Islamic Theology
Islamic Theology
February 27, 2025 at 02:01 PM
कुछ लोग सिर्फ दूसरों को हंसाने के लिए झूट बोल देते है और वह इस चीज को गुनाह भी नहीं समझते बल्कि नेकी समझते है और कहते है कि मेरे इस झूट बोलने की वजह से लोगों के चेहरे पर थोड़ी मुस्कान आई। _मज़ाक में भी झूठ बोलना हराम है_ जो लोग मजाक में भी झूट बोलें उनके बारे में नबी करीम ﷺ का फरमान सुन लिजिए: रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया: > *"हलाकत है उसके लिए जो इस गरज के लिए झूट बोले कि इससे लोग हंसें। हलाकत है उसके लिए! हलाकत है उसके लिए!" [अबु दाऊद : 4990]* रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया: > "*मैं जमानत देता हूं एक महल की, जन्नत के दरमियान (center) में, उस शख्स के लिए जो झूट छोड़ दे अगरचे मज़ाक में ही हो।" [अबु दाऊद : 4800]* उपर बयान की गई हदीसों से हमे पता चला की मज़ाक में भी बोला गया झूट, झूट ही होता है। इसलिए इंसान को चाहिए की मज़ाक में भी झूट न बोले। कही किसी को ये गलतफहमी न हो जाए कि क्या इस्लाम हमे मज़ाक करने की भी इजाजत नहीं देता? इसका जवाब यह है कि इस्लाम हमे मज़ाक करने से नहीं रोकता है बल्कि मज़ाक में भी झूट बोलने से रोकता है। हम बिना झूट बोल एक दूसरे से जायज मज़ाक कर सकते है।
👍 ❤️ 3

Comments