
सुलेखसंवाद
February 21, 2025 at 12:05 PM
मातृभाषा दिवस पर मैथिली:
मातृभाषा दिवस पर अपन सभ मैथिली भाषा केर समृद्ध इतिहास आ वर्तमान स्थिति पर गौर करै जरूरी अछि। मैथिली केवल भाषा नहि, अपन विशिष्ट साहित्य, संस्कृति आ परंपराक गारंटी सेहो अछि। भारतक बिहार आ झारखंड राज्य संग नेपाल में सेहो ई अधिकारिक रूप सँ मान्य भाषा अछि। 2003 में भारतीय संविधानक आठम अनुसूची में शामिल भेलाक बावजूद, प्रशासनिक आ शिक्षण स्तर पर एखनौ उचित मान्यता नइँ भेटल अछि।
ई भारतक इंडो-आर्यन भाषासभ में एक प्रमुख भाषा छी, जकरा अपनो स्वतंत्र लिपि “तिरहुता” अछि। ऐतिहासिक दृष्टि सँ ई प्राकृत आ अपभ्रंश सँ विकसित भेल भाषा छी, जे हजारों वर्षसँ साहित्य, दर्शन आ प्रशासन में अपन उपस्थिति दर्ज कएने अछि।
भाषावैज्ञानिक दृष्टि सँ मैथिली एक विकसित व्याकरण आ समृद्ध शब्दावलीक भाषा छी। एकर ध्वनि संरचना, शब्द गठन आ वाक्य संरचना अत्यंत वैज्ञानिक अछि। उदाहरण स्वरूप, मैथिली में द्वी-वचन केर विशेषता अछि, जे हिंदी आ अन्य निकटस्थ भाषासभ में नहि भेटैछ।
वर्तमान समय में लगभग 3.5 करोड़ सँ अधिक लोक मैथिली भाषा बजै छथि, मुदा एकर सामाजिक-आर्थिक स्थिति चिन्ताजनक अछि।
• शिक्षा आ प्रशासन में उपेक्षा: 2003 में भारतीय संविधानक आठम अनुसूची में शामिल होयबाक बावजूद, ई सरकारी प्रशासन, न्यायालय आ उच्च शिक्षा में समुचित स्थान नइँ पाएल अछि।
• आर्थिक-सामाजिक स्थिति: मैथिली भाषी समाजक बहुलता ग्रामीण क्षेत्र में अछि, जतय रोजगार आ शिक्षा केर अवसर सीमित अछि। शहरीकरण आ रोज़गारक खोज में लोक हिंदी आ अन्य भाषासभक तरफ झुकि रहल छथि, जे मैथिली भाषाक अस्तित्व लेल चुनौती छी।
• डिजिटल आ मीडिया उपस्थिति: हाल के वर्षसभ में सोशल मीडिया आ डिजिटल प्लेटफॉर्म पर मैथिली भाषा अपन जगह बना रहल अछि, मुदा एकर प्रसार आ उपयोगिता केँ आओर मजबूत करबाक जरूरत अछि।
मातृभाषा दिवस पर, सभ मैथिली भाषी अपन भाषा के सम्मानित करबाक आ एकरा अपन दैनिक जीवन में उपयोग करबाक संकल्प लेथि। केवल गर्व करब पर्याप्त नहि, बल्कि प्रशासनिक, शैक्षिक आ तकनीकी स्तर पर मैथिली केँ प्रोत्साहन देब आवश्यक अछि।
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