Islamic Theology
Islamic Theology
February 5, 2025 at 06:10 AM
तबाही व बर्बादी है झुठलाने वालों के लिए क़यामत के इनकार के कारण पहले की क़ौमें (आद, समूद, मदयन आदि) इस संसार में बर्बाद हो गईं अब अगर बाद के लोग भी ऐसा करेंगे तो उनका अंजाम भी वैसा ही होगा, क्या क़यामत के सुबूत के लिए यह दलील काफ़ी नहीं है कि अल्लाह ने इंसान को एक हक़ीर पानी से पैदा किया, उसे इन्तेहाई महफूज़ जगह पर (तीन पर्दों के अन्दर) एक नियमित समय तक रखा और इसपर केवल अल्लाह ही क़ुदरत रखता है। फिर अल्लाह ने ज़मीन को ऐसा बनाया कि मुर्दा और ज़िन्दा दोनों को समेटे हुए है। ज़मीन की हिफ़ाज़त के लिए ऊंचे और मुसलसल और बुलन्द पहाड़ जमा दिए और पीने के लिए इसी ज़मीन से मीठा पानी निकाला अब इसके बाद भी अगर कोई आख़िरत को नहीं मानता और इसी दुनिया को सब कुछ समझता है तो वह हक़ीक़त में इस संसार के स्वामी का इनकार करता है फिर तो ऐसे लोग उस दिन तबाही व बर्बादी के ही हक़दार हैं। (सूरह 77 अल मुरसलात आयत 16 से 28
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