Akarsh"Pathik"
Akarsh"Pathik"
February 17, 2025 at 09:57 AM
🍂🍂 वो तिरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस गईं दिल-ए-बे-ख़बर मिरी बात सुन उसे भूल जा उसे भूल जा तुझे चाँद बन के मिला था जो तिरे साहिलों पे खिला था जो वो था एक दरिया विसाल का सो उतर गया उसे भूल जा 🍂🍂
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