Sheikh Maqbool Ahmad Salafi Hafizahullah
Sheikh Maqbool Ahmad Salafi Hafizahullah
February 27, 2025 at 08:48 PM
*PUBG इस्लामी ता'लीमात की रौशनी-में* ---------------------------------------- लेखक: शैख़ मक़बूल अहमद सलफ़ी हिंदी अनुवाद: अब्दुल मतीन सैयद ===================== मुख़्तलिफ़ (अलग-अलग) क़िस्म (प्रकार) के विडियो-गेम में एक नाम PUBG का भी आता है जिसे बच्चे, जवान, बूढे सभी बड़े शौक़ से खेलते हैं PUBG (PlayerUnknown's Battlegrounds) का मुख़फ़्फ़फ़ है या'नी यह एक फ़र्ज़ी (नक़ली) जंग वाली विडियो-गेम है इस गेम के बारे में उसके खेलने वाले से सुनें या इस खेल के खिलाड़ी का हाल जानें तो मा'लूम होगा कि इस गेम में मुस्बत-पहलू (सकारात्मक पहलू) रत्ती-बराबर भी नहीं है मगर मंफ़ी (negative) असरात बड़े गहरे और वसी' (विस्तृत) हैं। चूंकि यह एक फ़र्ज़ी (बनावटी) जंगी गेम है जैसा कि नाम से भी ज़ाहिर (स्पष्ट) है इस वजह (कारण) से इसमें मारना, क़त्ल करना, हथियार चलाना, एक दूसरे को मिटाना और बर्बाद करना यही सारे काम अंजाम दिए जाते हैं जिसकी वजह (कारण) से इस खेल से समाज पर बुरे असरात (प्रभाव) मुरत्तब होते हैं हत्ता कि खेलने वाले आदमी को ज़ेहनी (मानसिक) मरीज़ तक बना देता है इसी का असर (परिणाम) है कि PUBG खेलने वालों में से कितने लोगों ने ख़ुद को ही मार दिया तो किसी ने अपने ही घर के लोगों का क़त्ल कर दिया या अपने दोस्तों को नुक़्सान पहुंचाया 'आम तौर से (अधिकतर) माहेरीन-ए-नफ़्सियात (मनोविज्ञानिक) इस खेल के मंफ़ी (negative) असरात (प्रभाव) ही बयान करते हैं हद तक यह है कि घरेलू और मु'आशरती (सामाजिक) नुक़्सान की वजह (कारण) से मुल्की सत्ह पर इस खेल पर पाबंदी लगाने का मुतालबा (अनुरोध) तक किया जाता है PUBG खेलने वालों ने कहाँ-कहाँ किस किस का क़त्ल किया इस को ज़िक्र करना यहां मुफ़ीद (अनुकूल) नहीं है यह इंटरनेट पे बड़ी ता'दाद (संख्या) में मौजूद है ताहम (फिर भी) यहां यह जानते चले कि इस खेल के खेलने की वजह (कारण) से खिलाड़ी (खेलने वाले) पर क्या क्या नफ़्सियाती (मानसिक) बुरे असरात (प्रभाव) मुरत्तब (लागू) होते हैं मुंदरिजा-ज़ेल (नीचे लिखे हुए) सुतूर (lines) में आदमी पर मुरत्तब (लागू) होने वाले चंद अहम (ज़रूरी) नफ़्सियाती (मानसिक) असरार (प्रभाव) मुलाहज़ा (अध्यन) करें। 