
she'r-o-suKHan
February 24, 2025 at 10:07 AM
है संस्कृति-समाज का विनाश अब तो तय, कहूँगा
ये धर्म है अगर तो फिर अधर्म की मैं जय कहूँगा।
— पुनीत शर्मा
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