The Theist
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February 23, 2025 at 08:35 AM
मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे ॥ मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे ॥ माता कहे यह पुत्र हमारा, बहन कहे बीर मेरा, भाई कहे यह भुजा हमारी, नारी कहे नर मेरा, मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे ॥ पेट पकड़ के माता रोवे, बांह पकड़ के भाई, लपट झपट के तिरिया रोवे, हंस अकेला जाए, मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे ॥ जब तक जीवे माता रोवे, बहन रोवे दस मासा, तेरह दिन तक तिरिया रोवे, फेर करे घर वासा, मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे ॥ चार जणा मिल गजी बनाई, चढ़ा काठ की घोड़ी, चार कोने आग लगाई, फूंक दियो जस होरी, मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे ॥ हाड़ जले जस लाकड़ी रे, केश जले जस घास, सोना जैसी काया जल गई,कोइ न आयो पास, मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे ॥ घर की तिरिया ढूंढन लागी, ढुंडी फिरि चहु देशा, कहत कबीर सुनो भई साधो, छोड़ो जगत की आशा, मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे ॥ मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे ॥ मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे ॥

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