Dr.Arvind Pandey
Dr.Arvind Pandey
February 12, 2025 at 01:41 PM
*ले लिया संकल्प कि - "गलत रास्ते पर नहीं जाऊंगा"* ●~●~●~●~●~●~●~●~●~● एक बूढ़े व्यक्ति से एक युवा व्यक्ति मिलता है और पूछता है: "क्या आप मुझे याद करते हैं?" बूढ़ा व्यक्ति जवाब देता है, "नहीं, मुझे याद नहीं।" तब युवा व्यक्ति बताता है कि वह उसका छात्र था। गुरुजी पूछते हैं - "तुम अब क्या करते हो, जीवन में क्या कर रहे हो?" युवा व्यक्ति जवाब देता है- "मैं एक शिक्षक बन गया हूँ।" गुरुजी कहते हैं: "अच्छा, मेरी तरह?" युवा व्यक्ति कहता है: "हाँ, वास्तव में मैं शिक्षक इसलिए बना क्योंकि आपने मुझे प्रेरित किया था।" गुरुजी उत्सुक होकर पूछते हैं कि "तुमने कब तय किया कि शिक्षक बनना है?" युवा व्यक्ति एक कहानी सुनाता है:- "एक दिन, मेरा एक मित्र एक नई घड़ी पहनकर आया। मुझे वह घड़ी पसंद आई, और मैंने उसे चुरा लिया। थोड़ी देर बाद, मेरे मित्र ने गौर किया कि उसकी घड़ी गायब है और उसने तुरंत आपसे शिकायत की। तब आपने पूरी कक्षा से कहा:- ‘आज कक्षा के दौरान इस छात्र की घड़ी चोरी हो गई है। जिसने भी चुराई हो, कृपया लौटा दें।’ "मैंने घड़ी वापस नहीं की क्योंकि मैं पकड़ा जाना नहीं चाहता था।" तब आपने दरवाजा बंद कर दिया और कहा:- ‘सभी खड़े हो जाओ और एक घेरा बना लो। मैं सबकी जेब की तलाशी लूँगा, लेकिन इस शर्त पर कि सभी अपनी आँखें बंद रखेंगे।’ "हमने वैसा ही किया जैसा आपने कहा। आपने एक-एक करके सभी की जेबें टटोलनी शुरू कीं। जब आपने मेरी जेब में हाथ डाला, तो आपको घड़ी मिल गई। लेकिन आपने तलाशी जारी रखी, ताकि किसी को यह न पता चले कि घड़ी किसकी जेब से मिली थी। जब तलाशी पूरी हो गई, आपने कहा: ‘अपनी आँखें खोलो। घड़ी मिल गई है।’ "उस दिन आपने मुझे शर्मिंदा नहीं किया। न ही आपने कभी इस बारे में बात की, न मुझे अलग से बुलाकर कोई उपदेश दिया। मुझे आपका संदेश स्पष्ट रूप से मिल गया था। उस दिन मेरी ज़िंदगी बदल गई। मैंने निश्चय किया कि मैं कभी गलत रास्ते पर नहीं जाऊँगा। आपने मेरी इज्जत बचाई और मुझे सही राह दिखाई। इसीलिए मैं शिक्षक बना, क्योंकि आपसे मैंने सीखा कि एक सच्चा शिक्षक क्या होता है।"* युवा व्यक्ति पूछता है: "क्या आपको यह घटना याद है, गुरुजी?" बूढ़े शिक्षक मुस्कुराते हुए उत्तर देते हैं: "मुझे वह घटना जरूर याद है, जब मैंने घड़ी खोजी थी। लेकिन मुझे तुम याद नहीं हो। क्योंकि जब मैं तुम्हारी जेब टटोल रहा था, तब मैंने भी अपनी आँखें बंद कर रखी थीं।" "यही सच्ची शिक्षा का सार है।" यदि सुधारने के लिए अपमान करना पड़े, तो आप सिखाने की कला नहीं जानते।" 😊
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