पथ प्रदर्शक (Path Pradarshak)
पथ प्रदर्शक (Path Pradarshak)
February 7, 2025 at 02:23 PM
पोथियों को फाड़ कर, ग्रंथों को राख करो, नीतियों को रख ताक पर, समाज का बहिष्कार करो, ये फड़ फड़ा रही जो लौ , बातियों को उजाड़ दो, मूक बाधीर सन्न स्थिर प्रजा को, धर्म ज्ञान कांडों में ध्यान दो, बहु आतुर निडर सज्जन उड़ रहे, अंधियारी पिंजड़ों में अपनों का हाथ दो, उड़ चला जो पक्षी अम्बर की तलाश में, उजालों को कहो रोशनी की चमक दो, बीत रहे आश्रय में निश्चित दिन जिनके, हाथों में उनके कमान की बागडोर दो, (2) मांग उठाने वालों को, मुफ्त की सौगात दो, धूप में चलने वालों को, तत्काल नेक हाथ दो, चढ़े माथे जो पसीना, ठंडक का अहसास दो, गरज रही कही भड़की बिजली, उन्हें हवाओं को सौंप दो, मुट्ठी में हो रहे कैद कही तो, भक्ति की लहू में सींच दो, रक्त उबालमार रहा कही तो, अधिकारों के हाथों बेंच दो, (3) भिन भिना चुकी मधुमक्खियां, शहद निकालने की बारी है, सुख चुके रक्त शिराओं में, गहरी सिंचाई की तैयारी है, छाया जो तेज नभ मंडल में, मेघों से गरज गुजारिश है, सुस्त पड़े पवन लहरों में, गर्माहट की सिफारिश है, मंद हो चुकी ज्वालाओं को, भड़काने की उगाही है, #tanj @सम्राट साहू ❤️❤️
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