
Abu Muhammad ابو محمد
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About Abu Muhammad ابو محمد
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جاہل صرف وہ نہیں ہوتا جو تعلیم یافتہ نہ ہو بلکہ جاہل وہ بھی ہوتا ہے جس نے ڈگریوں کے ڈھیر لگا رکھے ہوں مگر اپنے ظرف میں وسعت, لہجے میں نرمی اور طبیعت میں انکساری نہ پیدا کر پایا ہو...!!


*ماشاءاللہ نئے انداز سے A,B,C,D* *माशा अल्लाह नए अंदाज से A,B,C,D* https://youtube.com/shorts/zuPuLXR0Rbw?si=afVKTPABpGL_7PZJ

*"माँ, वह अनमोल रब की नेमत है, जिसे एक दिन में नहीं बांधा जा सकता !!"* """""""""""""""""""""""""""""""""""""" हर साल मई का दूसरा रविवार *"मदर्स डे"* के रूप में मनाया जाता है। 2014 से इसकी औपचारिक शुरुआत हुई, लेकिन यह विडंबना है कि जैसे-जैसे ये प्रतीकात्मक दिवस बढ़ते जा रहे हैं, वैसे-वैसे वृद्धाश्रमों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी होती जा रही है। *क्या एक दिन का जश्न उस शख्सियत के लिए काफी है, जिसने हमारी पूरी जिंदगी संवार दी ?* सोचिए, अगर हमारी मां भी हमें साल में केवल एक दिन "बेटा दिवस" या "बेटी दिवस" पर याद करे और बाकी दिन हमें भुला दे, तब क्या होगा ? *माँ भावना नहीं है, बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड है, माँ केवल जन्म देने वाली नहीं, बल्कि जीवन की पहली पाठशाला है।* वह बिना शब्दों के हमारी ज़रूरत समझने वाली पहली इंसान होती है। जब हम बोल नहीं सकते, वह हमारे रोने की भाषा समझती है। जब हम चल नहीं सकते, वह हमें थामे रहती है। माँ का प्यार उस गहराई की तरह है, जिसका कोई छोर नहीं। *जैसे नदी का अस्तित्व जल से है, वृक्ष का फल से है, वैसे ही हमारे जीवन की आत्मा माँ की ममता है। बिना माँ की दुआओं के कोई कामयाबी मुकम्मल नहीं होती।* इस्लाम केवल "मदर्स डे" नहीं, बल्कि हर दिन को माँ और बाप के लिए समर्पित मानता है। *क़ुरआन में हम सबके रब ने समूचे मानव समुदाय को चेतावनी और नसीहत दी है...* *“हमने मनुष्य को ताकीद की कि वह अपने माता-पिता के साथ भलाई करे। उसकी माँ ने उसे कष्ट में रखा और कष्ट में ही उसे जन्म दिया।”* (सूरह अल-अहक़ाफ़ 46:15) *“और तुम्हारे रब ने फ़ैसला कर दिया कि उसके सिवा किसी की इबादत न करो, और माँ-बाप के साथ अच्छा व्यवहार करो। अगर वे बुढ़ापे को पहुँच जाएँ तो उन्हें ‘उंह’ तक न कहो और न झिड़को।”* (सूरह बनी इस्राईल 17:23) *पैग़म्बर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) से जब एक व्यक्ति ने प्रश्न किया..* *"मेरे अच्छे व्यवहार का सबसे ज़्यादा हकदार कौन है ?" आपने तीन बार फरमाया: “तेरी माँ”, और चौथी बार फरमाया: “तेरा बाप”।* यह स्पष्ट करता है कि माँ का दर्जा पिता से भी तीन गुना ऊँचा है। हदीसों में बार-बार यह बताया गया है कि जन्नत माँ की सेवा से हासिल होती है। एक शख्स अगर माँ के साथ ज़रा सी भी बदतमीज़ी करता है, चाहे वह केवल "उंह" ही क्यों न कहे, तो उसके सारे अच्छे कर्म समाप्त और खत्म हो सकते हैं। समाज में वृद्धाश्रमों की बढ़ती संख्या इस बात का संकेत है कि हम केवल ‘मातृ दिवस’ मनाकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री मान रहे हैं। माँ ने हमें हर दिन चाहा है, हर रात हमारे लिए जागी है, तो क्या वह केवल एक दिन की हक़दार है ? अगर हम वाकई अपनी माँ से प्रेम करते हैं, तो हमें केवल ग्रीटिंग कार्ड या सोशल मीडिया स्टेटस से ऊपर उठकर उन्हें वह सम्मान देना चाहिए, जिसकी वह हक़दार हैं, सेवा, सम्मान और सच्ची मोहब्बत। माँ केवल रिश्ता नहीं, बल्कि रब का दिया हुआ एक ऐसा उपहार है जिसका कोई मोल नहीं, जिसका कोई बदल नहीं। आइए, हम संकल्प लें कि अपनी माँ के लिए हर दिन को खास बनाएं। इस्लाम ने हमें यही सिखाया है, कि माँ की सेवा रब की बहुत बड़ी इबादत है, ऐसी कि अपने माता-पिता को प्रेम भरी दृष्टि से देखना भी इबादत है, और उनकी खुशी ही हमारी जन्नत का रास्ता।


*उस दो कौड़ी के बीजेपी मंत्री को बताओ कि कर्नल सोफ़िया जैसी बेटियाँ क़िस्मत वालों के देश में पैदा होती हैं।*


*اللھم صل وسلّم علی نبینا محمدﷺ* *اگر بندہ نبیﷺ پر اپنی سانسوں کے برابر بھی درود پڑھے؛ تو بھی آپ کا حق اَدا نہ ہو!* امام ابن القيّم رحمه الله جلاء الأفهام:٣٤٤

*مدرسے کی لڑکی کا شاندار بیان* *मदरसे की लड़की का शानदार बयान* https://youtu.be/0HabZvVfRQE?si=mYf8T3TWe6VYf5Jh

*जिन्होंने 52 साल अपने मुख्यालय पर तिरंगा नहीं फहराया वो तिरंगा यात्रा निकाल रहे हैं....* *लेकिन तिरंगे का अपमान करते हुए*

*فقر اور تنگ دستی اس قدر نقصان دہ نہیں جس قدر مال و دولت کی فراوانی نقصان دہ ہے کیونکہ غربت میں اللہ یاد رہتا ہے جبکہ دولت کے نشے میں اللہ بھول جاتا ہے۔*


*خود کمانے لگا تو خود پر چار سکے بھی نہ خرچ کر سکا میں,* *نہ جانے میرے باپ نے کیا سوچ کر مجھ پر اپنی ساری دولت لٹائی ہوگی !!* *खुद कमाने लगा तो खुद पर चार सिक्के भी ना खर्च कर सका मैं,* *ना जाने मेरे बाप ने क्या सोच कर मुझ पर अपनी सारी दौलत लुटाई होगी !!*