🔹यूँ तो तमाम (सब) इंटरनेट गेमों का हाल यह है कि इस की वजह (कारण) से आदमी लोगों से ला-त'अल्लुक़ (अकेला) हो जाता है मगर PUBG का मु'आमला कुछ ज़्यादा ही संगीन (ख़तरनाक) है इस खेल का नशा इस-क़दर (इतना अधिक) हावी होता है कि हर किसी से किनारा-कश (अलग) हो जाता है और एक कमरा तक या दूसरों से तन्हाई इख़्तियार कर लेता है PUBG जंग का मिशन (उद्देश्य) तमाम फ़ाइटर को ख़त्म कर के अकेला ज़िंदा रहना है यही अकेलापन ज़िंदगी में आ जाता है और लोगों में रहना, किसी से मिलना-जुलना पसंद नहीं आता वो अपना वक़्त सिर्फ़ PUBG को देना चाहता है यही इसका साथी, दोस्त और दुनिया है। 🔹इस खेल में नशा इस-क़दर (इतना अधिक) हावी होता है कि आदमी ज़िंदगी जीने का सलीक़ा (तरीक़ा) खो देता है कब सोना है, कब जागना है, कब खाना है, कब घर और बाहर की ज़िम्मेदारी अदा करना है, इससे बे-परवा होने लगता है हत्ता कि सामने लज़ीज़ (मज़ेदार) खाना पड़ा हो मगर ध्यान PUBG की तरफ़ होता है इस वजह (कारण) से सेहत (health) का नुक़्सान होता है क्यूंकि उसके खाने पीने और सोने जागने और आराम-व-राहत के तरतीब यकसर (बिल्कुल) बदल जाते हैं। 🔹इस खेल का मंफ़ी (negative) असर (परिणाम) बराह-ए-रास्त (सीधे तौर पर) आदमी की 'अक़्ल पर पड़ता है जिसकी वजह (कारण) से वो नफ़्सियाती (मानसिक) और ज़ेहनी (दिमाग़ी) मरीज़ बन जाता है और आज नफ़्सियाती (मानसिक) मरीज़ों की बड़ी ता'दाद (संख्या) इस गेम की बदौलत (कारण से) है जब इंसान की 'अक़्ल ही सलामत न रहे फिर उसके जिस्म (शरीर) का कोई 'उज़्व (अंग) सलामत नहीं है। 🔹हिंदी फ़िल्मों ने लोगों में आज-तक जितना तशद्दुद (हिंसा) नहीं फैलाया या उससे ज़्यादा तशद्दुद (अत्याचार) बहुत कम वक़्तों में PUBG और इस जैसे दीगर गेमों ने फैलाया है यही वजह है कि PUBG ने लोगों में चिड़चिड़ापन, बद-मिज़ाजी (बुरा स्वभाव) गुस्सा, ला-त'अल्लुक़ी (तन्हाई) दुश्मनी, बदतमीज़ी और तशद्दुद (मार-पीट) के दीगर 'अनासिर पैदा किए नतीजतन (नतीजे में) ऐसे लोग बसा-औक़ात (कभी-कभी) ख़ुद को भी मार लेते हैं और कभी अपने क़रीब से क़रीब आदमी को क़त्ल कर देते हैं हत्ता कि मारने में माँ-बाप या बहन भाई तक कि तमीज़ (होश) खो बैठते हैं। 🔹इस गेम का एक मंफ़ी (negative) पहलू यह है कि यह आदमी को अपना असीर (क़ैदी) बना कर उसे अपने फ़र्ज़-ए-मंसबी से दूर कर देता है ब-ईं सबब (इस के कारण) जो तालिब-ए-'इल्म (student) होगा उसकी ता'लीम का नुक़्सान होगा जो नौकरी-पेशा (जो नौकरी करने वाला) होगा वो इस में कोताही करेगा जो उस्ताद (teacher) होगा वो अपने फ़राइज़ (कर्तव्य) की अदाएगी में कोताह बन जाएगा और जो समाज या घर का ज़िम्मेदार होगा वो अपनी ज़िम्मेदारी सहीह से नहीं अदा कर पाएगा। PUBG खेलने के यह चंद बड़े अहम (महत्वपूर्ण) मंफ़ी (negative) असरात (प्रभाव) हैं जो इस के खेलने से आदमी पर मुरत्तब होते हैं यह तो दुनियावी लिहाज़ से PUBG का नुक़्सान आप के सामने पेश