
Akarsh"Pathik"
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About Akarsh"Pathik"
Quotes at 5.30 a.m. and poetry at 10.30 p.m. Quotes and poetry written by me
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*हर रोज़ निकल आते हैं नए पत्ते..* *ख़्वाहिशों के दरख़्तों में पतझड़ नहीं होते..*

*तट पर बैठे-बैठे तेरे* *हाथ कहाँ कुछ आएगा !* *रत्न मिलेंगे तुझको जब* *सागर के तह में जाएगा !* *कुछ ना आए हाथ तो समझना* *डुबकी अभी अधूरी है !* *चाहे कितना भी मुश्किल हो* *पहला कदम जरूरी है !*


शिव-शक्ति: प्रेम का शाश्वत संगम ना आदि, ना अंत, ये प्रेम की परिभाषा है, जहाँ शिव हैं, वहीं शक्ति की अभिलाषा है। वो सृष्टि की ज्योति, वो संहार की ज्वाला, तप में समर्पण, प्रेम में उजाला। शिव की तपस्या में शक्ति का स्पंदन, शक्ति की साधना में शिव का कंपन। एक बिना दूजा अधूरा सा लगता, संग हो तो सृष्टि का हर रंग निखरता। सत्य से ऊपर, समय से परे, प्रेम का यह बंधन, अमरता धरे। जो समझे शिव-शक्ति की इस प्रीति को, "पथिक" कहे, वही पा ले जीवन की रीति को। –आकर्ष पथिक

बड़े तमाशे से गुजरी जिंदगी हमारी, हर मोड़ पर कोई नई कहानी हमारी। कभी हँसे, कभी रोए इस सफर में, हर खुशी भी जैसे अधूरी हमारी। जज़्बात मरते गए और हम पत्थर होते गए, ख्वाब बिखरते गए, और हम खामोश होते गए। जो अपना कहता था, वही पराया निकला, हर अपने के घाव हमें बेहोश करते गए। फिर भी कहीं न कहीं कोई चिंगारी बाकी है, जो राख में दबी, पर जलने को राजी है। शायद किसी मोड़ पर फिर सुबह होगी, शायद फिर दिल में कोई ख्वाहिश जिंदा होगी। – आकर्ष पथिक

🍂🍂 वो तिरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस गईं दिल-ए-बे-ख़बर मिरी बात सुन उसे भूल जा उसे भूल जा तुझे चाँद बन के मिला था जो तिरे साहिलों पे खिला था जो वो था एक दरिया विसाल का सो उतर गया उसे भूल जा 🍂🍂


Rise Again Once again, I stumbled, I fell, Dreams slipped away, too far to tell. Empty hands, eyes full of pain, Heart whispers—"Was it all in vain?" Nights of toil, hopes so bright, Now lost somewhere in fading light. Success was near, yet out of sight, As if fate chose not to fight. But failure is not the final call, Every fall teaches, after all. True victory lies in standing tall, In walking again, despite it all. So wipe your tears, rise once more, Chase the dream you longed for. One day, this journey will inspire, And your courage will set the fire. –akarsh "Pathik"

🍂🍂 जो इस्म-ओ-जिस्म को बाहम निभाने वाला नही मैं ऐसे इश्क़ पर ईमान लाने वाला नहीं मैं पांव धोके पियूं, यार बनके जो आए मुनाफ़िक़ों को तो मैं मुंह लगाने वाला नहीं बस इतना जान ले ऐ पुर-कशिश के दिल तुझसे बहल तो सकता है पर तुझ पे आने वाला नहीं तुझे किसी ने गलत कह दिया मेरे बारे नहीं मियां मैं दिलों को दुखाने वाला नहीं 🍂🍂


🍂🍂 Wake up with determination and wisdom! Whether it’s from sleep, arrogance, or illusion, early awakening always leads to success. Have a fresh and enlightened morning! 🍂🍂

🍂🍂 मन बै-रागी तन अनुरागी, क़दम क़दम दुश्वारी है। जीवन जीना सहल न जानो बहुत बड़ी फ़नकारी है। ~ निदा फ़ाज़ली 🍂🍂


🍂🍂 आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक हम ने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन ख़ाक हो जाएँगे हम तुम को ख़बर होने तक 🍂🍂
