The Theist
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March 1, 2025 at 04:12 PM
सब घट मेरो साइयाँ, सूनी सेज न कोय । बलिहारी वा घट की, जा घट परगट होय ।। कस्तूरी कुंडल बसे, मृग ढूढें वन माहिं । ऐसे घट घट राम हैं, दुनिया जाने नाहिं ।। ज्यों तिल माहिं तेल है, ज्योँ चकमक में आग । तेरा साईं तुझमें, जाग सके तो जाग ।। साहेब तेरी साहिबी, सभ घट रही समाय । ज्यों मेंहदी की पात में लाली लखी न जाय ।। हृदय में मेहबूब है, और हरदम का प्याला । पियेगा कोई जोहरी, अंदर मुख मतवाला ।। पूरब दिशा हरी का बासा, पश्चिम अल्लह मुकामा है । दिल में खोज, दिलही में खोजो यहीं करीमा रामा है । ~ सतगुरु कबीर साहेब 🌼

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