किया गया अब इस गेम को इस्लामी ता'लीमात की रौशनी-में (सामने रख के) परखते हैं ताकि इस की शर'ई हैसियत जान सकें और इससे दूरी इख़्तियार करें। इस्लाम ने हमें पांच चीज़ों की हिफ़ाज़त का हुक्म दिया है जिन्हें हवास-ए-ख़मसा कहा जाता है वो पांच चीज़ें दीन, जान, 'अक़्ल, नसब (नस्ल) और माल है इस गेम के ज़री'आ (माध्यम से) इन पांच चीज़ों में से चार चीज़ों का नुक़्सान नज़र आता है। PUBG और दीन का नुक़्सान: यह एक ला-या'नी (फ़ुज़ूल) खेल है इससे काफ़ी (बहुत) वक़्त ज़ाए' (बर्बाद) होता है और नफ़्सियाती (मानसिक) तौर पर आदमी इस के सबब (कारण) फ़र्ज़-ए-मंसबी में कोताही करता है यहां तक कि वो नमाज़ जैसी 'अज़ीम 'इबादत से ग़ाफ़िल हो सकता है यह 'उमूमी ('आम) नुक़्सान है जबकि इसमें दीन का एक बड़ा नुक़्सान यह है कि सुना गया है इस खेल में एक ऐसा भी मरहला (पड़ाव) आता है जहां पावर हासिल करने के लिए बुत (मूर्ती) के सामने झुकना पड़ता है अगर वाक़ि'ई (सच-मुच) इस खेल में यह मरहला (पड़ाव) भी आता है तो यह खेल आदमी को कुफ़्र में दाख़िल कर रहा है जिस से उसके दीन का बड़ा नुक़्सान हो रहा है। PUBG और जान का नुक़्सान: चूंकि यह जंगी गेम है इससे लड़ने और क़त्ल करने की 'आदत डाली जाती है इस के सबब (कारण) हक़ीक़त में लोगों का क़त्ल भी हो रहा है खेलने वाला ख़ुद का भी नुक़्सान करता है और दूसरों का भी नुक़्सान करता है गोया (मानों) इससे इंसानी जान को ख़तरा है और यह जानी नुक़्सान का सबब (कारण) है और इस्लाम हर उस काम से मना' करता है जो जानी नुक़्सान का सबब (कारण) बने बल्कि अदना (थोड़ा) नुक़्सान पहुंचाने वाली चीज़ों से भी मना' करता है अल्लाह-त'आला का फ़रमान है: {وَلَا تُلْقُوا بِأَيْدِيكُمْ إِلَى التَّهْلُكَةِ} (البقرة: 195) तर्जमा: और अपने हाथों को हलाकत में मत डालो। (सूरा अल्-ब-क़-रा:195) अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा कहते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया: (لا ضرر ولا ضرار) (صحیح ابن ماجه:1910) तर्जमा: न (पहले-पहल) किसी को नुक़्सान पहुंचाना और तकलीफ़ देना जायज़ है और न बदले के तौर पर नुक़्सान पहुंचाना और तकलीफ़ देना। (सहीह इब्ने माजा:1910) इस हदीष में एक उसूल (सिद्धांत) बयान किया गया है कि न ख़ुद को नुक़्सान पहुंचाना है और न दूसरे को नुक़्सान पहुंचाना है बल्कि मुसलमान की ता'रीफ़ (पहचान) ही यह है कि उसके हाथ और उसकी ज़बान से दूसरे मुसलमान महफ़ूज़ (सुरक्षित) रहें चुनांचे (जैसा कि) अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा से मर्वी है कि नबी-ए-करीम ﷺ ने फ़रमाया: (المُسْلِمُ مَن