Abu Muhammad ابو محمد
Abu Muhammad ابو محمد
February 28, 2025 at 06:39 AM
हर फिल्म की शुरुआत में बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा होता है: *"इस फिल्म के सभी पात्र और घटनाएं पूर्णतः काल्पनिक हैं। इनका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है।"* लेकिन जैसे ही फिल्म हिट होती है, लोग अचानक इतिहासकार बन जाते हैं, और जिनको इतिहास का "ह" भी नहीं पता, वो टीवी डिबेट्स में पैनलिस्ट बन जाते हैं! अब मामला *"छावा"* फिल्म का है। *इतिहास को ऐसा तोड़-मरोड़ के परोसा गया कि खुद डायरेक्टर को माफी मांगनी पड़ गई!* लेकिन भई, ये नया भारत है! यहां नाटक को सच और सच को नाटक मानने की परंपरा ज़ोरों पर है। मतलब, *स्क्रिप्ट राइटर अगर बोले कि अकबर ने व्हॉट्सऐप पर बीरबल को मैसेज किया था, तो जनता बोलेगी—"हां भाई, हमारे पूर्वजों की गूगल चैट भी होगी!"* आज फिल्में हो, ड्रामा हो, न्यूज चैनल या फिर सोसल मीडिया बल्कि ऐसा कोई प्लेटफार्म बाकी ही नहीं है, जिसका उपयोग मुसलमानों के खिलाफ नफ़रत भरने में न किया जा रहा हो। *इस बहन को देखो फिल्म देखकर ऐसे निकल रही है जैसे सचमुच का युद्ध देखकर निकल रही है।* आजकल इतिहास वही है जो ट्रेंडिंग टॉपिक बने। जो किताबों में लिखा है, वो बोरिंग है, लेकिन जो सोशल मीडिया पर
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