभी मिल जायेगें !* *इसी प्रकार कुछ दूर और चलने पर सोने के सिक्कों का पहाड नजर आया।अब तो प्रजाजनो में बचे हुये सारे लोग तथा राजा के स्वजन भी उस ओर भागने लगे। वे भी दूसरों की तरह सिक्कों कि गठरी लाद कर अपने-अपने घरों की ओर चल दिये।* *अब केवल राजा ओर रानी ही शेष रह गये थे।राजा रानी से कहने लगे---"देखो कितने लोभी ये लोग। भगवान से मिलने का महत्व ही नहीं जानते हॆ। भगवान के सामने सारी दुनियां कि दौलत क्या चीज हॆ?" सही बात है--रानी ने राजा कि बात का समर्थन किया और वह आगे बढने लगे।* *कुछ दुर चलने पर राजा ओर रानी ने देखा कि सप्तरंगि आभा बिखरता हीरों का पहाड हॆ।अब तो रानी से रहा नहीं गया,हीरों के आर्कषण से वह भी दौड पडी,और हीरों कि गठरी बनाने लगी ।फिर भी उसका मन नहीं भरा तो साड़ी के पल्लू मेँ भी बांधने लगी । वजन के कारण रानी के वस्त्र देह से अलग हो गये,परंतु हीरों का तृष्णा अभी भी नहीं मिटी।यह देख राजा को अत्यन्त ग्लानि ओर विरक्ति हुई।बड़े दुःखद मन से राजा अकेले ही आगे बढते गये।* *वहाँ सचमुच भगवान खडे उसका इन्तजार कर रहे थे।राजा को देखते ही भगवान मुसकुराये ओर पुछा --"कहाँ है तुम्हारी प्रजा और तुम्हारे प्रियजन। मैं तो कब से उनसे मिलने के लिये बेकरारी से उनका इन्तजार कर रहा हूॅ।"* *राजा ने शर्म और आत्म-ग्लानि से अपना सर झुका दिया।तब भगवान ने राजा को समझाया--* *"राजन जो लोग भौतिक सांसारिक प्राप्ति को मुझसे अधिक मानते हॆ, उन्हें कदाचित मेरी प्राप्ति नहीं होती ओर वह मेरे स्नेह तथा आर्शिवाद से भी वंचित रह जाते हॆ।"* *सार......* *जो आत्मायें अपनी मन ओर बुद्धि से भगवान पर कुर्बान जाते हैं,* *और सर्वसम्बधों से प्यार करते है...........वह भगवान के प्रिय बनते।* 🙏🙏 *जो प्राप्त है-पर्याप्त है* *जिसका मन मस्त है* *उसके पास समस्त है!!* ° मानव ही सबसे बड़ी जाति ° ° मानवता ही सबसे बड़ा धर्म ° Join the telegram group https://t.me/+0qiDzhylk9g5MGE9 Join on Facebook https://www.facebook.com/JeevanKiAnmolNidhi Subscribe on YouTube https://www.youtube.com/@devchandel.goojdex Follow on Instagram https://www.instagram.com/devchandel.goojdex आप भी अपने जानकर , दोस्त और परिवार के सदस्यों को add कर सकते है जिससे सभी को कहानी से प्रेरणा मिल सके  और ज्यादा से ज्यादा लाभ हो धन्यवाद। संकलन कर्ता- Dev Chandel CEO & Founder GoojDex *हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्* https://onlinestoremarkets.blogspot.com https://goojdex.blogspot.com https://devchandel.blogspot.com

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