سَلِمَ المُسْلِمُونَ مِن لِسانِهِ وَيَدِهِ، وَالمُهَاجِرُ مَن هَجَرَ مَا نَهَى اللَّهُ عَنْهُ) (صحيح البخاري:6484) तर्जमा: मुसलमान वो है जो मुसलमानों को अपनी ज़बान और हाथ से (तकलीफ़ पहुंचने से) महफ़ूज़ (सुरक्षित) रखे और मुहाजिर वो है जो उन चीज़ों से रुक जाए जिससे अल्लाह ने मना' किया है। (सहीह बुख़ारी:6484) PUBG और 'अक़्ल का नुक़्सान: माहेरीन-ए-तिब (चिकित्सा विशेषज्ञों) व नफ़्सियात (psychology) के तज्रिबा (जानकारी) से यह बात सामने आई है कि PUBG का इंसानी 'अक़्ल पर बड़ा असर पड़ता है जिससे आदमी ज़ेहनी (मानसिक) मरीज़ (रोगी) बन जाता है बल्कि यह हमारे मुशाहदे (अनुभव) की बात है हम आए-दिन अपनी आंखों से इस गेम से लोगों की 'अक़्ल ख़राब होते इसी तरह देख रहे हैं जैसे शराब से 'अक़्ल में फ़ुतूर (ख़राबी) पैदा होता है इस्लाम 'अक़्ल की हिफ़ाज़त का हुक्म देता है इस वजह से जिस काम से भी 'अक़्ल को नुक़्सान पहुंचे उससे बचा जाएगा लिहाज़ा (इसलिए) जैसे शराब या नशा-आवर (नशा पैदा करने वाली) चीज़ों से 'अक़्ल का नुक़्सान होता है उस से बचना है वैसे ही PUBG से बचना है क्यूंकि इस के खेलने में 'अक़्ल का नुक़सान है। PUBH और माल का नुक़सान: PUBG ऐसा खेल है जिस में पैसा लगाकर अकाउंट बनाया जाता है फिर पैसा लगाकर या quiz ख़रीद कर हार-जीत वाला जुआ खेला जाता है इस में एक तरफ़ बिला-वजह (अकारण) पैसा ज़ाए' (बर्बाद) किया जाता है तो दूसरी तरफ़ इस में जुआ भी पाया जाता है और इस्लाम में जुआ खेलना हराम है अल्लाह-त'आला का फ़रमान है: {يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا إِنَّمَا الْخَمْرُ وَالْمَيْسِرُ وَالْأَنصَابُ وَالْأَزْلَامُ رِجْسٌ مِنْ عَمَلِ الشَّيْطَانِ فَاجْتَنِبُوهُ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُونَ} (المائدة:90) तर्जमा: ऐ ईमान वालों! बात यही है कि शराब और जुआ और थान और फ़ाल निकालने के पांसे सब गंदी बातें, शैतानी काम हैं इन से बिल्कुल अलग रहो ताकि तुम फ़लाह याब हो। (सूरा अल्-माइदा:90) और नबी ﷺ ने फ़रमाया: (إِنَّ اللَّهَ كَرِهَ لَكُمْ ثَلَاثًا، قِيلَ وَقَالَ وَإِضَاعَةَ الْمَالِ وَكَثْرَةَ السُّؤَالِ (صحيح البخاري:1477) तर्जमा: अल्लाह-त'आला तुम्हारे लिए तीन बातें पसंद नहीं करता बिला-वजह की गप-शप, माल की बर्बादी और लोगों से बहुत माँगना। (सहीह बुख़ारी:1477) आप ने अंदाज़ा लगाया कि इस्लाम ने जिन पांच अहम चीज़ों की हिफ़ाज़त का हुक्म दिया है उन में से चार चीज़ों का नुक़्सान PUBG से हो रहा है और हक़ीक़त भी यही है कि PUBG एक ऐसा खेल है जिस में बेशुमार (बहुत ज़्यादा) नुक़्सानात