अखंड भारत 🚩
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February 22, 2025 at 07:00 AM
कांग्रेस नेता राहुल गांधी हर जगह केवल हिंदुओं की "जाति जाति" की डुगडुगी क्यों बजा रहा है यानी बार बार हर जगह "जातिगत जनगणना" की बात क्यों करता घूम रहा है ? इसका एक बहुत बड़ा, गहरा और गंभीर कारण है और वह है कि इस योजना से भारत के 80% हिंदुओं को विभिन्न जातियों में बांट करके और उनको आपस में लडा़कर उनको 20% संगठित मुसलमानों से कमजोर करके चुनाव जीतना और सता प्राप्त करना जिसे वह और उसके सलाहकार अभी मोदी के सामने बहुत कठिन मान रहे हैं। ये नीचे दुनिया के इतिहास से कुछ सच्चे और भयानक उदाहरण दिए जा रहे हैं कि आपस में बंटने, अपनी एकता को खंडित करने और आपस में लड़ने के कितने भयानक परिणाम होते हैं। आप स्वयं ही देखिए :- पहला उदाहरण है मध्य पूर्व ( MIDDLE EAST ) के ईसाई बहुल देश लेबनान का। वर्ष 1943 में जब लेबनान देश इंग्लैंड से स्वतंत्र हुआ तो वह एक ईसाई राष्ट्र था। स्वतंत्र होने के पश्चात वहां मुस्लिम और ईसाई जनसँख्या के हिसाब से शासन में जिसकी जितनी आबादी, उतनी हिस्सेदारी तय की गई। इसके तहत मुस्लिमो की 54 सीट और ईसाइयों की 99 सीट संसद के लिए आरक्षित की गई। अब इसमें भी मुस्लिमो में शिया ज्यादा थे तो तय हुआ कि शिया सांसद संसद का स्पीकर बनेगा और ईसाइयों में मेरोनिट ईसाई ज्यादा थे तो वो देश का राष्ट्रपति होगा। लेकिन मुसलमानों ने चालाकी से पडोसी देश फिलीस्तीन से अरबी मुसलमान घुसपैठियों को बुलाना शुरू कर दिया । इसके बाद लेबनान में गृहयुद्ध शुरू हो गया। फिर 1989 में जब गृहयुद्ध खत्म हुआ तो वापिस जितनी आबादी उतनी हिस्सेदारी के तहत अब लेबनान की संसद में हिस्सेदारी मुसलमानों और ईसाईयों की 64 - 64 सीट की हो गयी। लेकिन अब लेबनान में न मेरोनिट ईसाई बचे थे और न शिया। और आगे चलकर मुसलमानों की बदमाशी से ये हाल हुआ कि अब बाकी ईसाई भी वहां अल्पसंख्यक हो गए और आज लेबनान एक "मुस्लिम राष्ट्र" है। दूसरा उदाहरण इससे भी ज्यादा भयानक है। वर्ष 1918 में अफ्रीका के रवांडा नामक देश पर यूरोपीय देश बेल्जियम कब्जा कर लेता है। वहां तीन प्रमुख जनजाति रहा करती थी। हुतुस(Hutus), तुत्सी(Tutsi) और तवा(Twa) ।हुतुस सबसे ज्यादा थे, तुत्सी थोड़े कम और तवा सबसे कम। अब बेल्जियम ने जितनी जिसकी आबादी उतनी उसकी हिस्सेदारी के नाम पर इन्हें लड़ाना शुरू किया गया। होना तो ये चाहिए था कि सब मिलकर अपने शत्रु देश बेल्जियम से लड़ते लेकिन अब तुत्सी और रवा कहते थे कि हुतुस हमारा हिस्सा खा रहे हैं। खैर, 1962 में रवांडा आजाद हो गया लेकिन ये जातीय संघर्ष चलता रहा। वर्ष 1973 आ गया और अब हुतुस जाति का जुबिनल हेबिरिमाना राष्ट्रपति बनता है। वर्ष 1994 में उसकी प्लेन क्रैश में मौत हो जाती है। इसका आरोप हुतुस, तुत्सी पर लगाते हैं कि इन्होंने हमारे राष्ट्रपति को मरवाया है और इतिहास के सबसे बड़े गृहयुद्ध में से एक शुरू हो जाता है। इसमें 8 लाख से ज्यादा लोगों की हत्या कर दी जाती है। साथ ही