
Islamic Theology
February 3, 2025 at 05:40 AM
"क़सम है उन हवाओं की जो लगातार चलती हैं, फिर तेज़ होती चली जाती हैं, बादलों को उठा कर फैलाती हैं फिर उन्हें फाड़ कर अलग अलग करती हैं, अल्लाह का ज़िक्र लोगों के दिलों में डालती हैं उज़्र के लिए या डराने (ख़ुशी और भय पैदा करने) के लिए। क़यामत (प्रलय) जिसका तुमसे वादा किया जा रहा वह ज़रूर आएगी"
जिस प्रकार इंसान अपने जीवन में हवाओं को तेज़ी और उसके द्वारा उठने वाले बादलों की तूफ़ानी बारिश को देखता है और महसूस करता है कि कोई ऐसी शक्ति है जो यह काम कर रही है वैसे ही क़यामत का आना भी संभव है और हवा और बारिश के मालिक के लिए ऐसा करना बहुत सरल है। (सूरह 77 अल मुरसलात आयत 1 से 7)