Islamic Theology
Islamic Theology
February 3, 2025 at 03:28 PM
📮माह-ए-शाबान में करने और ना करने के काम ✔️ #करने_के_काम ❶ बकसरत नफ़ली रोज़े रखना। ❷ शर'ई उज़्र की बुनियाद पर पिछले रमज़ान के छूटे रोज़ों की क़ज़ा करना। ❸ बख़ैर और आफ़ियत रमज़ान पाने की दुआ करना। 🚫 #ना_करने_के_काम ❶ किसी भी क़िस्म की बिदअत और ख़ुराफ़ात। ❷ 15 शाबान का ख़ुसूसी रोज़ा। ❸ 15 शाबान की रात ख़ुसूसी क़ियाम और दीगर इबादात व जश्न का इं'इक़ाद। ❹ 15 शाबान की रात क़ब्रों की ज़ियारत। ❺ 15 शाबान के बाद नफ़ली रोज़े रखने की इब्तिदा। ❻ रमज़ान से 1 या 2 दिन पहले रोज़ा रखना। ❼ शक के दिन {30 शअबान} का एहतियाती रोज़ा रखना। 📌#एक_नज़र_इधर_भी ❶ 15 शाबान से पहले जो शख़्स नफ़ली रोज़े रखना शुरू कर दे, वो 15 शाबान को और उसके बाद भी रोज़ा रख सकता है। ❷ जो शख़्स रोज़ाना क़ियाम-उल-लैल करता हो, वो 15 शाबान की रात भी क़ियाम कर सकता है। ❸ कोई हर पीर और जुमा-रात को रोज़े रखता है और शक का दिन {30 शअबान} पीर या जुमा-रात को पड़ जाए, तो वो शख़्स अपनी आदत के मुताबिक़ उस दिन का रोज़ा रख सकता है। ❹ शक के दिन {30 शअबान} क़ज़ा रोज़े भी रखना जाइज़ है। ❺ 15 शाबान की रात को "शब-ए-बरात" और "लैलत-उल-मुबारक़ा" {मुबारक़ रात} कहना दुरुस्त नहीं है। ❻ ये अकीदा रखना भी दुरुस्त नहीं है कि 15 शाबान की रात क़ुरआन नाज़िल हुआ और इसी रात आइंदा साल दुनिया में वाक़े होने वाले अहम उमूर और लोगों के रिज़्क़ के फ़ैसले किए जाते हैं।
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