
Vijay Pal
February 18, 2025 at 04:45 AM
एक झील के किनारे तीन फकीर थे। तीनों बे-पढ़े लिखे थे। लेकिन उनकी बड़ी ख्याति हो गई, और दूर दूर से लोग उनके दर्शन करने को आने लगे। तो रूस का जो सबसे बड़ा पादरी था, उसके कानों में भी खबर पहुंची कि तीन पवित्र पुरुष झील के उस पार हैं। पर उसने कहा कि मुझे उनका पता ही नहीं! और उन्होंने कभी चर्च में दीक्षा भी नहीं ली, वे पवित्र हो कैसे सकते हैं! और हजारों लोग वहां जा रहे हैं और दर्शन करके कृतार्थ हो रहे हैं! तो वह भी देखने गया कि मामला क्या है?
नाव पर सवार हुआ, झील के उस पार पहुंचा। वे तीनों तो बिलकुल बेपढ़े लिखे गंवार थे। वे अपने झाड़ के नीचे बैठे थे। जब पादरी उनके सामने गया तो उन तीनों ने झुककर उसको प्रणाम किया। पादरी तभी आश्वस्त हो गया कि कोई डर की बात नहीं है। जब तीनों चरण छू रहे हैं, इनसे कोई ईसाई—धर्म को खतरा नहीं है। उस पादरी ने कहा कि तुम क्या करते हो? क्या है तुम्हारी साधना? तुम्हारी पद्धति क्या है? उन्होंने कहा, पद्धति? वे एक दूसरे की तरफ देखने लगे।
पादरी ने कहा, बोलो, तुम करते क्या हो? तुमने साधा क्या है? उन्होंने कहा कि हम ज्यादा तो कुछ भी जानते नहीं। पढ़े—लिखे हम हैं नहीं। किसी ने हमें सिखाया नहीं। हमारी तो एक छोटी—सी प्रार्थना है, वही हम करते हैं। उन्होंने कहा, फिर प्रार्थना भी हमारी खुद की ही गढ़ी हुई है, क्योंकि हमने किसी से सीखा नहीं और किसी ने हमें कभी बताया नहीं। क्या है तुम्हारी प्रार्थना? पादरी तो अकड़ता चला गया। उसने कहा कि बिलकुल ही गंवार हैं! क्या है तुम्हारी प्रार्थना? उन्होंने कहा कि अब आपसे हम कैसे कहें, बड़ी छोटी—सी है। हमने सुन रखा है कि परमात्मा तीन हैं, ट्रिनिटि, त्रिमूर्ति।
ईसाई मानते हैं, तीन हैं परमात्मा—परम पिता, उसका बेटा जीसस और दोनों के बीच में एक पवित्र आत्मा, होली घोस्ट—इन तीन के जोड़ से परमात्मा बना है, ट्रिनिटि। जैसा हम त्रिमूर्ति मानते हैं —शंकर विष्णु, ब्रह्मा।
तो उन्होंने कहा कि हमने एक प्रार्थना बना ली सोच—सोचकर तीनों ने। हमारी प्रार्थना यह है कि यू आर थ्री, वी आर ऑल्सो थ्री, हैव मर्सी ऑन अस। तुम भी तीन हो, हम भी तीन हैं, हम पर कृपा करो।
उस पादरी ने कहा कि बंद करो यह। यह कोई प्रार्थना है! प्रार्थना तो ऑथराइड होती है। चर्च के द्वारा उसके लिए स्वीकृति और प्रमाण होना चाहिए। तो मैं तुम्हें प्रार्थना बताता हूं। इसको याद करो और आज से यह प्रार्थना शुरू करो। उन्होंने कहा, आपकी कृपा, बता दें। पादरी ने, लंबी प्रार्थना थी चर्च की, वह बताई।
उन लोगों ने कहा कि क्षमा करें, हम बिलकुल गंवार हैं, इतनी लंबी याद न रहेगी। आप थोड़ा संक्षिप्त क़र दें, कुछ थोड़ा सरल! पादरी ने कहा कि न तो यह सरल हो सकती है और न संक्षिप्त। यह प्रमाणित प्रार्थना है। और जो इसको नहीं करेगा, उसके लिए स्वर्ग के द्वार बंद हैं। तो उन्होंने कहा कि एक दफा आप फिर से दोहरा दें, ताकि हम याद कर लें। दुबारा कही। फिर भी उन्होंने कहा, एक बार और सिर्फ दोहरा दें। और तीनों ने दोहराने की भी कोशिश की और उन्होंने धन्यवाद दिया पादरी को, फिर चरण छुए। पादरी प्रसन्न नाव पर वापस लौटा।
आधी झील में आया था कि देखा कि पीछे से एक बवंडर चला आ रहा है पानी पर। वह तो घबराया कि यह क्या चला आ रहा है? थोड़ी देर में साफ हुआ कि वे तीनों पानी पर दौड़ते चले आ रहे हैं! पादरी के तो प्राण निकल गए। वे पानी पर चल रहे हैं! और तीनों आकर पास, पकड़कर बोले कि एक बार और दोहरा दें। वह हम भूल गए। हम गरीब बेपढ़े—लिखे लोग। उस पादरी ने कहा कि क्षमा करो। तुम्हारी प्रार्थना काम कर रही है। तुम अपनी वही जारी रखो कि वी आर श्री, यू आर थ्री, हैव मर्सी ऑन अस।
प्रेम एक हार्दिक घटना है। न तो उसकी कोई प्रामाणिक व्यवस्था है; न कोई विधि है, न कोई तंत्र है न कोई मंत्र है। प्रेम एक हार्दिक भाव है। प्रार्थना एक हार्दिक भाव है। उसे सिखाने का कोई भी उपाय नहीं है। और पृथ्वी पर चूंकि सभी धर्म सिखाने की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए लोग अधार्मिक हो गए हैं। सिखाने से कभी भी कोई आदमी धार्मिक नहीं हो सकता।
ओशो; कठोपनिषद