The Theist
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February 21, 2025 at 01:57 PM
*कबीर यहु जग अंधला, जैसी अंधी गाइ ।* *बछा था सो मरि गया, ऊभी चांम चटाइ ॥* यह संसार अँधा है। यह ऐसी अँधी गाय की तरह है, जिसका बछड़ा तो मर गया किंतु वह खड़ी-खड़ी उसके चमड़े को चाट रही है। सारे प्राणी उन्हीं वस्तुओं के प्रति राग रखते हैं जो मृत या मरणशील हैं। मोहवश जीव असत्य की ओर ही आकर्षित होता है।

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