Islamic Theology
Islamic Theology
February 6, 2025 at 06:37 AM
"अल्लाह तआला फ़रमाता है कि मैं अपने बंदे के गुमान के साथ हूँ, और जब वह मुझे अपने दिल में याद करता है तो मैं भी उसे अपने दिल में याद करता हूँ, और जब वह मुझे मजलिस में याद करता है तो मैं उसे उससे बेहतर फ़रिश्तों की मजलिस में याद करता हूँ। और अगर वह मुझसे एक बालिश्त क़रीब आता है तो मैं उससे एक हाथ क़रीब हो जाता हूँ, और अगर वह मुझसे एक हाथ क़रीब आता है तो मैं उससे दो हाथ क़रीब हो जाता हूँ। और अगर वह मेरी तरफ़ चलकर आता है तो मैं उसके पास दौड़कर आता हूँ।" [बुख़ारी 7405]
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