Akarsh"Pathik"
Akarsh"Pathik"
February 26, 2025 at 02:31 AM
शिव-शक्ति: प्रेम का शाश्वत संगम ना आदि, ना अंत, ये प्रेम की परिभाषा है, जहाँ शिव हैं, वहीं शक्ति की अभिलाषा है। वो सृष्टि की ज्योति, वो संहार की ज्वाला, तप में समर्पण, प्रेम में उजाला। शिव की तपस्या में शक्ति का स्पंदन, शक्ति की साधना में शिव का कंपन। एक बिना दूजा अधूरा सा लगता, संग हो तो सृष्टि का हर रंग निखरता। सत्य से ऊपर, समय से परे, प्रेम का यह बंधन, अमरता धरे। जो समझे शिव-शक्ति की इस प्रीति को, "पथिक" कहे, वही पा ले जीवन की रीति को। –आकर्ष पथिक
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