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Some thought-provoking quotes, verses, poems, doha, shlok, etc.

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2/26/2025, 8:03:33 AM

जनम तेरा बातों ही बीत गयो । तूने कबहुँ न राम कहयो ।। तूने कबहुँ न कृष्ण कहयो ।। पाचँ बरस का भोला-भाला, अब तो बीस भयो । मकर पचीसी माया कारण, देस बिदेस गयो । जनम तेरा बातों ही बीत गयो ।। तीस बरस की अब मति उपजी, लोभ बढ़े नित नयो । माया जोरी लाख करोरी, अजहुँ न तृप्त भयो । जनम तेरा बातों ही बीत गयो ।। वृद्ध भयो तब आलस उपजी, कफ नित कंठ रहयो । संगत कबहुँ न तूने कीनी, बिरथा जनम लियो । जनम तेरा बातों ही बीत गयो ।। ये संसार मतलब का लोभी, झूठा ठाठ रचियो । कहत कबीर समझ मन मूरख, तू क्यूँ भूल गयो । जनम तेरा बातों ही बीत गयो ।।

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2/26/2025, 5:22:00 PM
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2/28/2025, 3:34:23 AM
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2/27/2025, 3:47:07 PM

जो बीत रहा है, वो समय नहीं जीवन है ।

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2/27/2025, 3:40:59 PM
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2/27/2025, 5:39:09 PM
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3/1/2025, 4:12:07 PM

सब घट मेरो साइयाँ, सूनी सेज न कोय । बलिहारी वा घट की, जा घट परगट होय ।। कस्तूरी कुंडल बसे, मृग ढूढें वन माहिं । ऐसे घट घट राम हैं, दुनिया जाने नाहिं ।। ज्यों तिल माहिं तेल है, ज्योँ चकमक में आग । तेरा साईं तुझमें, जाग सके तो जाग ।। साहेब तेरी साहिबी, सभ घट रही समाय । ज्यों मेंहदी की पात में लाली लखी न जाय ।। हृदय में मेहबूब है, और हरदम का प्याला । पियेगा कोई जोहरी, अंदर मुख मतवाला ।। पूरब दिशा हरी का बासा, पश्चिम अल्लह मुकामा है । दिल में खोज, दिलही में खोजो यहीं करीमा रामा है । ~ सतगुरु कबीर साहेब 🌼

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3/1/2025, 2:50:46 PM

अध्यात्म का मार्ग सजगता का मार्ग है । अध्यात्म का मार्ग होश का मार्ग है ।

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2/27/2025, 3:44:08 PM
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2/26/2025, 5:30:04 PM

*आहारनिद्राभयमैथुनंच सामान्यमेतत् पशुभिर्नराणाम्* *थर्मोहितेषामधिको विशेषो धर्मेण हीनाः पशुभिः समानाः* चाणक्य इस श्लोक के माध्यम से बताते हैं कि मनुष्य किस प्रकार पशुओं से अलग है और कौन सी प्रवृति मनुष्य को श्रेष्ठ बनाती है । संसार के सभी जीवों की तरह मनुष्य भी उदर-पोषण, भय, निद्रा, संभोग और संतानोत्पति का काम करता है । इस दृष्टि से देखा जाए तो मनुष्य में और पशुओं में शारीरिक बनावट को छोड़ दें तो कुछ ज्यादा अंदर नहीं दिखता । लेकिन आचरण मनुष्य को पशुओं से अलग और श्रेष्ठ बनाता है । मनुष्य के आचरण में धर्माचरण अत्यंत महत्वपूर्ण है, यानी धर्म का ज्ञान और उसके मार्ग पर चलने की प्रवृति मनुष्य को पशुओं से अलग करती है । जो धर्म-कर्म और नौतिक गुणों से युक्त है, वास्तव में वहीं मनुष्य कहलाने का अधिकारी है. इसके विपरीत व्यक्ति में अगर धर्म-कर्म, नैतिकता न हो तो वह पशु के समान ही है । इसलिए नैतिक गुणों से युक्त व्यक्ति ही बुद्धिमान है ।

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