डेढ़ से ढाई लाख महिलाओं का बलात्कार भी कर दिया जाता है। अब भारत मे इसे समझिए। यहां राहुल गांधी द्वारा हिन्दुओ की जातियों की गिनती करने की बात हो रही है। लेकिन मुस्लिमों की जातीय गणना नही होगी। अब भारत मे एक भी जाति हिन्दूओं की ऐसी नही है जो 20% मुसलमानों से ज्यादा हो। कल को इस तरह मुस्लिम गिनती में सबसे ज्यादा हो जाएगा और ये बात उठ खड़ी होगी कि जितनी जिसकी आबादी, उस हिसाब से उसकी हिस्सेदारी होगी। कुल 20% मुसलमान खुद के लिए प्रधानमंत्री से लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तक की कुर्सी मांगने लगेंगे। यह बात बिल्कुल अतिशयोक्ति नहीं है बल्कि वर्ष 1947 से पहले भारत में अंग्रेजों द्वारा इसी तरह मुस्लिमो को उनकी आबादी के हिसाब से सीटें दी जा चुकी हैं और बाद में इन्होंने ही फिर देश के टुकड़े कर दिए थे। हिन्दुओ में भी ब्राह्मण, राजपूत आदि आदि करते हुए ओबीसी, दलित, वनवासी इत्यादि सब शुरू हो जाएगा और सब अपने अपने हिसाब से अपने लिए सीटें, पद और हक मांगने लग जाएंगे। जाहिर है इसका विरोध होगा जिसके फलस्वरूप वही होगा जो लेबनान या रवांडा देशों में हुआ था। मुसलमान यह देखकर चैन से मौज लेगा कि हिन्दुओ को आपस में लड़कर मरने दो हम और हमारे हक तो कांग्रेस द्वारा सुरक्षित है। कांग्रेस औरराहुल गांधी बिल्कुल चुप्पी साध लेंगे क्योंकि उनके 20% मुसलमानों के वोट तो सही सलामत हैं और उनके पीछे मजबूती से खड़े हैं। फिर जाहिर है कि हिंदुओं की कुछ जातियां खत्म भी हो जाएंगी। मान लो कि दलित, ओबीसी मिलकर सवर्ण जातियों को मुसलमानों के साथ मिलकर खत्म कर देते हैं "जय मीम जय भीम" का नारा लगाकर। अब बचे नॉन सवर्ण और मुसलमान। फिर कल को ये नारा दिया जाएगा कि ओबीसी भी तुम्हारे दुश्मन है क्योंकि असली "जय मीम जय भीम" तो दलित और मुसलमान है। और इस तरह ओबीसी भी खत्म हो गया। अंत मे बचेंगे दलित केवल और मुसलमान। तो याद कर लो कि यही मीम भीम की एकता के चक्कर मे आजादी के समय एक दलित हिन्दू नेता जोगेंद्र नाथ मंडल ने पाकिस्तान बनाने में जिन्ना का साथ दिया था और करोड़ों दलितों को साथ लेकर पाकिस्तान चला गया था।वह शुरू में तो पाकिस्तान का कानून मंत्री भी बना लेकिन फिर उसे और उसके चक्कर मे पड़े दलितों का क्या भयानक दुर्गति हुई यह आप खुद गूगल पर सर्च कर सकते हैं और अंत मे सुरक्षित बचा तो सिर्फ मुसलमान। मुझे पता है कि अभी लोगों को लगेगा कि ये सब कोरी कल्पना है, ऐसा नही होगा। लेकिन यही सब समझाने को मैंने दूसरे देशों का सच्चा इतिहास लिखा है। वहां भी लेबनान में 1943 से चीजें बिगड़नी शुरू हुई थी और 1989 आते आते ईसाइयों के हाथों से मुसलमानों द्वारा पूरा देश छीन लिया गया। रवांडा में भी 1918 में बेल्जियम ने गृहयुद्ध शुरू किया और 1962 आते आते अब वो खुद लड़ने शुरू हो गए और 1994 आते आते रवांडा में सबसे बड़ा नरसंहार हो गया। भारत मे भी 1925 में कोई नही कहता था कि भारत देश के दो टुकड़े हो जाएंगे लेकिन 1947 आते आते सच में हो गए। जिस कश्मीर से 1990 में हिन्दू भगाए गए वहां 1985 तक कोई ऐसा नही सोच रहा था। आज जिस असम में 40% मुसलमान हो गये। कुछ दशक पहले तक नही था। बंगाल से लेकर केरल के हालात जो आज हैं वो कल तक नही थे। 