Vijay Pal
Vijay Pal
February 27, 2025 at 06:00 AM
गुरु गोरखनाथ का जन्म किसी स्त्री के गर्भ से नही हुआ था। शिव अंश मछनदरनाथ जो मछली के पेट से उत्पन्न हैं वे शुरुआती अलख निरंजन की अलख जगाते एक गांव में भिक्षाटन के लिए गए। उस गांव की एक महिला अपना पुत्र न होने की बात कही। मछनदरनाथ अपनी योग माया से एक फल उत्पन्न कर उस महिला को दे कहा, पुत्री इसे ग्रहण कर लो बहुत ही प्रतापी पुत्र की प्राप्ति होगी। अच्छे से उसकी देखभाल कर प्रारम्भिक शिक्षा दिक्क्षा देती रहना। आज के ठीक 12 साल पूरा होने पर मै आऊंगा, पुत्र को देखने। मछनदरनाथ उस महिला से भिक्षा ले चले गए। …….. वही कुछ सखियों ने उस महिला को भ्रमित कर कहा साधु फकीर की बात पर इतना बिश्वास नही करना चाहिए। इस फल को फेक देना चाहिए। वो टोना टोटके से डरी स्त्री फल को गोबर के गड्ढे में फेक दी। उस फल के ऊपर गड्ढे में गोबर जमा होते-होते 12 साल पूरा हो गया। वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि दिन मंगलवार को मछनदरनाथ बताएं समय के मुताबिक वर्तमान के राजस्थान हनुमानगढ़ गोगा मेड़ी वेरावल के समीप उस गांव में बालक को देखने पहुँच गये। अलख निरंतर कि आवाज़ लगाई, महिला घर से भिक्षा देने बाहर आई, तब योगीराज ने कहा, मै बारह वर्ष पूर्व एक पुत्र प्राप्ति का आशिर्वाद दे गया था- देवी, वो पुत्र कहां है। उस महिला ने कहा अपनी सखियों की बातों से टोना टोटके कि बात सुनकर डर गई और आपके द्वारा दिए गए फल को गोबर के गड्ढे में फेक दी थी। मछनदरनाथ उस गोबर गड्ढे के पास गए तो अपने तपो बल से देखा। शिव अंश बालक उस गोबर के अंदर ओम नमः शिवाय का जाप करते तप कर रहे थे। मछनदरनाथ अपने योग विद्या से बालक को बाहर निकाला फिर उस स्त्री द्वारा अपने किए भूल की छमा याचना के बाद भी बालक को अपने साथ ले वहां से चले गए। इस प्रकार गोरखनाथ का जन्म गौ माता के गोबर में से हुआ और मछनदरनाथ द्वारा स्त्री को दिए गए वर्दान के फल स्वरूप तो गोरखनाथ अपने गुरु मछनदरनाथ के मानस पुत्र हुए। गुरु गोरखनाथ के गुरू मछनदरनाथ थे। शिव अंश गोरखनाथ अपने गुरु मछनदरनाथ द्वारा उत्पन्न किए जाने के बाद गुरु मछनदरनाथ के शिष्य बने। यहां भी एक कहावत चरितार्थ है। गुरु गुड़ ही रह गया चेला चीनी हो गया। गोरखनाथ अपने गुरु मछनदरनाथ से सहस्त्रगुना आगे निकल गये। गोरखनाथ अथक तपस्या से अनाथों के नाथ भोलेनाथ को प्रसन्न किया। भोलेनाथ गोरखनाथ की तपस्या से प्रसन्न होकर सब गुण सम्पन्न का वरदान दे, कलियुग के अंत तक अलख निरंजन की अलख जगाने वाले भक्त जन की सर्व मनोकामना पूर्ण करने का आशिर्वाद दिया। जो भी गोरखनाथ कि भक्तिभाव से ध्यान करता है, उसकि हर मनोकामना पूरी होती है। गोरखनाथ अपने गुरु से हज़ारों गुना अधिक तंत्र-मंत्र विद्या में आगे माने जाते हैं। आज नाथ पंथी भारत के समस्त राज्य सहित अन्य देशों में भी विराजमान हैं। ये सनातन धर्म के अनुयायी, सनातन धर्म के प्रचारक माने जाते हैं। भोलेनाथ की भक्ति के प्रति समर्पित होते हैं। नाथ सम्प्रदाय से पहले सर्गी बजाते, भ्रमण करते योगी जन ज्यादा देखने को मिलते थे। माना जाता है। जब कोई बालक घर- आंगन छोड़ योगी बनता है तब अपनी योग विद्या की सम्पूर्ण सिद्धी प्राप्त हो कर 12 वर्ष के समय में अपने माता के हाथ से भिक्षा लेने अपने यहां जाता है। जब माता भिक्षु पुत्र को भिक्षा दे देती, तब उसकी सम्पूर्ण सिद्धी प्राप्त हो जाती है| गुरु गोरखनाथ की मृत्यु नही हुई, गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर स्थापित है। वहीं पर गुरु गोरखनाथ ने समाधि ली। गोरखनाथ के नाम पर ही उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से में स्थित जिला गोरखपुर नाम से स्थापित है। जो भी बडे-बडे संत हुए हैं लगभग सभी ने अपनी मृत्यु के पहले ही समाधि ली है। उसी क्रम में भोलेनाथ के अंश गोरखनाथ भी समाधि ले लिए। उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित गोरखपुर जनपद, के मुख्य भाग में गोरखनाथ मंदिर प्राचीन काल से स्थित है। गोरखपुर रेलवे स्टेशन से एक किलोमीटर पश्चिमी दिशा में यह भव्य मंदिर स्थित है। मंदिर के महंथ नाथ संप्रदाय के योगीजन रहते चले आ रहे हैं। अभी गोरखनाथ मंदिर के महंथ योगी आदित्यनाथ हैं जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी हैं। उपरांत, नेपाल में गोरखा टायटल गोरखनाथ के भक्त जन लगाते चले आ रहे हैं ।

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