Islamic Theology
Islamic Theology
February 26, 2025 at 02:13 PM
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: एक-दूसरे से हसद न करो, एक-दूसरे के लिये धोके से क़ीमतें न बढ़ाओ, एक-दूसरे से बुग़्ज़ न रखो, एक-दूसरे से मुँह न फेरो, तुममें से कोई दूसरे के सौदे पर सौदा न करे और अल्लाह के बन्दे बन जाओ जो आपस में भाई-भाई हैं। मुसलमान (दूसरे) मुसलमान का भाई है, न उसपर ज़ुल्म करता है, न उसे बेयारो मददगार छोड़ता है और न उसकी तहक़ीर करता है। तक़वा यहाँ है, और आप (ﷺ) ने अपने सीने की तरफ़ तीन बार इशारा किया, (फिर फ़रमाया:) किसी आदमी के बुरे होने के लिये यही काफ़ी है कि वो अपने मुसलमान भाई की तहक़ीर करे, *हर मुसलमान पर (दूसरे) मुसलमान का ख़ून, माल और इज़्ज़त हराम है।* मुस्लिम 2564
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