
अखंड भारत 🚩
February 10, 2025 at 01:51 PM
*विश्व चकित है !!*
होना भी चाहिये।
ना कोई मास्क हैं।
ना कोई दूरियां हैं।
ना कोई सैनिटाइजर्स हैं।
करोड़ों मानव एक ही नदी में एक सीमित जगह पर स्नान कर रहे हैं।
और
कोई महामारी नहीं फैल रही।
सारे कीटाणु और जीवाणु दुम दबाये पड़े हैं।
कैसी श्रद्धा है।
कैसी गंगा मां है।
कैसी आस्था है और कैसा कुंभ है।
कैसा धर्म है।
कैसा विज्ञान है।
कैसा सितारों का योग है।
जन सैलाब एक ही उद्देश्य को लेकर उमड़ रहा है।
पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति।
ना कोई जात-पात का भेद।
ना कोई वर्ण का भेद।
ना कोई ब्राह्मण।
ना क्षत्रिय।
ना वैश्य।
और
ना शूद्र।
ना कोई ऊंचा ना कोई नीचा।
सब समान।
हे आधुनिक विज्ञान!
एक बार फिर से बैठ कर गहन चिंतन करो।
क्यों नहीं फैल रही महामारी?
क्या होता है मोक्ष, कोशिश करो जानने की।
क्या होते हैं पाप और पुण्य?
क्या होता है पुनर्जन्म?
जानो आधुनिक विज्ञान।
तुम्हें अभी बहुत कुछ जानना है।
झुको आस्था के आगे।
धर्म के आगे।
हो सकता है आस्था का विज्ञान, धर्म का विज्ञान तुमसे बड़ा हो?
थोड़ा झुकना सीखो आधुनिक विज्ञान।
कहते हैं झुकने से ज्ञान बढ़ता है।
*सनातन धर्म की जय*
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