1947 के बाद शेष पंजाब को नही पता था कि 1980 आते आते क्या होने वाला है। उसके बाद जो पंजाब शांत हुआ उसे लग रहा था कि सब पुरानी बातें हो गयी लेकिन आज फिर पंजाब में वही सब शुरू करने की कोशिश हो रही है। राज्यो को छोड़ो। एक शहर, कस्बे या गांव जहां से पलायन शुरू होता है, उन्हें कुछ साल पहले तक लगता है कि ऐसा कुछ नही होगा लेकिन एक समय आता है जब अपने घर के आगे लिखना पड़ता है कि "ये घर बिकाऊ है।" इसलिए ऐसा कुछ नही है जो हो नही सकता। हमें तो इतना समझना है कि क्या हम इसे होने देंगे या नहीं? और ये किसी को चुप कराने से नही रुकेगा बल्कि ये इससे तय होगा कि क्या हमारे अंदर एकता है या एक दूसरे से चिढ़। क्योंकि दुश्मन उस चिढ़ का ही फायदा उठाता है। यदि आपके अंदर ये पहले से ही है कि दूसरा आपके हिस्से का खा रहा है तो आप एक को चुप कराएंगे भी तो दस और खड़े हो जाएंगे आपको इस बात के लिए भड़काने। डंडे के जोर पर सबको चुप करा भी देंगे तो भी अंदर जो नफरत है वो खत्म नही होगी और डंडे का जोर भी ज्यादा दिन नही टिकता है। बांग्लादेश का उदाहरण ही लीजिए कि जिहादियों के अंदर तो जहर हमेशा से था। वहां की प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद डंडे के जोर पर दबाने की कोशिश कर रही थी लेकिन उससे उनके अंदर का जहर खत्म नही हुआ। उल्टा जब उनके हाथ मौका लगा तो वो अपना सारा जहर निकालने लग गए। इसलिए इतना सब लिखने का मतलब सिर्फ इतना नही है कि कांग्रेस क्या करना चाहती है या राहुल गांधी क्या बोल रहा है क्योंकि सच्चाई ये भी है कि उससे तो जो उसका मास्टरमाइंड यह सब बुलवा रहा है वो हमारी फाल्ट लाइन्स जानता है। इसलिए वो तो सिर्फ राहुल गांधी का इस्तेमाल कर रहे हैं कि तू यह सब बोल, इसका फायदा उठा और हमारे लिए काम कर। इसलिए इससे बचना है तो हमें ही सोचना होगा। और जैसा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि "हम बंटेंगे तो कटेंगे"! क्या हम इसे वास्तव में समझने के लिए तैयार है ? क्योंकि योगी जी ने तो ये भी समझा दिया है कि "एक रहेंगे तो सेफ ( सुरक्षित ) रहेंगे", तो क्या हम ऐसा करेंगे? वरना फिर यह शिकायत ही करते रह जाएंगे कि कोई दूसरा आग लगाने की कोशिश कर रहा है जबकि दूसरी तरफ कोई दूसरा ये भी तो समझाने की कोशिश कर रहा है कि हम हिन्दुओं को अपनी एकता किसी कीमत पर नही तोड़नी है। तो सवाल है कि हम किसकी सुनेंगे? वास्तव में तो समय और भारत माता की प्रबल मांग है कि अगर अस्तित्व बचाना है तो भारत के समस्त हिंदुओं ! आने वाला समय बहुत भयानक है इसे पहचानो और सुधर जाओ । आपके असली और निहित स्वार्थी प्रबल शत्रु को और उसके काले उद्देश्यों को पहचानो और मुसलमानों की तरह आपस के जाति, ऊंच नीच और संप्रदाय भेद समाप्त करके दृढ़ता से एक होकर खड़े हो जाओ। 🕉️🕉️🕉️🕉️

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