सुलेखसंवाद
February 20, 2025 at 01:43 PM
जब आप भारत में रेल से यात्रा करेंगे तो प्लेटफॉर्म पर आपको हिंदी और स्थानीय भाषा की पुस्तक विक्रय करती दुकाने, ठेले मिल जायेंगे लेकिन यदि आप हवाई यात्रा करते हैं तो इस एलीट क्षेत्र को यह मानकर केवल अंग्रेजी किताबों के भंडारण से भरा जाता है कि कहीं इनकी अभिजात्यता में हिंदी के प्रवेश से कलंक ना लग जाये।
मैंने पिछले सात आठ सालों में यह अनुभव किया है की पुस्तकों के सहारे कैसे क्लास डिफाइन यानिकी परिभाषित की जाती है।
क्या अहमदाबाद में किसी गुजराती या हिंदी पढ़ने वाले के लिए किताबें नहीं हो सकती?
क्या बेंगलुरु में कन्नड़ और हिंदी भाषा की किताबें रखने से बेंगलुरु एयरपोर्ट का महत्व कम हो जाएगा?
वास्तव में यह उस पूर्वधारणा से ग्रसित मानसिकता है जिसमें यह मानकर चल लिया जाता है कि इंग्लिश पढ़ने के शौकीन लोगों की हवाई यात्रा है। मसलन स्थिति ऐसी है की लोगों पर विकल्प का दबाव ऐसा हो जाता है की कभी कभी दिखावे के लिए ही इंग्लिश पुस्तक खरीद ली जाती है।
लेकिन हिंदुस्तान के हवाई अड्डों पर हो रहे इस भाषाई वर्चस्वकारी व्यवहार को चुनौती दी जानी चाहिए।
आप क्षेत्रीय और हिंदी भाषा की पुस्तकें रखवाइये मैं गारंटी से कह सकता हूँ अधिकांश जनता देशी और हिंदी भाषा के साथ सहज होंगे।
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