Abu Muhammad ابو محمد
Abu Muhammad ابو محمد
February 21, 2025 at 01:29 AM
*"रब की तरफ से एक अवसर और, आओ इस रमज़ान खुद को बदलें"* "'''"''""""""""""""""""""""" रमज़ान कोई रस्म नहीं, कोई रिवाज नहीं, कोई त्योहार नहीं, रमज़ान रब की ओर से अवसर है खुद को बदलने का, रमज़ान का उद्देय केवल यही है। *"ऐ ईमान वालों! तुम पर रोज़े फर्ज़ किए गए हैं, जैसे तुमसे पहले वालों पर फर्ज़ किए गए थे, ताकि तुम तक़वा (परहेज़गारी) हासिल करो।"* (सूरह अल-बक़रह 2:183) रमज़ान वह महीना है जिसमें नेकियों का भाव बढ़ जाता है, गुनाहों से खुद को बचाना आसान होता है, और अपने बंदों पर रब की दया कृपा इन दिनों विशेष रूप से होती है। लेकिन तौफीक उसे मिलती है जो कोशिश करता है, बदलता वहीं है जो खुद को बदलना चाहता है। *"निश्चय ही अल्लाह किसी क़ौम की हालत नहीं बदलता, जब तक कि वे खुद अपने हालात को न बदलें।"* (सूरह अर-रअद 13:11) खूब समल लें, रमज़ान को सभी महीनों पर श्रेष्ठता क़ुरआन के कारण मिली है, इस महीने की जिस रात को क़ुरआन अवतरित हुआ "कद्र की रात" उस रात को तमाम रातों पर श्रेष्ठता मिली है, इतनी श्रेष्ठता की हजार रातों से भी बढ़कर है एक रात। *यानि जो चीज़ भी क़ुरआन से जुड़ जाती है वह श्रेष्ठ हो जाती है, आप भी अपने जिस पल को श्रेष्ठ बनाना चाहे उस पल में क़ुरआन पढ़ें, अल्लाह के पैग़ाम पर विचार करें कि अल्लाह आपसे क्या चाहता है ?* अल्लाह आपसे यह चाहता है कि आप अपने आपको संवार लें। आप बुरी सोहबत और बुरी बातें छोड़कर अच्छे लोगों में बैठें और अच्छी बातें सीख लें। अल्लाह क़ुरआन मजीद के ज़रिए अच्छी बातें सिखाता है। *जब आप क़ुरआन पढ़ते हैं तो आप अपने रब की सोहबत में होते हैं।* *जब आप क़ुरआन को रिपीट करते हैं तो रब का नज़रिया आपका नज़रिया बन रहा होता है।* *यह वह पल होता है, जो सबसे श्रेष्ठ होता है।* *रमज़ान गुज़र जाता है और लैलतुलक़द्र बीत जाती है लेकिन क़ुरआन हमेशा हमारे पास होता है। जिसकी वजह से रमज़ान को और लैलतुलक़द्र को श्रेष्ठता मिली।* आज हम पर हालात क़ुरान से दूरी की वजह से हैं, क़ुरआन से जुड़ जाए, इज़्ज़त और सम्मान अपने आप मिलेगा। *क़ुरान से जुड़ने के लिए क़ुरान को समझना जरूरी है, और क़ुरान को समझने के लिए उसका तर्जुमा पढ़ना जरूरी है।*
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