she'r-o-suKHan
she'r-o-suKHan
February 7, 2025 at 03:33 PM
अब, सुन बे, गुलाब, भूल मत जो पायी खुशबु, रंग-ओ-आब, खून चूसा खाद का तूने अशिष्ट, डाल पर इतरा रहा है केपीटलिस्ट! — कुकुरमुत्ता (कविता) / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
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