The Theist
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February 26, 2025 at 07:54 AM
*गुरु बिन माला फेरते, गुरु बिन देते दान ।* *गुरु बिन दोनों निष्फल है, चाहे पूछो वेद पुराण ।।* यह सन्त कबीरसाहेब जी की वाणी है । इसका मतलब है कि गुरु के बिना माला फेरना और दान देना व्यर्थ है, चाहे तो वेद और पुराणों में पूंछ (ढूंढ) लो ।

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