Islamic Theology
                                
                            
                            
                    
                                
                                
                                February 1, 2025 at 05:05 AM
                               
                            
                        
                            *एक हदीस तीन अक़ीदे* 
जब मऊना के कुंए पर सत्तर सहाबा को धोखे से क़त्ल किया गया तो उनके सरदार आसिम बिन साबित अंसारी (रज़ि) ने दुआ की "اللهُمَّ، بَلِّغْ عَنَّا نَبِيَّنَا أَنَّا قَدْ لَقِينَاكَ فَرَضِينَا عَنْكَ، وَرَضِيتَ عَنَّا،
ऐ अल्लाह हमारे नबी को यह पैग़ाम दे दे कि हमारी मुलाक़ात तुझसे इस हाल में हो रही है कि हम तूझसे राज़ी और तूहमसे राज़ी है।
(1) सहाबा ने नबी से मदद नहीं मांगी बल्कि अल्लाह से मदद मांगी।
(2) सहाबा ने अल्लाह से दुआ की कि यह सूचना नबी को पहुंचा दे क्यंकि उनका अक़ीदा था ग़ैब का मालिक अल्लाह है
(3) सहाबा नबी को हाज़िर और नाज़िर नहीं मानते थे कि नबी मदीना में बैठकर दुनिया में जो कुछ हो रहा है सब देख रहे हैं इसलिए उन्होंने अल्लाह को मुख़ातब करते हुए कहा कि नबी तक यह ख़बर पहुंचा दे।
(सही बुख़ारी 2801/ सही मुस्लिम 4917)
                        
                    
                    
                    
                    
                    
                                    
                                        
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