हैं मगर इस में अदना (थोड़ा) सा भी फ़ाइदा नहीं है न 'अक़्ल-व-ज़िहानत (होशियारी) का और न ही सेहत-व-जिस्म का बल्कि उल्टा नुक़्सान ही होता है यह ला-या'नी (बेमतलब) फ़ुज़ूल (बेकार) वक़्त ज़ाए' (समय बर्बाद) करने वाले और फ़राइज़-व-वाजिबात (अनिवार्य कामों) से ग़ाफ़िल (बे-ख़बर) कर देने वाला और लहव-ओ-ल'अब (खेलकूद) में मशग़ूल (व्यस्त) कर देने वाला काम है अल्लाह-त'आला अपने बंदों को ऐसे फ़ुज़ूल (बेकार) व ला-या'नी (बेमतलब) कामों से मना' फ़रमाता है इस सिलसिले में नसीहत हासिल करने के लिए अल्लाह और उसके रसूल के चंद फ़रामीन (आदेश) मुलाहज़ा फ़रमाए अल्लाह-त'आला मोमिनों की सिफ़ात बताते हुए इरशाद फ़रमाता है: {قَدْ أَفْلَحَ الْمُؤْمِنُونَ الَّذِينَ هُمْ فِي صَلَاتِهِمْ خَاشِعُونَ، وَالَّذِينَ هُمْ عَنِ اللَّغْوِ مُعْرِضُونَ} (المومنون:31) तर्जमा: यक़ीनन ईमान वालों ने फ़लाह (नजात) हासिल कर ली जो अपनी नमाज़ में ख़ुशू' ('आजिज़ी) करते हैं और जो लग़्वियात (बेहूदा-बातों) से मुँह मोड़ लेते हैं। (सूरा अल्-मुमिनून:31) इसी तरह एक दूसरे मक़ाम पर अल्लाह फ़रमाता है: {وَمِنَ النَّاسِ مَن يَشْتَرِي لَهْوَ الْحَدِيثِ لِيُضِلَّ عَن سَبِيلِ اللَّهِ بِغَيْرِ عِلْمٍ وَيَتَّخِذَهَا هُزُوًا أُولَئِكَ لَهُمْ عَذَابٌ مُّهِينٌ} (لقمان:6) तर्जमा: और लोगों में से बा'ज़ वो है जो ग़ाफ़िल करने वाली बात ख़रीदता है, ताकि जाने बग़ैर अल्लाह के रास्ते से गुमराह करे और उसे मज़ाक़ बनाए यही लोग हैं जिन के लिए ज़लील करने वाला 'अज़ाब है। (सूरा लुक़्मान:6) अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु कहते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया: (من حسن إسلام المرءتر كه مالا يعنيه) (صحيح الترمذي : 2317) तर्जमा: किसी शख़्स के इस्लाम की ख़ूबी (अच्छाई) यह है कि वो ला-या'नी (बेमतलब) और फ़ुज़ूल बातों को छोड़ दे। (सहीह तिर्मिज़ी:2317) वक़्त की अहमियत का एहसास दिलाने के लिए नबी ﷺ ने हमें पांच बातों की बड़ी क़ीमती नसीहत फ़रमाई है आप ﷺ फ़रमाते हैं: (اغْتَنِمُ خَمْسًا قَبلَ خَمْسٍ : شَبَابَكَ قبلَ هِرَ مِكَ ، وصِحْتَكَ قبلَ سَقَمِكَ ، وغناك قبل فَقْرِكَ ، وَفَرَاغَكَ قبلَ شُغْلِكَ ، وحَياتَكَ قبلَ مَوْتِكَ) (صحيح الترغيب:3355) तर्जमा: पांच चीज़ों को पांच चीज़ों से पहले ग़नीमत जानो, जवानी को बुढ़ापे से पहले, सेहत (तंदुरुस्ती) को बीमारी से पहले, माल-दारी को मोहताजी से पहले, फ़राग़त (फ़ुर्सत) को मशग़ूलियत से पहले और ज़िंदगी को मौत से पहले। (सहीह अल-तर्ग़ीब:3355) जो अपने औक़ात (समय) की हिफ़ाज़त नहीं करते और ख़ुद को रब्ब-उल-'आलमीन