
Akarsh"Pathik"
February 3, 2025 at 06:01 PM
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मन बै-रागी तन अनुरागी, क़दम क़दम दुश्वारी है।
जीवन जीना सहल न जानो बहुत बड़ी फ़नकारी है।
~ निदा फ़ाज़ली
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