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शे'र-ओ-सुख़न | شِعْر و سُخَن

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2/20/2025, 11:27:09 AM

आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में 'फ़िराक़' जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए। — फ़िराक़ गोरखपुरी

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2/19/2025, 6:37:51 AM

फ़ारस नहीं, अरब नहीं, शाम¹ नहीं है, उर्दू की ज़मीं हिन्द है, इस्लाम नहीं है — राजीव ध्यानी ¹सीरिया का पुराना नाम

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2/24/2025, 10:08:20 AM

डबडबाई आँखों से हर रौशनी सूरजमुखी के फूल की तरह दिखाई पड़ती है। — फणीश्वरनाथ रेणु

❤️ 👍 2
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2/22/2025, 5:15:46 AM

कई जवाबों से अच्छी है ख़ामुशी मेरी, न जाने कितने सवालों की आबरू रक्खे।

❤️ 🖤 🙄 3
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2/19/2025, 6:36:39 AM

Those who would give up essential Liberty, to purchase a little temporary Safety, deserve neither Liberty nor Safety. — Benjamin Franklin

👍 2
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2/24/2025, 10:07:59 AM

है संस्कृति-समाज का विनाश अब तो तय, कहूँगा ये धर्म है अगर तो फिर अधर्म की मैं जय कहूँगा। — पुनीत शर्मा

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2/24/2025, 2:16:00 PM

नाम होंटों पे तिरा आए तो राहत सी मिले तू तसल्ली है दिलासा है दुआ है क्या है — नक़्श लायलपुरी

❤️ 2
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2/24/2025, 10:08:58 AM

वहाँ से भागकर पछता रहे हैं, जहाँ सबकुछ लुटाना चाहिए था नदी से वह लिपटकर रो रहा है, उसे तो डूब जाना चाहिए था। — लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता

❤️ 👍 3
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2/19/2025, 6:37:13 AM

हाल पूछा न करे हाथ मिलाया न करे मैं इसी धूप में खुश हूं कोई साया न करे — काशिफ़ हुसैन ग़ाएर

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2/19/2025, 6:36:18 AM

बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मेरे आगे होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे, मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे तू देख कि क्या रंग है तेरा मेरे आगे — चचा ग़ालिब

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