की 'इबादत के लिए मुतफ़र्रिग़ नहीं करते ऐसे लोगों के लिए बर्बादी ही बर्बादी है हदीस-ए-क़ुदसी में है: (يقول الله سبحانه يا ابن آدم تفرغ لعبادتي أملأ صدرك غنى وأسد فقرك وإن لم تفعل ملأت صدرك شُغلًا ولم أسدَّ فَقَرَكَ) (صحيح ابن ماجه:3331) तर्जमा: अल्लाह-त'आला फ़रमाता है: इब्न-ए-आदम! तू मेरी 'इबादत के लिए यकसू हो जा तो मैं तेरा सीना बे-नियाज़ी से भर दूंगा और तेरी मोहताजी दूर कर दूंगा अगर तूने ऐसा न किया तो मैं तेरा दिल मशग़ूलियतों से भर दूंगा और तेरी मोहताजी दूर न करूंगा। (सहीह इब्ने माजा:3331) शर'ई नाहिया (तरफ़) से PUBG की एक ग़लती यह भी है कि यह जान-दार लोगों का कार्टून वाला गेम है यहां तक कि इस में औरतों के 'उर्यां (नग्न) कार्टून भी होते हैं और हमें मा'लूम है कि इस्लाम में जान-दार की तस्वीर इस्ते'माल करना जायज़ नहीं है इस सिलसिले में सहीह बुख़ारी से दो हदीष मुलाहज़ा फ़रमाए: सय्यदना अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा कहते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया: यक़ीनन यह तस्वीरें बनाने वालों को क़ियामत के दिन 'अज़ाब दिया जाएगा उन्हें कहा जाएगा कि जो तुम ने पैदा किया है उस को ज़िंदा भी करो। (सहीह बुख़ारी:5951) सय्यदा 'आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा कहती हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया: क़ियामत के दिन सबसे ज़्यादा 'अज़ाब वाले लोग वो होंगे जो अल्लाह-त'आला के तख़्लीक़ में मुक़ाबला-बाज़ी करते थे। (सहीह बुख़ारी:5954) अब PUBG से मुत'अल्लिक़ (बारे में) तमाम अहम (ज़रूरी) बातें आप के सामने आ गई हैं आप ने इस गेम से होने वाले नफ़्सियाती (मानसिक) नुक़्सानात और मक़ासिद-ए-शरी'अत के तहत आने वाले ज़रूरियात-ए-ख़म्सा के नुक़्सानात को पढ़ लिया इन नुक़्सानात के सबब (कारण) यह गेम इस्लामी उसूल (नियम) "لاضرر ولا ضرار" (न तकलीफ़ देना है और न तकलीफ़ मोल लेना है) के ख़िलाफ़ है नीज़ (और) यह फ़ुज़ूल (बे-कार) लहव-ओ-ल'अब (तमाशा) है जो वक़्त व माल ज़ाए' (बर्बाद) करने वाला, 'इबादत से ग़ाफ़िल करने वाला और हराम तस्वीर के ज़ुमरे में आने वाला गेम है बिना-बरीं (इसलिए) यह कहने में क़त'अन (हरगिज़) कोई तरद्दुद (शंका) नहीं कि PUBG खेलना इस्लामी ता'लीमात की रौशनी में जायज़ नहीं है मुस्लिम लड़के और लड़कियों को इस खेल से बाज़-आ जाना चाहिए ख़ुसूसन (ख़ास तौर पर) घर के ज़िम्मेदारों को चाहिए कि अपने मातहतों की अच्छी निगरानी करे और अपने घर वालों को PUBG खेलने से रोके। ❀⊱┄┄┄┄┄┄┄┄┄┄┄⊰❀
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